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Bird Flu In India: भारत में अक्सर क्यों आ जाता है बर्ड फ्लू, क्या है इस वायरस के फैलने की वजह?

Bird Flu In Indiaकई पक्षियों के शरीर में ये फ्लू मौजूद होता लेकिन वे इससे बीमार नहीं पड़ते और मल के ज़रिए वायरस को शरीर से निकाल देते हैं। क्योंकि पक्षी उड़ते समय भी मलत्याग करते हैं इसलिए इंफ्लुएंज़ा वायरस दुनियाभर में आसानी से फैलने लगता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:11 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:11 PM (IST)
Bird Flu In India: भारत में अक्सर क्यों आ जाता है बर्ड फ्लू, क्या है इस वायरस के फैलने की वजह?
भारत में अक्सर क्यों आ जाता है बर्ड फ्लू? क्या है इसकी वजह?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bird Flu In India: कोरोना वायरस महामारी से तो पिछले एक साल से जूझ ही रहे थे कि एक बार फिर बर्ड फ्लू ने भारत में दस्तक दे दी है। राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और हिमाचल में कुछ ज़िलों से बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। हिमाचल में जंगली गीज़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में कौवे, केरल में बत्तखों, तो हरियाणा में पोल्ट्री पक्षियों की रहस्यमय मौत की सूचना मिली है। जिसके बाद से इन राज्यों में बर्ड फ्लू का अलर्ट जारी कर दिया गया है।

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बर्ड फ्लू कैसे फैलता है?

जंगली पानी के पक्षी जैसे बत्तख और गीज़ प्राकृतिक तौर पर ही इन्फ्लुएंज़ा-ए वायरस कैरी करते हैं। कई पक्षियों के शरीर में ये फ्लू मौजूद होता लेकिन वे इससे बीमार नहीं पड़ते और मल के ज़रिए वायरस को शरीर से निकाल देते हैं। क्योंकि पक्षी उड़ते समय भी मलत्याग करते हैं, इसलिए इंफ्लुएंज़ा वायरस दुनियाभर में आसानी से फैलने लगता है। खासतौर पर लंबा सफर तय करने वाले प्रवासी पक्षी फ्लू को अपने साथ ले जाते हैं जिससे ये पोल्ट्री और स्थानीय पक्षियों तक फैल जाता है। कई बार ये वायरस सुअर, घोड़े, बिल्ली और कुत्तों में भी फैल जाता है।

भारत में बर्ड फ्लू

भारत में अभी तक इंसानों में बर्ड फ्लू का एक भी मामला सामने नहीं आया है। पशु विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 से लेकर 2015 तक 15 राज्यों में पोल्ट्री में H5N1 बर्ड फ्लू के 25 एपिसोड पाए गए। आपको बता दें कि 2006 में देश में पहली बार महाराष्ट्र और गुजरात में बर्ड फ्लू के मामले देखे गए थे। इसे कौओं में भी देखा गया है। भारत में बर्ड फ्लू प्रवासी पक्षियों के ज़रिए भी आता है।

इंसान कब से बर्ड फ्लू से संक्रमित होने लगे? 

देश में बर्ड फ्लू पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि ये सदियों से दुनिया भर में पोल्ट्री को प्रभावित करता आया है। इस संक्रमण को रोकने के लिए फ्लू से संक्रमित पक्षियों को मारा जाता है, जो इस संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है। लेकिन साल 1997 में पहली बार इंसानों में बर्ड फ्लू देखा गया। ये फ्लू हांगकांग के एक जीवित पक्षी बाज़ार से फैलना शुरू हुआ था। 18 लोग इस फ्लू की चपेट में आए थे जिनमें से 6 की मौत हो गई थी।

कुछ सालों बाद ये संक्रमण दोबारा उभर कर आया और दुनियाभर में सैकड़ों इंसानों की मृत्यु का कारण बना विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में। संक्रमित मुर्गों और प्रवासी पक्षियों की आवाजाही और अवैध पक्षी व्यापार को इस वायरस के फैलने का कारण माना जाता है। इस दौरान बिल्लियां और शेर भी इस वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

क्या बर्ड फ्लू इंसानों में आसानी से फैल जाता है?

नहीं ये इंसानों में आसानी से नहीं फैलता। आमतौर पर अगर इंसान किसी ऐसे पक्षी के संपर्क में आए जो H5N1 से संक्रमित हो (ज़िंदा या मृत), तो उन्हें भी बर्ड फ्लू हो सकता है। WHO के अनुसार, आमतौर पर बर्ड फ्लू एक इंसान से दूसरे में नहीं फैलता। ऐसे भी कोई मामले सामने नहीं आए हैं, जहां लोगों को अच्छी तरह पकाए हुए मुर्गे या उसके अंडे खाकर बर्ड फ्लू हुआ हो। ये वायरस गर्म तापमान सहन नहीं कर सकता, इसलिए पकाए जाने पर मर जाता है। 

फिर क्यों बर्ड फ्लू से डर रहे हैं लोग?

H5N1 एक गंभीर और जानलेवा वायरस है, जिसकी वजह से 10 में 6 इंसानों अभी तक मौत हो चुकी है। अगर वायरस म्यूटेट हो जाता है और अपने आकार में बदलाव कर इंसानी सेल को पकड़ लेता है और इंसान से इंसान में आसानी से फैलने लगता है, तो ये एक महामारी का रूप भी ले सकता है। फ्लू के वायरस आसानी से म्यूटेट कर जाते हैं, क्योंकि उनमें  खंडित जीनोम होता है। अभी तक हम जितने भी फ्लू के बारे में जानते हैं, जैसे मौसमी फ्लू और कोरोना वायरस, इसी तरह म्यूटेट करके पक्षियों से इंसानों में फैलने शुरू हो गए। 

बर्ड फ्लू के लक्षण

- लगातार कफ रहना

- नाक बहना

- सिर में दर्द रहना

- गले में सूजन

- मांसपेशियों में दर्द

- दस्त 

- हर वक्‍त उल्‍टी या मतली का महसूस होना

- पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना

- सांस लेने में समस्या के साथ निमोनिया हो सकता है।

- कंजंक्टिवाइटिस (आंख का इंफेक्शन)

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। 


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