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Infertility & IVF: बायोलॉजिकल क्लॉक एक मिथक नहीं, जानें इनफर्टिलिटी और IVF से जुड़ी ज़रूरी बातें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इनफर्टिलिटी को प्रजनन प्रणाली की बीमारी के रूप में बताया गया है। WHO के रिसर्च के अनुसार 10-15% से अधिक महिलाएं इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 05:10 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 05:10 PM (IST)
Infertility & IVF: बायोलॉजिकल क्लॉक एक मिथक नहीं, जानें इनफर्टिलिटी और IVF से जुड़ी ज़रूरी बातें
Infertility & IVF: बायोलॉजिकल क्लॉक एक मिथक नहीं, जानें इनफर्टिलिटी और IVF से जुड़ी ज़रूरी बातें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आजकल महिलाएं शादी 30 साल या 40 साल की उम्र होने पर करती हैं, शादी देर से करने और उम्र बढ़ने की वजह से उनमें बांझपन जैसी समस्या आती है। यही कारण है कि IVF जैसी तकनीक से बच्चे पैदा करने का चलन शहरों में ज़्यादा बढ़ रहा है। प्रजनन विशेषज्ञों के अनुसार, यह इसलिए हो रहा हैं क्योंकि महिलाओं में एक बायोलॉजिकल क्लॉक होती है जो उम्र बढ़ने के साथ गर्भ धारण करने में सहायक नहीं होता है। 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इनफर्टिलिटी को "प्रजनन प्रणाली की बीमारी" के रूप में बताया गया है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसके परिणामस्वरूप समय पर इलाज नहीं किए जाने पर विकलांगता हो सकती है। WHO के रिसर्च के अनुसार 10-15% से अधिक महिलाएं इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं। एक महिला का एक मासिक चक्र में गर्भवती होने की सम्भावना 20-25 साल की उम्र में 25% होती है। जब महिला समय बढ़ने के साथ वह 40 की उम्र पर पहुंचती है, तो यह संभावना 3% नीचे गिरकर 22% पर आ जाती है। 

एक महिला के भ्रूण में लगभग 6 मिलियन अंडे होते हैं। जब बच्चा पैदा होता है तो यह एक मिलियन तक कम हो जाते हैं। समय बीतने के साथ-साथ जब एक औरत जब अपने यौन अवस्था के चरम सीमा पर पहुंचती है, केवल लगभग 300,000 अंडे ही रह जाते हैं, जिनमें से लगभग 300-400 महिला के प्रजनन काल में ओव्यूलेशन के दौरान रिलीज़ होते हैं। बूढ़े हो चुके अंडे रिलीज़ होने के दौरान सबसे ज़्यादा ग़लत साबित होते हैं जिससे यह गुणसूत्र दोष के साथ असामान्य भ्रूण की अधिक संभावना बनाते है, जब ऐसा ज्यादा होता है तो गर्भपात की संभावना अधिक हो जाती है। इसके अलावा इन बूढ़े हो चुके अंडो के कारण डाउन सिंड्रोम या अन्य विकासात्मक असामान्यताओं वाला मतलब अपंग बच्चा पैदा होता है। 

हालांकि, ऐसी कोई भी तकनीक नहीं है जिससे अंडे की उम्र से सम्बंधित भंडारण को रोका जा सके। कई महिलाएं इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रजनन उपचार जैसे कि IVF और / या कम उम्र के भ्रूण में अपने अंडे या भ्रूण को फ्रीज़ करवाती हैं ताकि वे एक अपना खुद का बायोलॉजिकल बच्चा पा सकें जो पूरी तरह से परफेक्ट हो।

जब अंडे ऑव्यूलूशन के दौरान रिलीज़ होते हैं तो हर महीने एक निश्चित संख्या में अंडे बनते रहते हैं बाकी ख़त्म हो चुके अंडे अंडाशय में निष्क्रिय पड़े होते हैं। यह पूरी तरह से नेचुरल घटना होती है इसके अलावा यह किसी भी हार्मोन उत्पादन, बर्थ कंट्रोल की गोलियां, गर्भधारण, न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स लेने से या यहां तक कि स्वास्थ्य या लाइफस्टाइल की वजह से भी ऐसा होता है। महिलाओं द्वारा अपने प्रोफेशन में ज़्यादा व्यस्त होने के कारण या अन्य कारणों की वजह से भी महिलाए बच्चा देरी से पैदा कर रही हैं। 

यह बायोलॉजिकल क्लॉक पुरुषों में भी होती है। पुरुषों के शरीर पर हुई रिसर्च के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म की संख्या भी घटती हैं। हालांकि, स्पर्म की संख्या घटना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन समाज के दबाव की वजह से अगर स्पर्म काउंट की वजह से बच्चा पैदा नहीं होता है तो अधूरापन सा महसूस होता है। 

IVF ट्रीटमेन्ट में न करें देर

इनफर्टिलिटी का इलाज खासकर IVF से उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है, जो ज़्यादा उम्र में बच्चे चाहती हैं। उदाहरण के लिए, बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए, खराब अंडाशय रिज़र्व वाली महिलाएं, पुरुष / महिलाएं जिन्हें कैंसर के कारण प्रजनन करने में परेशानी होती है या कोई भी और समस्या जिसकी वजह से गर्भधारण नहीं हो पाता है। IVF इलाज में देर करने, ART इलाज में देर की वजह से इसके अलावा अवसाद, चिंता, अकेलेपन और अनियंत्रण की बढ़ती भावना की वजह से बच्चा पैदा करने की संभावना कम हो सकती है। 

ART बच्चा पैदा करने की तकनीक ने दुनिया में कई जोड़ों को मां-बाप बनने में मदद की है। अगर आप इनफर्टिलिटी को शुरुआत में ही पहचान लें और किसी स्पेशलिस्ट से समय रहते जांच कराएं तो यह बहुत ही बुद्धिमानी भरा कदम होगा। 

बायोलॉजिकल क्लॉक और बांझपन से संबंधित कुछ मिथक 

1. पीरियड्स का आना मतलब आपमें कोई बांझपन नहीं है 

पीरियड्स का आना यह नहीं होता है कि आप इनफर्टिलिटी का शिकार नहीं हैं या आप मां बन सकती हैं। यह बहुत ही गलत मिथक महिलाओं में प्रचलित है, जिसकी वजह से वह सोचती हैं कि पीरियड्स आ रहे हैं उन्हें बच्चा पैदा करने में कोई परेशानी नहीं होगी। ओवूलूशन में अंडे अंडाशय से रिलीज़ होते हैं। ओवूलूशन के बाद अंडे, स्पर्म से निषेचन करने के लिए उपलब्ध होते हैं। अंडाशय से अंडे निकलना और स्पर्म से अंडे का मिलना 28 दिन के दौरान होता है क्योंकि ओवूलूशन 14वे दिन हो जाता है और पीरियड इसके कुछ दिन बाद होता है जब अंडे फर्टिलाइज़ नहीं होते हैं। 

2. उम्र बच्चा पैदा करने में कोई बंधन नहीं 

इनफर्टिलिटी का इलाज अंडों की क्वालिटी और संख्या पर निर्भर करता है, और यह काफी हद तक उम्र पर निर्भर करता है। यही कारण है कि उम्र महिलाओं में गर्भधारण करने में बहुत ही बड़ी भूमिका निभाती है। 

3. IVF गर्भ की सभी समस्याओं का इलाज कर सकता है 

कोई भी गर्भ से सम्बंधित समस्या इलाज से नहीं सुलझाई जा सकती है। कुछ प्रजनन समस्या जैसे आपके अंडो को किसी दूसरे भ्रूण में रखना IVF की वजह से मुमकिन हो सकता है। लेकिन 40 के बाद बच्चा पैदा करने के लिए किसी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से परामर्श की ज़रूरत होती है। 

4. ओरल गर्भनिरोधक प्रजनन क्षमता को कम करता है

ऐसा कोई सबूत नहीं है कि जिससे कहा जा सके कि ओरल गर्भनिरोधक टेबलेट्स फर्टिलिटी को कम करता है या प्रजनन क्षमता को कम करता है और आपके बायोलिजकल क्लॉक को पैनिक-मोड में बदल देता है। फिर भी किसी भी गर्भनिरोधक टेबलेट को लेने से पहले आपको किसी गायनोकोलोजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।

- डॉ मनीष बैंकर, चिकित्सा निदेशक, नोवा  IVF फर्टिलिटी 


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