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Arthritis Day: सही खानपान और व्यायाम से कर सकते हैं इस बीमारी को बेअसर

जोड़ों से संबंधित बीमारी गठिया की गिरफ्त में लोग तेजी से आते जा रहे हैं। खानपान में हेल्दी चीज़ों और व्यायाम से इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। जानेंगे डॉक्टरों की राय...

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 08:08 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 07:00 AM (IST)
Arthritis Day: सही खानपान और व्यायाम से कर सकते हैं इस बीमारी को बेअसर
Arthritis Day: सही खानपान और व्यायाम से कर सकते हैं इस बीमारी को बेअसर

अर्थराइटिस जोड़ों की बीमारी है या यूं कहें कि यह मर्ज जोड़ों का विकार है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारी हड्डियों के बीच में जो कार्टिलेज होता है, वह क्षीण होना शुरू हो जाता है। इस वजह से हमारे जोड़ों में दबाव की सीमा बढ़ जाती है और घर्षण पैदा होता है। घर्षण के बढ़ने से हमारी हड्डियां आपस में टकराती हैं, तब धीरे-धीरे दर्द होने लगता है। अर्थराइटिस की समस्या उन महिलाओं में ज्यादा होती है जिनका मेनोपॉज हो चुका है। मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव का होना और उनकी दिनचर्या जिसमें रसोई में ज्यादा देर तक खड़े रहना, एक्सरसाइज न करना, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होना महिलाओं में इस मर्ज के होने के प्रमुख कारण हैं।

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अर्थराइटिस के प्रकार

अर्थराइटिस के अनेक प्रकार हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या में लोग ऑस्टियो अर्थराइटिस, रयूमैटॉयड अर्थराइटिस और पोस्ट ट्रॉमेटिक अर्थराइटिस से कहीं ज्यादा ग्रस्त होते हैं।

बचें ऑस्टियो अर्थराइटिस से

बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। इसे ऑस्टियो अर्थराइटिस कहते हैं। सामान्यतः अधेड़ावस्था यानि 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा होती है।

लक्षण

जोड़ों में दर्द होना।

जोड़ों में तिरछापन आना।

चाल में खराबी।

चलने-फिरने की क्षमता का कम होना।

सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दिक्कत।

कारण

ऐसी स्थिति में काफी समय तक बैठना, जिनसे जोड़ों पर दबाव पड़ता हैय़ जैसे पाल्थी मारकर ज्यादा देर तक बैठना।

आनुवांशिक कारण

जांच

डॉक्टर द्वारा किए गए चेकअप और जोड़ों के डिजिटल एक्सरे से ही इस रोग का पता चल जाता है।

ध्यान दें

फिजियोथेरेपी से राहत मिलती है। जमीन पर ज्यादा देर तक पाल्थी मारकर बैठने से बचें।

संदीप वाशनिक (आर्थोपेडिक सर्जन, कोकिलाबेन हॉस्पिटल, मुंबई)


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