Antibody Therapy Treatment: एंटीबॉडी की मदद से इलाज कराने वाले मरीजों को आपातकालीन उपचार की जरूरत नहीं, रिपोर्ट
Antibody Therapy Treatmentसंक्रमण मुक्त हो चुके कोविड-19 मरीज के रक्त से प्राप्त मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की तीन अलग-अलग खुराक की जांच की गई। 2800 मिलीग्राम एंटीबॉडी हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोविड-19 के मरीज को देने से उनके शरीर में वायरस का प्रभाव कम हो जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाईल डेस्क। कोरोनाकाल में कोविड-19 संक्रमण को मात देने के लिए इलाज की हर पद्धती में रिसर्च चल रही है। इलाज के नए-नए नुस्खें तलाशे जा रहे हैं, ताकि इस बीमारी पर काबू पाया जा सके। कोरोना का एंटीबॉडी से इलाज भी मरीजों पर काफी हद तक कारगर साबित हो रहा है। एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना के जिन मरीजों का इलाज एंटीबॉडी से किया गया उन्हें आपात चिकित्सा सहायता मुहैया कराने की कम जरूरी पड़ती है।
अध्ययन के मुताबिक दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के अंतरिम नतीजों को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन में प्रकाशित किया गया है। इसके तहत 'एलवाई-सीओवी 555 यानि संक्रमण मुक्त हो चुके कोविड-19 मरीज के रक्त से प्राप्त मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की तीन अलग-अलग खुराक की जांच की गई।
अध्ययन के मुताबिक आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला है कि 2,800 मिलीग्राम एंटीबॉडी हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोविड-19 के मरीज को देने से उनके शरीर में वायरस का प्रभाव कम हो जाता है। इन मरीजों को किसी भी तरह की आपात चिकित्सा सेवा देने की जरूरत नहीं रहती।
अमेरिका स्थित सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर में कार्यरत और अनुंसधान पत्र के सह लेखक पीटर चेन ने कहा हमारे लिए यह बेहद जरूरी है कि हम कोविड-19 के मरीजों का इस तरह इलाज करें जिससे उनके अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आ सके।
चेन ने कहा, ''मोनोक्लोनल एंटीबॉडी में कोविड-19 के मरीजों में संक्रमण की गंभीरता को कम करने की क्षमता है, जिससे ज्यादातर लोग अपने घर पर ही इस रोग से उबर सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोरोना वायरस से चिपक जाता है और उसे आगे बढ़ने से रोकता है।
अध्ययन के मुताबिक 'एलवाई-सीओवी 555' नोवेल कोरोना वायरस के स्पाइक नामक प्रोटीन से जुड़ता है, जिसकी जरूरत वायरस को मानव शरीर में प्रवेश करने के लिए होती है। एंटीबॉडी वायरस की अपनी प्रतिकृति बनाने की क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे मरीज को संक्रमण के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए समय मिल जाता है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में 300 मरीजों को शामिल किया, जिसमें 100 मरीजों को एंटीबॉडी दी गयी, जबकि करीब 150 मरीजों को प्रायोगिक औषधि दी गई।
Written By: Shahina Noor