नई स्टडी के मुताबिक, ज्यादा एंटीबॉडी बनाने में असरदार रही कोविशील्ड
कोवैट की स्टडी के मुताबिक दूसरी डोज के बाद दोनों वैक्सींस का रिजल्ट रहा बेहतर। 552 हेल्थकेयर वर्कर्स को स्टडी में किया गया शामिल। 456 हेल्थकेयर वर्कर्स को लगाई गई थी कोविशील्ड। 96 हेल्थकेयर वर्कर्स को कोवैक्सीन की डोज लगी थी। 79.3% रहा पहली डोज के बाद सीरोपॉजिटिविटी रेट।
एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड की पहली डोज लेने वालों में ज्यादा एंटीबॉडीज़ बनती है। कोरोना वायरस वैक्सीन-इंड्यूस्ड एंटीबॉडी टाइट्रे (कोवैट) की ओर से शुरुआती स्टडी में यह दावा किया गया। स्टडी में 552 हेल्थकेयर वर्कर्स को शामिल किया गया। स्टडी में कहा गया कि कोविशील्ड लगवाने वालों में सीरोपॉजिटिविटी रेट से लेकर एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी की मात्रा कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाने वालों की तुलना में बहुत ज्यादा थी।
क्या है एंटीबॉडी?
एंटीबॉडी हमारे शरीर का वो तत्व है, जिसका हमारा इम्यून सिस्टम वायरस को बेअसर करने के लिए बनाता है। कोरोना से रिकवर होने के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार हफ्तों का टाइम लग जाता है। जब कोई व्यक्ति इस वायरस से प्रभावित होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं। ठीक हुए 100 कोरोना मरीजों में से आमतौर पर 70-80 मरीजों में ही एंटीबॉडी बनते हैं।
वैक्सीन कितनी इफेक्टिव?
कोविशील्ड
पिछले साल नवंबर में कोविशील़्ड के ट्रायल्स खत्म हुए थे। इसकी इफेक्टिवनेस रेट 70% है, जो डोज का अंतर बढ़ाने पर बढ़ता है। यह वैक्सीन गंभीर लक्षणों से बचाती है और रिकवरी टाइम को भी घटाती है।
कोवैक्सीन
कोवैक्सीन के ट्रायल्स इसी साल हुए हैं। अप्रैल में आए दूसरे अंतरिम नतीजों में यह 78% असरदार साबित हुई है। खास बात यह है कि यह वैक्सीन गंभीर लक्षणों को रोकने में और मौत को टालने में 100% इफेक्टिव है।
स्पूतनिक वी
स्पूतनिक वी अभी तक की सबसे इफेक्टिव वैक्सीन है। मॉडर्ना और फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन ही 90 परसेंट ज्यादा इफेक्टिव साबित हुई है। इसके बाद स्पूतनिक वी ही सबसे ज्यादा 91.6 परसेंट इफेक्टिव रही है।
दोनों वैक्सीन के रिस्पॉन्स में ये रहा अंतर
दोनों डोज लेने के बाद कोविशील्ड और कोवैक्सीन का रिस्पॉन्स अच्छा है, लेकिन सीरोपॉजिटिविटी रेट और एंटी स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में ज्यादा है।
पहली डोज के बाद ओवरऑल सीरोपॉजिटिविटी रेट 79.3 रहा।
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