Diabetes In Babies: शिशुओं में डायबिटीज़ के लक्षणों को इन 5 तरीकों से पहचानें
Diabetes In Babiesज़रूरी नहीं है कि इन बच्चों के परिवार में भी किसी को डायबिटीज़ हो। वहीं किशोर अवस्था या वयस्कों में टाइप-2 डायबिटीज़ सामान्य होती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diabetes In Babies: आजकल डायबिटीज़ सिर्फ बड़ों में नहीं बल्कि बच्चों में भी तेज़ी से बढ़ रही है। यहां तक कि नवजात शिशु में भी डायबिटीज़ देखने को मिल रही है। कम उम्र में टाइप-1 डायबिटीज़ या नियोनेटल डायबिटीज़ होने की संभावना होती है। बच्चे के यूरिन करने पर चिपचिपाहट महसूस होना, यूरिन पर पैर पड़ने से फर्श पर चिपचिपा होना, बच्चे का सुस्त होना, ज़्यादा रोना, निढाल पड़े रहना और बार-बार यूरिन करना, ये डायबिटीज़ के लक्षण हो सकते हैं।
शिशु में डायबिटीज़
ज़रूरी नहीं है कि इन बच्चों के परिवार में भी किसी को डायबिटीज़ हो। वहीं, किशोर अवस्था या वयस्कों में टाइप-2 डायबिटीज़ सामान्य होती है। इसमें परिवार के सदस्यों में डायबिटीज़ होना आम बात है। एक से दो साल की उम्र में टाइप-1 डायबिटीज़ का इलाज इन्सुलिन इंजेक्शन द्वारा करना बच्चे के परिवार और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट दोनों के लिए ही एक चुनौती होता है। एक दिन में कई बार ब्लड शुगर की जांच करना और तीन से चार बार इंसुलिन इंजेक्शन देना आसान नहीं है।
छोटे बच्चों में डायबिटीज़ को पहचान पाना काफी मुश्किल है। अगर इसे जल्द से जल्द पहचाना नहीं गया तो यह एक विकराल रूप भी ले सकती है। यह इतना घातक हो सकता है कि इससे शिशु की आंखें और किडनियों पर बुरा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि बच्चों में मधुमेह के लक्षणों को किस तरह पहचान सकते हैं।
ज़्यादा प्यास लगना
शिशु यह नहीं बता पाते कि उन्हें कब प्यास लगी है और कब नहीं। इसलिए इस मामले में आपको पूरी तरह से सतर्क रहना होगा। आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि दिन भर में आपका बच्चा पानी की कितनी बोतलें ख़त्म करता है। अपने बाल चिकित्सक से यह ज़रूर पूछे कि हर उम्र के शिशुओं के लिए कितना पानी पीना पर्याप्त होता है। अगर थोड़ा-बहुत अंतर हो तो इसमें कोई भी परेशानी की बात नहीं है, लेकिन यही अंतर बहुत है तो आपको थोड़ा सचेत हो जाने की ज़रूरत है।
बार-बार पेशाब आना
यह बताना थोड़ा मुश्किल है कि शिशुओं में पेशाब होने की कितनी सीमा होनी चाहिए। अगर आप यह जानना चाहती हैं, तो इस बात पर गौर करें कि आप अपने शिशु की डाइपर दिन में कितनी बार बदलती हैं।
वज़न अचानक गिरना
अक्सर बच्चों के जब दांत आते हैं या वे जब चलना सीखते हैं, तो उनके वज़न में कमी आती है। लेकिन इसके अलावा भी आपके बच्चे का वज़न कम हो रहा हो, तो आपको फौरन जांच करानी चाहिए। वज़न का बिना वजह अचानक कम होना भी मधुमेह के लक्षण हैं।
थकान और कमज़ोरी
वैसे तो शिशु या छोटे बच्चे दिन में ज़्यादातर समय सोते हैं, लेकिन अगर आपको बच्चा कमज़ोर, थका हुआ लगा है तो इसे ख़तरे की घंटी समझिए। बच्चा अगर खेलने से मना करे और एक घंटे से भी ज़्यादा सोए तो उसमें प्रतिरोध क्षमता की कमी है।
घाव का न भरना
बच्चों को छोट अक्सर लग जाती है, लेकिन अगर ये घाव भरने में समय ले रहा है, तो यह एक चिंता का विषय है।
Disclaimer: इस लेख को सिर्फ एक सलाह के रूप में देखें। यह डायबिटीज़ का इलाज नहीं है। ज़्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।