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Cervical Cancer: 5 ऐसी वजहें, जो बढ़ाती हैं सर्वाइकल कैंसर का जोखिम

Cervical Cancer सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है। ये एक ऐसा कैंसर है जिससे न सिर्फ पूरी तरह बचाव बल्कि इलाज भी संभव है। सर्वाइल कैंसर के जोखिम के बारे में ज़रूर जानें।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 01:29 PM (IST)
Cervical Cancer: 5 ऐसी वजहें, जो बढ़ाती हैं सर्वाइकल कैंसर का जोखिम
5 ऐसी वजहें, जो बढ़ाती हैं सर्वाइकल कैंसर का जोखिम

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला सबसे आम तरह का कैंसर है। भारत में, सर्वाइकल कैंसर के मामले ख़तरनाक स्तर पर बढ़ते जा रहे हैं। ये कैंसर हर आठ मिनट में एक महिला की जान ले रहा है। 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर का पता अगर समय से लग जाए, तो इससे न सिर्फ बचाव किया जा सकता है बल्कि इसका इलाज भी संभव है। इस बीमारी के बारे में जागरुक होना, साथ ही इसके लक्षणों और जोखिम कारकों को समझने और एहतियाती उपाय करने से न सिर्फ आप इसे बचाव कर सकते हैं बल्कि इसके होने की संभावना को भी कम कर सकते हैं।

कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर?

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपीलोमावायरस (HPV) की वजह से होते हैं। ये एक आम वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संभोग के दौरान जा सकता है।

ह्यूमन पैपीलोमावायरस इतना आम है कि ज़्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी में इससे ज़रूर संक्रमित होते हैं, हालांकि HPV से किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं, इसलिए आप इससे कब संक्रमित हो जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा। आमतौर पर महिलाओं में ये वायरस अपने आप चला भी जाता है, हालांकि, अगर नहीं गया तो ये समय के साथ सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है। लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे कारक है जिसकी वजह से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

सर्वाइकल कैंसर के जोखिम के कारक क्या हैं?

- एचपीवी संक्रमण से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एचपीवी के 100 से अधिक विभिन्न उपभेद हैं जो इस कैंसर को प्रेरित करते हैं। सबसे अधिक ऑन्कोजेनिक स्ट्रन एचपीवी-16 और एचपीवी-18 हैं, जो भारत के मध्य भाग में अधिक पाए जाते हैं।

- एक से अधिक यौन साथी: जो महिलाएं कई यौन के संपर्क में होती हैं, उनमें इस कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि इससे यौन संचारित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके पता लगने में कई साल लग जाते हैं। 

- सामाजिक-आर्थिक कारक: वे महिलाएं जो निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग से आती हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर की संभावना कहीं ज़्यादा होती है, क्योंकि उनकी स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं तक अच्छी पहुंच नहीं होती। साथ ही उनमें इस कैंसर को लेकर जागरुकता की भी कमी होती है।

-धूम्रपान: जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर होने का जोखिम उन महिलाओं की तुलना में दोगुना होता है, जो नहीं करतीं। कार्सिनोजेनिक एजेंटों के नियमित संपर्क से कोशिकाओं में बदलाव होता है जिससे सर्वाइकल कैंसर या कोई अन्य कैंसर हो सकता है।

-कमज़ोर इमम्यूनिटी: दवा या स्थिति जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करती है, वह सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकती है। कम प्रतिरक्षा वाली महिलाएं किसी भी प्रकार के संक्रमण से नहीं लड़ सकती हैं, जो शरीर में फैलता है जिससे कई बीमारियां होती हैं।


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