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साइंस फॉर इनोवेटिव नेशन बिल्डिंग

28 फरवरी 1928 को नोबल पुरस्कार विजेता भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन ने रमन इफेक्ट की खोज की थी। इसी की याद में साइंस डे मनाया जाता है। इस साल की थीम है-साइंस फॉर नेशन बिल्डिंग। महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन ने बताया था कि प्रकाश सिर्फ वेव है, इसमेें मॉलिक्यूल्स

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 18 Feb 2015 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 18 Feb 2015 02:22 PM (IST)
साइंस फॉर इनोवेटिव नेशन बिल्डिंग

28 फरवरी

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नेशनल साइंस डे

28 फरवरी 1928 को नोबल पुरस्कार विजेता भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन ने रमन इफेक्ट की खोज की थी। इसी की याद में साइंस डे मनाया जाता है। इस साल की थीम है-साइंस फॉर नेशन बिल्डिंग।

महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन ने बताया था कि प्रकाश सिर्फ वेव है, इसमेें मॉलिक्यूल्स के गुण नहीं पाए जाते। आइंस्टीन ने इसकेविपरीत सिद्धांत दिया और कहा कि प्रकाश केवल तरंग ही नहीं है, इसमेें कुछ गुण अणुओं के भी पाए जाते हैं। प्रोफेसर सीवी रमन ने रमन प्रभाव की खोज कर आइंस्टीन के सिद्धांत को साबित भी कर दिया। उनके इस सिद्धांत से मॉलिक्यूल और एटम के स्ट्रक्चर को समझने में काफी मदद मिली। उनकी खोज फिजिक्स और केमिस्ट्री दोनों में ही काफी इंपॉर्टेंट मानी जाती है। उन्होंने कहा कि प्रकाश एनर्जी पार्टिकल्स का बना होता है और उन्होंने एक रंगीन प्रकाश का एनालिसिस कर यह साबित भी कर दिया। कुछ नया करने और खोजने की उनकी प्रवृत्ति ने ही उन्हें महान साइंटिस्ट बनाया।

आज रमन तो नहीं हैं, लेकिन हमारे देश में लाखों ऐसे टीनएजर्स हैं, जिनके अंदर कुछ नया करने की ललक है। अपनी इसी खोजी और इनोवेटिव प्रवृत्ति के फलस्वरूप टीनएजर्स एक से एक नायाब इनोवेशन सामने ला रहे हैं। आइए, ऐसे ही कुछ स्मार्ट इनोवेशंस पर नजर डालते हैं...

इको-फ्रेेंडली मैकेनिकल पंप

हैदराबाद के गायत्री जूनियर कॉलेज, बचूपल्ली केकुछ स्टूडेंट्स की टीम ने यह पंप बनाया है। इस टीम में श्रुति प्रिया, निरुपमा, अनु नित्या, ऐश्वर्या और राम्या शामिल हैं। सिंचाई के लिए डिजाइन किया गए इस पंप में बिजली की खपत न के बराबर है।?किसानों केेलिए पंप चलाने में लगने वाली बिजली हमेशा से बड़ी समस्या रही है। यह पंप इसी प्रॉब्लम को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस पंप मेें एक ही जैसे दो पावरफुल मैग्नेट्स का इस्तेमाल किया गया है। इनके बीच एक स्प्रिंग है। दोनों मैग्नेट्स एक दूसरे से दूर जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन स्प्रिंग उन्हें खींचता रहता है। इस तरह ये हमेशा मूवमेेंट में रहते हैं और पंप चलता रहता है।

देसी फ्रिज

सेंट जेवियर्स हाईस्कूल, मुंबई के स्टूडेेंट्स अथर्व पाध्ये, श्रेयस पेंडभाजे, यश आचरेकर, प्रणव भोंसले को रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल कहीं न कहीं खटकता था। हर महीने आने वाले बिजली के भारी बिल से परेशान थे। टीवी पर और अखबारों में ग्लोबल वार्र्मिंग के खतरों के बारे में भी पढ़ते थे। उन्होंने पढ़ा था कि ग्लोबल वार्र्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसों में एक फ्रियॉन भी है। यह गैस रेफ्रिजरेटर में इस्तेमाल होती है। फिर उन्होंने ऐसा फ्रिज बनाने की ठान ली, जिसमें बिजली और फ्रियॉन दोनों की ही जरूरत न पड़े। अपने टीचर सुसन जॉर्ज की मदद से इन स्टूडेंट्स ने दो गमलों से देसी फ्रिज बनाया है। इस रेफ्रिजरेटर में फल और खाना भी रखा जा सकता है?जो कई दिनों तक खराब नहीं होगा।?इसमें पीने का पानी भी ठंडा होकर निकलता है जिसकेे लिए टोंटी भी लगाई गई है। ये स्टूडेंट्स बताते हैं किउन्होंने यह ईको फ्रेंडली फ्रिज खास तौर पर उनके लिए बनाया है, जो महंगे रेफ्रिजरेटर अफोर्ड नहींकर सकते।

अल्टीमेट पावर कार

सरस्वती विद्यालय हाईस्कूल ऐंड कॉलेज ऑफ साइंस, ठाणे के स्टूडेंट्स आकाश डी, समृद्धि वी, श्रपा पी, अमेया पी और नेहा पी अपने शहर में बहुत-सी कारें देखते थे। इनसे ढेर सारा धुआं निकलता है। इन्हें चलाने के लिए पेट्रोल भी खूब खर्च होता है।?इसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के मकसद से इन स्टूडेेंट्स ने अपने टीचर की मदद से एक अल्टीमेट कार डिजाइन की है। इसमें सोडियम क्लोराइड और पानी से चलने वाले इलेक्ट्रोलिटिक इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। यह सस्ता भी है और धुआं भी नहीं छोड़ता है।

मेक योर व्हीकल ग्रीनर

श्री गायत्री जूनियर कॉलेज, आरकेपुरम, हैदराबाद के स्टूडेंट्स साई श्रीनिजा, मोईनुुद्दीन, विष्णुवर्धन और साईनाथ ने मिलकर एक ऐसी व्हीकल बैटरी बनाई है जो अपने आप चार्ज होती जाती है, बस आप चलते जाएं। इसमें एक ही व्हीकल में पांच बैकअप सोर्स लगाए हैं। ये पांच सोर्सेज हैं- थर्मो-इलेक्ट्रिक सोर्स, पीजो इलेक्ट्रिक सोर्स, रेडियो वेव्स टु डीसी कनवर्टर, डायनमो और सोलर पंप। इसकी बैटरी बॉडी हीट से चार्ज हो जाती है। इसमेें डायनमो के इस्तेमाल से बिजली पैदाकर बैटरी चार्ज कर दी जाती है। सोलर पंप यूज करके सोलर एनर्जी से बिजली पैदाकर बैटरी चार्ज कर दी जाती है। इसका इंजन 1.67 हार्स पावर का है। यह ऑपरेटस बैटरी से चलने वाली कारों और स्कूटर्स पर ऑपरेट किया जा सकता है।

ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम

उडुपी में वी के आर आचार्य मेमोरियल हाई स्कूल, कुंडापुर के 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स कश्यप बी, एच विवेक गिरिधर, राश्विन रवि शेट्टी, एलॉय सेवियो मेंडोका और अमूल्या ने अपने मेंटर विकास कुमार पोरवाल के गाइडेंस में ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम बनाया है। दरअसल, ये स्टूडेंट्स हर रोज के ट्रैफिक जाम से बेहद परेशान थे। वे देखते थे कि सिर्फ जानकारी की कमी की वजह से जहां ट्रैफिक थोड़ी भी ज्यादा है, वहां और भी गाडिय़ां आ जाती हैं और नतीजा होता है, लंबा ट्रैफिक जाम। यह सिस्टम सेंसर्स पर बेस्ड है। ट्रैफिक जंक्शंस पर सेंसर्स लगे रहेंगे। ये सेंसर्स वहां से गुजरने वाली गाडिय़ों की संख्या नोट करते रहेंगे। हर ट्रैफिक जंक्शन की एक फिक्स्ड ट्रैफिक कैपेसिटी होगी। ट्रैफिक बढ़ते ही सेंसर्स अलर्ट हो जाएंगे। इसकी सूचना कॉल सेंटर के जरिए सर्कुलेट कर दी जाएगी और आने-जानी गाडिय़ों को उनके हिसाब से डायवर्ट कर दिया जाएगा।

टीनएजर्स का इनोवेशन

कर्नाटक की मणिपाल यूनिवर्सिटी में हर साल टीनोवेटर्स कॉम्पिटिशन कराया जाता है। इसमें देश भर से टीनएजर स्टूडेंट्स से इनोवेशंस की एंट्री मंगाई जाती है। उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाता है और विनर को पुरस्कार स्वरूप 5 लाख रुपये दिए जाते हैं। 2015 के कॉम्पिटिशन में श्री गायत्री जूनियर कॉलेज, बचुपल्ली, हैदराबाद के स्टूडेंट्स ने बाजी मारी। फस्र्ट रनर-अप सरस्वती विद्यालय हाईस्कूल, ठाणे के बच्चे रहे, जबकि सेकंड रनर-अप सदाशिवपुर के पूर्ण प्रज्ञा एजुकेशन सेंटर के स्टूडेंट्स रहे। फस्र्ट रनर-अप टीम को 3 लाख और सेकंड रनर-अप टीम को 1 लाख रुपये दिए गए। वीकेआर आचार्य इंग्लिश मीडियम स्कूल, कुंडापुर, उडुपी और डीएवी पब्लिक स्कूल,राजपुरा के स्टूडेंट्स को सांत्वना पुरस्कार के रुप में 50-50 हजार रुपये दिए गए।

इनपुट: मिथिलेश श्रीवास्तव


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