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वुमन एजुकेशन मेरा लक्ष्य

सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 में 19वीं रैंक लाकर आइएएस बनीं हरियाणा के सोनीपत की कोमल अपनी सफलता का राज दृढ़ निश्चय और लगन को मानती हैं। जानें कोमल की कामयाबी की कहानी.. वुमन एजुकेशन के मामले में हरियाणा बहुत आगे नहीं है। ऐसे में सिविल सर्विसेज एग्जाम में कोमल की कामयाबी वहां की महिलाओं के लिए नई राह दिखाने वाली है।

By Edited By: Published: Tue, 08 Jul 2014 03:47 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jul 2014 03:47 PM (IST)
वुमन एजुकेशन मेरा लक्ष्य

सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 में 19वीं रैंक लाकर आइएएस बनीं हरियाणा के सोनीपत की कोमल अपनी सफलता का राज दृढ़ निश्चय और लगन को मानती हैं। जानें कोमल की कामयाबी की कहानी..

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वुमन एजुकेशन के मामले में हरियाणा बहुत आगे नहीं है। ऐसे में सिविल सर्विसेज एग्जाम में कोमल की कामयाबी वहां की महिलाओं के लिए नई राह दिखाने वाली है। कोमल पहले प्रयास में आइआरएस के लिए चुनी गई थीं, लेकिन उनकी मंजिल कुछ और थी। यही कारण है कि अपने दूसरे ही प्रयास में 19वीं रैंक के साथ आइएएस चुनी गईं।

सपना हुआ सच

मेन्स और इंटरव्यू दोनों अच्छे हुए थे, इसलिए सफलता को लेकर आश्वस्त थी। लेकिन 19वीं रैंक मिलेगी, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। जब फ्रेंड्स ने फोन पर मरी रैंक के बारे में बताया, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि मेरा सपना था आइएएस बनना, जो अब पूरा हो चुका है।

प्राथमिकता वुमन एजुकेशन

वुमन एजुकेशन और उनकी सिक्योरिटी के लिए काम करना कोमल का सपना है। वे कहती हैं कि आइएएस बनने के बाद मुझे महिलाओं के विकास के लिए काम करने का मौका मिलेगा। एक सिविल सवर्ेंट को गरीब, बेसहारा, अभावग्रस्त और डिफरेंट टाइप के लोगों के बीच जाकर काम करने, उनकी समस्याओं को करीब से समझने का मौका मिलता है, यह पूरी तरह से नया अनुभव होगा।

क्वालिटी एजुकेशन

मैंने क्वांटिटी की बजाय क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस किया। इसीलिए मैंने कभी घड़ी देख कर पढ़ाई नहीं की। जब मन करता था, तब पढ़ती थी। मन नहीं करता था, तो खाना, पीना, सोना और बैडमिंटन खेलना होता था। किसी टार्गेट की तरफ बढ़ते समय बीच-बीच में रिफ्रेशमेंट बेहद जरूरी है।

स्मार्ट स्ट्रेटेजी

बेहतरस्ट्रेटेजी के कारण ही सिविल सर्विसेज के सिलेबस में बदलाव का मुझ पर कोई खास असर नहीं पड़ा। मैंने बेसिक्स क्लियर किए और सबसे पहले सिविल सर्विसेज के मेन्स एग्जाम की तैयारी की। उसके बाद प्रिलिम्स की तैयारी की। प्रिलिम्स के बाद मुझे मेन्स के पेपर का सिर्फ रिवीजन करना था। मेरी इस स्ट्रेटेजी ने मुझे सिविल सर्विसेज एग्जाम में दोनों बार सफलता दिलाई। मुझे पता था कि इंटरव्यू में मेरी हॉबी, रेज्यूमे और मेरे होम स्टेट पर बोर्ड का फोकस हो सकता है, इसकी तैयारी मैंने ठीक से की।

नहीं था इंटरव्यू का हौवा

मेरा इंटरव्यू रजनी राजदान के बोर्ड में था। बोर्ड का रुख काफी दोस्ताना था। मुझसे पूछा गया कि मुरथल किस लिए फेमस है? वहां सबसे अच्छा ढाबा कौन-सा है? सच कहूं तो मुझे फील ही नहीं हुआ कि मैं इंटरव्यू बोर्ड के सामने बैठी हूं। मुझे इंटरव्यू में 275 में से 179 मा‌र्क्स मिले।

शॉर्ट-कट नहीं

सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता। अगर आप 8-9 घंटे रेगुलर स्टडी करेंगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी। प्रिलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू, इस एग्जाम के सभी स्टेज पर अलग-अलग चैलेंजेज हैं। हर स्टेज की लगन से तैयारी करनी होगी, तभी सफलता मिल सकती है।

फैमिली सपोर्ट

पापा ने हमेशा मुझे एनकरेज किया। मां मुझे घर के कामों से दूर ही रखती थीं। बहन काम्या को हमेशा से विश्वास था कि एक दिन मेरा सलेक्शन आइएएस के लिए जरूर होगा। भाई आकाश कहता था कि तुम्हारी मेहनत एक दिन अवश्य रंग लाएगी। परिवार और रिश्तेदारों ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

ऑनेस्टी जरूरी

सिविल सर्र्वेट्स में ऑनेस्टी का होना बेहद जरूरी है। डिसीजन मेकिंग कैपेसिटी भी सिविल सर्वेट्स की पर्सनैलिटी में होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त पेशेंस, प्रेशर हैंडलिंग कैपेसिटी के साथ-साथ एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रोच का होना बहुत जरूरी है। कोमल मित्तल (सोनीपत)

आइएएस टॉपर, रैंक-19

Profile @?Glance

-स्कूलिंग : हिंदू विद्यापीठ स्कूल, सोनीपत

-एमबीए : दीनबंधु छोटूराम साइंस-टेक यूनि., मुरथल

-पहला प्रयास (2012) : 125वीं रैंक, आइआरएस में सलेक्शन

-दूसरा प्रयास (2013) : 19वीं

रैंक, आइएएस में सलेक्शन

-पिता : शिव मित्तल, व्यवसायी

-मां : अनिता मित्तल, गृहिणी

-बड़ी बहन: काम्या, एमबीए

-छोटा भाई : आकाश, अमेरिका से इंजीनियरिंग की पढ़ाई जारी

इंटरैक्शन : राजीव रंजन


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