अर्बन प्लानिंग नींव नए-स्मार्ट इंडिया की
2011 के सेंसस के अनुसार, भारत की करीब 37.7 करोड़ आबादी शहरों में रहती है। वहीं, अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 5
2011 के सेंसस के अनुसार, भारत की करीब 37.7 करोड़ आबादी शहरों में रहती है। वहीं, अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 59 करोड़ तक पहुंच जाएगी। शहरीकरण की इस तेज रफ्तार के कारण ही केंद्र की नई सरकार 'स्मार्ट सिटी' प्रोजेक्ट के तहत इंडिया के करीब 100 शहरों को मेट्रो सिटी की तर्ज पर डेवलप करना चाहती है। इसके लिए करीब 7,060 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया है। कई देशों ने इस प्रोजेक्ट में इनवेस्टमेंट को लेकर रुचि दिखाई है। जापान 'स्मार्ट सिटी' के रूप में वाराणसी को विकसित करना चाहता है। जाहिर है, इससे कंस्ट्रक्शन सेक्टर में बूम आएगा और अर्बन प्लानिंग के क्षेत्र में काम के अवसर बढ़ेंगे।
क्रिएटिव यूथ की डिमांड
आबादी की बुनियादी रिहायशी जरूरतों को पूरा करने के लिए वैसे तो अर्बन और टाउन प्लानिंग के क्षेत्र में प्राइवेट बिल्डर्स से लेकर गवर्नमेंट एजेंसीज सक्रिय हैं, लेकिन अर्बन प्लानिंग सेक्टर में ऐसे क्रिएटिव और इनोवेटिव आइडियाज रखने वाले युवाओं की मांग बढ़ रही है, जो भारत के फ्यूचर शहरों का निर्माण कर सकें। एक सक्सेसफुल अर्बन प्लानर बनने के लिए आपके पास पर्यावरण, प्रदूषण, इकोलॉजी, डेमोग्राफी, लैंड इकोनॉमिक्स, सोशल कल्चर, सोशियोलॉजी आदि की जानकारी होनी आवश्यक है। इसके अलावा, लोगों को किफायती और बजट वाले हाउसिंग ऑप्शन देना, ट्रांसपोर्टेशन मुहैया कराना भी इनके ही हाथ में होता है। इन सबके अलावा आप में टीम स्पिरिट, लीडरशिप और को-ऑर्डिनेशन स्किल का होना भी जरूरी है।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स अर्बन ऐंड रीजनल प्लानिंग में बीटेक और एमटेक कोर्स संचालित करते थे, लेकिन अब स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर समेत कई इंस्टीट्यूट ऐसा कर रहे हैं। बीटेक में एडमिशन के लिए आपको साइंस स्ट्रीम के साथ हायर सेकंडरी करना होगा। इंस्टीट्यूट्स में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए सलेक्शन किया जाता है। ज्योग्राफी, इकोनॉमिक्स और सोशियोलॉजी में न्यूनतम 50 प्रतिशत के साथ मास्टर्स करने वाले पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में अप्लाई कर सकते हैं।
स्पेशलाइजेशन से ग्रोथ
अर्बन प्लानिंग में करियर बनाने वाले स्टूडेंट्स एनवायर्नमेंट, ट्रांसपोर्ट, अर्बन डिजाइन, रीजेनरेशन, लैंडस्केप प्लानिंग और हेरिटेज में स्पेशलाइजेशन कर ग्रोथ हासिल कर सकते हैं। वे चाहें तो एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉविजन आदि में विशेषज्ञता हासिल कर लोकल इकोनॉमिक डेवलपमेंट में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वैसे भी अर्बन प्लानिंग के तहत आपको आर्किटेक्चर, सिविल इंजीनियरिंग, ज्योग्राफी, ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल ऐंड कॉमर्शियल एरिया के डेवलपमेंट की स्टडी करनी होती है।
पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर में स्कोप
अर्बन प्लानर्स के लिए पब्लिक सेक्टर के अलावा प्राइवेट सेक्टर में काम करने के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं। आप इंटरनेशनल कंसल्टेंसी, सरकारी टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट, हाउसिंग बोर्ड, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन, अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटीज, डिस्ट्रिक्ट एवं रूरल प्लानिंग ऑफिस, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, रियल एस्टेट, एनजीओ, राज्य या केंद्र सरकार की परियोजनाओं से जुड़ कर भी काम कर सकते हैं। अर्बन प्लानर्स की मास्टर प्लानिंग, रीजेनरेशन और इको-डेवलपमेंट में भी काफी डिमांड रहती है। आप अर्बन डिजाइन, ट्रांसपोर्ट, एक्सेसिबिलिटी प्लानिंग और हेल्थ सेक्टर में काम कर सकते हैं।
टॉप इंस्टीट्यूट्स
-इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स, दिल्ली
itpi.org.in
-सर जेजे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई
www.sirjjarchitecture.org
-स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर,
दिल्ली www.spa.ac.in
-सेंटर फॉर एनवायर्नमेंट प्लानिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद www.cept.ac.in
-आइआइटी, खड़गपुर www.iitkgp.ac.in
-स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर ऐंड प्लानिंग,
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
www.annauni1.edu/sap
लोकल एरिया प्लानर्स की डिमांड
अर्बन प्लानिंग एक नॉलेज बेस्ड करियर है। इसमें यूथ के लिए काफी स्कोप है, क्योंकि आज लगभग हर शहर के डेवलपमेंट के लिए करीब 200 से 300 अर्बन प्लानर्स की जरूरत है। खासकर लोकल एरिया प्लानिंग और डेवलपमेंट के लिए इस समय प्लानर्स की बेहद कमी है। दरअसल, प्लानिंग में न्यू कॉन्सेप्ट्स के आने से ट्रेडिशनल की जगह कॉम्प्रिहेंसिव प्लानिंग ज्यादा कारगर साबित हो रही है। ऐसे में जो स्टूडेंट्स कॉम्प्रिहेंसिव अर्बन प्लानिंग में खुद को स्किल्ड बनाते हैं, मार्केट में उनकी डिमांड अधिक होती है। आप चाहें तो इसके लिए दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया से एकस्टिक्स में मास्टर्स कोर्स कर सकते हैं।
ऋषिदेव, आर्किटेक्ट ऐंड एकस्टिशियन, दिल्ली
इंटरैक्शन : अंशु सिंह