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इमेजिन यू आर ए स्पाइडर

लर्र्निंग और टीचिंग का बेस्ट तरीका है-इमेजिनेशन। स्पाइडर पर एसे लिखवाने से अच्छा है, आप बच्चे से कहें कि- इमेजिन यू आर ए स्पाइडर, अब लिखो कि दिन भर क्या किया... एजुकेशन के इसी अपडेटेड वर्जन से रु-ब-रु करा रहे हैं शेमरॉक ऐंड शेमफोर्ड ग्रुप ऑफ स्कूल्स के वाइस चेयरमैन

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 07 Jan 2015 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jan 2015 02:49 PM (IST)
इमेजिन यू आर ए स्पाइडर

लर्र्निंग और टीचिंग का बेस्ट तरीका है-इमेजिनेशन। स्पाइडर पर एसे लिखवाने से अच्छा है, आप बच्चे से कहें कि- इमेजिन यू आर ए स्पाइडर, अब लिखो कि दिन भर क्या किया... एजुकेशन के इसी अपडेटेड वर्जन से रु-ब-रु करा रहे हैं शेमरॉक ऐंड शेमफोर्ड ग्रुप ऑफ स्कूल्स के वाइस चेयरमैन ऐंड मैनेजिंग डायरेक्टर अमोल अरोड़ा...

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बोर्र्डिंग, सरकारी, प्राइवेट, को-एड, ओनली फॉर ब्वॉयज..मैंने करीब-करीब हर तरह के स्कूल में पढ़ाई की। हर स्कूल का सिस्टम समझता गया। जहां यूके के सरकारी स्कूल में डिसिप्लिन सीखी, तो वहीं देहरादून के बोर्र्डिंग स्कूल में अकेले अपनी लाइफ को मैनेज करके रहना सीखा। धीरे-धीरे मेरे मन में एक अलग तरह के स्कूल का कॉन्सेप्ट डेवलप होता चला गया। यही कॉन्सेप्ट साकार हुआ शेमफोर्ड ग्रुप ऑफ स्कूल्स के रूप में।

बॉस ने दिखाया सही रास्ता

करीब 25 साल पहले मां ने दिल्ली के अशोक विहार में शेमरॉक प्ले स्कूल खोला था। उस समय इसका कॉन्सेप्ट इतना हिट हुआ कि लोग फ्रेेंचाइजी लेने के लिए टूट पड़े। मैं तब 14 साल का था। मैं एमबीए करने के बाद यूएसए में कनेक्शैंट कंपनी में काम कर रहा था। उस दौरान मेरे बॉस मुझसे बार-बार शेमरॉक के बारे में पूछते थे। उनकी सलाह थी कि मुझे इंडिया जाकर शेमरॉक को आगे बढ़ाना चाहिए। मैंने उनसे कहा, सर उस कंपनी का एनुअल टर्नओवर इतना भी नहीं है, जितनी यहां मेरी सैलरी है। फिर भी अंदर से आवाज आई कि मेरा सही रास्ता वही है। फिर मैं घर के लिए निकल पड़ा।

डिमांड के हिसाब से खोला स्कूल

इंडिया आने के बाद कुछ गार्जियंस ने कहा कि आप लोग बहुत अच्छा प्ले स्कूल चला रहे हैं। हमारे बच्चों को किसी दूसरे स्कूल का माहौल अच्छा नहींलगता। हमारे बच्चों को आगे भी आप ही पढ़ाइए। तब हमने 2009 में शेमफोर्ड नाम से सीनियर सेकंडरी स्कूल खोला। पहला स्कूल बिहार के हाजीपुर में और दूसरा उत्तराखंड के काशीपुर में खुला।

काम न आई इंग्लैंड की इंग्लिश

इंग्लैंड के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद मैं वापस इंडिया आकर बोर्र्डिंग स्कूल में पढऩे चला गया। दोनों देशों के एजुकेशन सिस्टम में बहुत ज्यादा अंतर है। वहां पूरी पढ़ाई इंग्लिश में होने के बावजूद मैं यहां आकर इंग्लिश में फेल हो गया। यहां एग्जाम्स में ग्रामर बेस्ड ऐसे क्वैश्चंस पूछे गए, जो मेरी समझ से बाहर थे, इसीलिए मैं सॉल्व नहींकर पाया।

रट्टू नहीं, क्रिएटिव बनें

इंडियन स्कूल्स में बच्चों को रटना सिखाया जाता है। ब्लैकबोर्ड पर नोट्स लिखे जाते हैं, जिसे बच्चे कॉपी करते हैं, जबकि अमेरिका में बच्चों को कोई चीज याद ही नहीं रहती। वे खुद अपने दिमाग और क्रिएटिविटी से काम करते हैं।

एजुकेशन में फ्रीडम हो

इंडिया में एजुकेशन पर बहुत ध्यान दिया जाता है। बच्चे की पढ़ाई को लेकर पेरेंट्स बहुत कांशस रहते हैं। बच्चा एग्जाम में अच्छे माक्र्स लेकर आए, इसके लिए गार्जियंस चौबीस घंटे बच्चों पर दबाव देते रहते हैं। अमेरिका या ब्रिटेन में ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि अमेरिकियों के मंथली खर्च में एजुकेशन का नंबर चौथा आता है।

एजुकेशन का असल मतलब

असल में एजुकेशन तभी सार्थक है, जब बच्चा खुद ही सीखने लगे। ऐसी क्लास का क्या मतलब जिसमें बैठे बच्चों के मन में यही चलता रहे कि कब घंटी बजे और हम बाहर खेलने जाएं। मान लीजिए वोल्केनो के बारे में बच्चों को पढ़ाना है, तो ब्लैकबोर्ड पर उसके बारे में यह लिख देने से बच्चा क्या समझेगा। अगर हम बच्चों को उसकी वीडियो दिखाकर समझाएं, तो वे कभी नहींभूलेंगे कि वोल्केनो क्या होता है।

क्रिएटिविटी को बाहर लाना होगा

इंडियन एजुकेशन सिस्टम में गाय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। इंग्लैंड में बच्चों से कहा जाता है कि मान लो आज तुम स्पाइडर हो, अब दिनभर क्या करोगे, इसी पर निबंध लिखो। यह टेंडेसी बच्चों के अंदर उनका खुद का टैलेंट डेवलप करता है, उनकी क्रिएटिविटी को उभारकर सामने लाता है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम में इसकी बहुत कमी है।

अमोल अरोड़ा

-जन्म: 13 जनवरी 1976, अमृतसर

-मां: डॉ. विमला अरोड़ा, प्रोफेसर (होम साइंस)

-पिता: डॉ. डीआर अरोड़ा, प्रोफेसर (सोशियोलॉजी)

एजुकेशन

-1995 से 1999: दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीई

-2000-2002: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया इरविना (यूएसए) से एमबीए

-2004-2006: यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम (यूके) से एजुकेशन लीडरशिप ऐंड मैनेजमेंट में पीजी रिसर्चर

जॉब

-टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, अलेफ इंक, सैंटा एना, कैलिफोर्निया

-कनेक्शैंट सिस्टम्स, न्यूपोर्ट बीच, कैलिफोर्निया

इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव


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