हर विष्य कुछ सिखाता है...
चूंकि पिछले साल बोर्ड परीक्षा में मैंने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं और मैं नृत्य प्रतियोगिता में काफी पुरस्कार भी जीत चुका हूं, इसलिए मुझे एक प्रतिष्ठित कॉलेज में बीए इकोनॉमिक्स में प्रवेश मिल गया। घंटों पढ़ाई के बावजूद कॉलेज स्तर पर मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं। मैंने
चूंकि पिछले साल बोर्ड परीक्षा में मैंने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं और मैं नृत्य प्रतियोगिता में काफी पुरस्कार भी जीत चुका हूं, इसलिए मुझे एक प्रतिष्ठित कॉलेज में बीए इकोनॉमिक्स में प्रवेश मिल गया। घंटों पढ़ाई के बावजूद कॉलेज स्तर पर मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं। मैंने इसके लिए कई बार घंटों एग्जाम पेपर्स पर नजरें दौड़ाईं और फिर यही पाया कि यह कोर्स काफी रूखा या अरुचिकर है। लीनियर अल्जेब्रा, स्टैटिस्टिकल मेथड्स और इकोनॉमिक्स, हिस्ट्री जैसे विषय काफी एकेडमिक और तर्कहीन लगते हैं। हालांकि स्कूली स्तर पर इकोनॉमिक्स में खूब नंबर मिलते थे, आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। मैं काफी निराश हूं।
अक्सर स्टूडेंट्स के सामने इस तरह की परेशानी आती है। दसवीं और बारहवीं के बाद जब स्टूडेंट्स आगे की पढ़ाई के लिए कोई विषय चुनते हैं, तो अक्सर उनके सामने इस तरह के बहुत-से सवाल सामने आते हैं। अब जब एडमिशन प्रॉसेस को पूरा हुए तीन-चार महीने से अधिक का समय हो गया है, तो कई स्टूडेंट्स के मन में इस तरह के तमाम सवाल उठ रहे होंगे।
देखिए, इस बारे में मैं सबसे पहले यह कहना चाहूंगी कि कॉलेज के स्तर पर स्टूडेंट्स को अपनी स्किल्स पर बहुत काम करना होता है। यहां स्किल या स्किल्स शब्द का विशेष तौर पर उल्लेख कर रही हूं बनिस्पत ब्रेन या इंटेलिजेंस के। सबसे बड़ी बात यह है कि आपको स्मार्ट तरीके से कोशिशें करनी होती हैं। कई बार आपको चीजों को बेसिक स्किल के साथ समझना होता है। इससे जटिल से जटिल समस्याओं का भी समाधान हो जाता है।
अगर आपको बढि़या कॉलेज में एडमिशन मिला है, तो आप योग्य हैं ही, बस अब आपको स्मार्ट भी बनना है। कॉलेज स्तर पर अधिकांश छात्र-छात्राएं अक्सर शुरुआती सफर में निराश होने लगते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे स्कूल में तो टॉपर थे, पर यहां उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसका असली कारण यही है कि हम अपनी स्किल्स पर काम नहीं करते हैं। स्किल्स डेवलप और ग्रूम करने के लिए आपको स्मार्टनेस के साथ मेहनत करनी होती है। यह उतना सरल भी नहीं है। यह आपके अंदर नेचुरली नहीं आती है और इसके लिए बार-बार ट्राई करना होता है। पश्चिमी देशों मे तो कई यूनिवर्सिटी स्किल्स की स्पेशल स्टडी के लिए सेमिनार और कोर्स कराते हैं।
वैसे, एक बात और समझिए कि स्किल सिर्फ आपके स्कूल या कॉलेज लेवल पर ही नहीं, ताउम्र आपके काम आती है। यह आपके जीवन के हर चरण में आपकी मदद करती है। जब आप रिक्रूटमेंट बोर्ड के समक्ष जाते हैं, तो वहां भी आपकी स्किल्स की परीक्षा ली जाती है। कॉलेज के दौरान सोचने की क्षमता और नए कार्यों को करने के दौरान आप मौजूदा परिस्थितियों में अपनी इसी स्किल को लागू करने की प्रवृत्ति सीखते हैं।
जब कुछ अरुचिकर विषय जैसे कैलकुलस आदि पढ़ते हैं, तो शुरुआत में तो हमें वे बोरिंग लगते हैं, पर धीरे-धीरे ये विषय हमें धैर्यवान भी बनाते हैं। इकोनॉमिक्स एक दिलचस्प विषय है, पर आपको ऐसा तभी लगेगा जब आप इसे गहराई से समझेंगे। आप इकोनॉमिस्ट बनना चाहें या नहीं, पर जब आप इस विषय को अच्छी तरह से समझते हैं, तो आप पाते हैं कि असल दुनिया में यह आपके लिए कितना लाभदायक सिद्ध हो रहा है। ऐसा सिर्फ इकोनॉमिक्स के साथ ही नहीं है। शुरुआत में आपको नए विषय कुछ अरुचिकर लगेंगे, पर एक बार आप उनमें मन लगा लेंगे और फिर स्किल डेवलप कर उनका स्टडी करेंगे, तो उसके बाद देखिए आपको उस अमुक विषय में कितना मजा आता है।
याद रखिए, एजुकेशन आपके लिए एक एसेट की ही तरह है। आप जहां भी जाते हैं यह संपत्ति सदैव आपके साथ रहती है। परवीन मल्होत्रा, डायरेक्टर, केयरिंग