प्रॉब्लम्स से फ्रीडम
सोशल स्टार्टअप्स एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जिसमें सोसायटी की सेवा करने के साथ अर्निग के भी अच्छे चांसेज हैं..
आईआईटी से इंजीनियरिंग और आईआईएम से मैनेजमेंट करने वाले स्टूडेंट्स के लिए मनी और फेम पाना डिफिकल्ट नहीं है। अच्छी लाइफस्टाइल लीड करने का इन्हें पूरा मौका मिलता है, लेकिन इसी लीग के कुछ यंग और ब्राइट माइंड्स ने सोशल एंटरप्रेन्योरशिप के जरिए सिस्टम को पीपल फ्रेंडली बनाने का आइडिया निकाला। आईआईटी कानपुर और आईआईएम कोझिकोड के मुट्ठी भर स्टूडेंट्स (अब प्रोफेशनल्स) ने पब्लिक को घर बैठे, चाय की चुस्की लेते हुए आरटीआई फाइल करने का एक बडा प्लेटफॉर्म www.rtination.comके रूप में दिया।
कैसे करता है फंक्शन
आरटीआईनेशन.कॉम के मार्केटिंग हेड रासल द्विवेदी के मुताबिक, अगर किसी को आरटीआई फाइल करनी है, तो ऑफिसेज के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। बस उनकी वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराएं, एप्लीकेशन फॉर्म फिल करें और इसकेबाद का सारा काम आरटीआईनेशन डॉट कॉम की टीम पर छोड दें। ये टीम देखेगी कि मामला किस सेक्टर और गवर्नमेंट डिपार्टमेंट से जुडा है। कौन ऑफिसर है, जो इसके लिए जवाबदेह है। ये सारी इंफॉर्मेशन लेने के बाद टीम आरटीआई फाइल कर देगी। रासल कहते हैं कि इस पूरे प्रॉसेस के लिए आपको सिर्फ 150 रुपये खर्च करने होंगे। आप चाहें तो वेबसाइट पर दी गई सैंपल एप्लीकेशंस की मदद से आरटीआई फाइल कर सकते हैं। उनके अनुसार, टीम का एक ही मोटो है, बी द चेंज।
फर्स्ट कॉन्सेप्ट
अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि इस तरह के कॉन्सेप्ट का ख्याल कैसे आया? पोर्टल के वेब डेवलपर प्रतीक कुमार के मुताबिक खुद आरटीआईनेशन डॉट कॉम की टीम के एक मेंबर को आरटीआई एप्लीकेशन दाखिल करने के दौरान ऑफिसेज के चक्कर लगाने पडे थे। तभी उन्हें अहसास हुआ कि जिस देश में मिनटों में पिज्जा से लेकर कैमरा तक की होम डिलीवरी हो जाती है, वहां आरटीआई फाइल करना कितना मुश्किल है। इन्हीं सब कंडीशंस को देखते हुए एक ऐसा पोर्टल बनाने का डिसीजन लिया गया, जिसकी मदद से सिटीजंस ऑनलाइन आरटीआई फाइल कर सकें और इस तरह 15 अगस्त को आरटीआईनेशन डॉट कॉम की शुरुआत हुई। रासल कहते हैं कि पढाई के दौरान टीम के फाउंडर मेंबर्स ने आईआईटी कानपुर में इंडिया इंस्पायर्ड नाम से एक इनिशिएटिव लिया था। कैंपस में स्टूडेंट्स को अवेयर करने के लिए 14 ऐड फिल्म्स बनाईं। वही एफर्ट्स आज रंग ला रहे हैं।
इंपैक्ट
रासल कहते हैं कि उनकी वेबसाइट लोगों की थिंकिंग से लेकर उनकी लाइफ में कई चेंजेज लाई है। यही वजह है कि आज हर हफ्ते करीब 100-150 के बीच आरटीआई एप्लीकेशंस आ जाती हैं। उन्होंने बताया कि एक एप्लीकेंट नितिन गुप्ता ने पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर रखा था। सारी फॉर्मेलिटीज पूरी कर दी थीं, फिर भी पासपोर्ट नहीं मिल रहा था। उन्होंने पोर्टल से कॉन्टैक्ट किया और महीने भर के भीतर उनका पासपोर्ट घर पहुंच गया। इसी तरह एक और व्यक्ति प्रवीण शर्मा को पीएफ के बारे में इंफॉर्मेशन नहीं मिल रही थी। उन्होंने भी वेबसाइट से संपर्क किया और जल्द ही पीएफ का स्टेटस जान लिया। नितिन और प्रवीण की तरह ढेरों एग्जांपल्स हैं, जिनकी प्रॉब्लम को आरटीआईनेशन की टीम ने सॉल्व किया है। जिन लोगों ने कभी आरटीआई फाइल करने की सोची भी न थी, वे भी आरटीआईनेशन की मदद से आरटीआई फाइल कर रहे हैं। इसमें स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स सभी शामिल हैं।
टीम वर्क
आरटीआईनेशन की टीम में कुल चार मेंबर्स हैं, रासल, राहुल, प्रतीक और प्रशांत। आईआईटी कानपुर के ग्रेजुएट राहुल पोर्टल के लिए स्ट्रैटेजी बनाते हैं और इसके फुलटाइम सीईओ भी हैं। वहीं, आईआईएम कोझिकोड से एमबीए करने वाले रासल मार्केटिंग का काम देखते हैं, जबकि आईआईटी कानपुर के ग्रेजुएट वाले प्रतीक वेबसाइट का ऑपरेशन और यहींके स्टूडेंट प्रशांत का काम वेब डेवलपमेंट है।
अंशु सिंह