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बिहेव विद एटिकेट्स

ऑफिस एटिकेट में बिहेवियर और कलीग्स के साथ बेटर रिलेशन जरूरी हैं। ये दोनों चीजें ऑफिस में आपकी इमेज को बेटर करने का काम करती हैं..

By Edited By: Published: Wed, 19 Jun 2013 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2013 12:00 AM (IST)
बिहेव विद एटिकेट्स

ड्रेस स्पीक्स

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ऑफिस में सबसे पहले लोगों की नजर हमारी ड्रेस पर जाती है। ड्रेस हमारे प्रोफेशन से मैच करती होनी चाहिए। हमारे कलीग्स किस तरह की ड्रेस पहन रहे हैं और क्या हमारी ड्रेस उनकी ड्रेस से मैच कर रही है, यह बात हमें माइंड में रखनी होगी। हमें ऐसा कुछ भी नहीं पहनना चाहिए कि जिससे हम लोगों से अलग नहीं, लोग हमसे अलग हो जाएं।

बाउंड्री ऑफ रिलेशनशिप

ऑफिस में सबसे अच्छे रिलेशन भी कंपनी में हमारी ग्रोथ को डिसाइड करते हैं। लेकिन कई बार किसी एक या दो के साथ जरूरत से ज्यादा रिलेशन हमारी इमेज को डैमेज भी कर देते हैं, चाहे इससे हमारा कोई मतलब हो या न हो। कलीग्स के बीच कई बार कॉम्पिटिशन निगेटिव लिमिट क्रॉस कर जाता है और इसमें एक-दूसरे को डैमेज करने के लिए हर तरह का उपाय आजमाया जाता है। पर्सनल रिलेशंस को भी उछाला जाता है। इस तरह के गेम से बचने के लिए ऑफिस में रिलेशन के लिए भी एक बाउंड्री डिसाइड कर लें। अगर हम अपनी रिलेशनशिप को ऑफिस तक ही सीमित रखेंगे, तो दूसरों को हम पर आरोप लगाने के चांस आसानी से मिलेंगे ही नहीं।

नो पर्सनल कमेंट्स

ऑफिस में वर्क लोड रहता है और इसी के बीच माइंड फ्रेश करने के लिए सभी मौका मिलते ही एक-दूसरे को जोक सुनाकर हंस भी लेते हैं। इसे गुड हैबिट माना जाता है, लेकिन कई बार यह डेंजरेस भी हो जाता है। हम ध्यान नहीं रखते कि हमारा एक पल का जोक किसी की कास्ट, रिलीजन, फिगर, लैंग्वेज आदि को टारगेट कर देता है और उससे हमारे रिलेशन खराब हो जाते हैं। ऑफिस में फुर्सत के पल हंसते हुए गुजारें, लेकिन अपनी लिमिट का हमेशा ध्यान रखें।

विश ऑलवेज

अधिकतर ऑफिसों में अब ऑनलाइन वर्क हो रहा है। वर्कर्स को एक-दूसरे से ज्यादा बात करने की जरूरत ही नहीं पडती है। ऐसे में ऑफिस के लोगों से अच्छे रिलेशन के लिए जरूरी है कि ऑफिस में एंट्री करते समय जो भी मिले, उसे गुड मॉर्निग कहें या जो हमसे कहे, उसका जवाब इन्हीं शब्दों में दें और जब इवनिंग में ऑफिस से निकलें तो जो हमें मिले उनसे गुड इवनिंग बोलें। आपके ये दो शब्द ही सब से रिलेशन बेटर कर देंगे।

नो राउडी राठौर..प्लीज

ऑफिस में सभी की पोस्ट बराबर नहीं होती। कोई छोटी पोस्ट पर होता है तो कोई बडी। कई बार हम अपने से छोटी पोस्ट वालों के साथ अच्छे रिलेशन रखना ही नहीं चाहते।

उनसे बात करने में कतराते हैं, लेकिन ऑफिस कल्चर में इसे अच्छा बिहेवियर नहीं माना जाता है। हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए कि लोग हमें राउडी मानने लगें। कलीग्स अगर आपसे वर्क से रिलेटेड कोई हेल्प लेने आएं तो उन्हें इग्नोर न करें। उनकी हेल्प करें। जब आपको हेल्प की जरूरत पडेगी तो वह भी आपकी हेल्प करेंगे।

एक्सपर्ट टॉक

आज के कॉम्पिटिशन वाले व‌र्ल्ड में वही इंडस्ट्री ग्रोथ कर रही है, जो बिजनेस, वैल्यू और एटिकेट्स के लिए जानी जाती है। सभी बडे ग्रुप्स में एटिकेट्स की वही वैल्यू है, जो टेक्निकल फील्ड में नई इन्फॉर्मेशन की होती है। अपने यहां वर्कर्स में टीम एप्रोच की कमी है। टीम वर्क को हमें अपने एटिकेट्स में शामिल करना होगा। वर्कर्स ऑफिस की पॉलिटिक्स से बचें और अपने वर्क एरिया पर ही फोकस करें। सबसे बात करें और जरूरत पडने पर हेल्प भी।

भूपेन्द्र कौशल,

असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट, ह्यूमन रिसोर्स

इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री


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