जी.एल.ए. में बी.एड. प्रशिक्षुओं ने मनायी स्वामी विवेकानन्द जयंति
जी.एल.ए. विश्वविद्यालय, मथुरा के शिक्षा बी.एड संकाय में स्वामी विवेकानन्द जयंति मनायी गयी। कार्यक्रम की शुरुआत रामकृश्णपरमहंस मिशन से
जी.एल.ए. विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) के शिक्षा (बी.एड) संकाय में स्वामी विवेकानन्द जयंति मनायी गयी। कार्यक्रम की शुरुआत रामकृश्णपरमहंस मिशन से आये हुए विशिष्ट अतिथियों स्वामी दिव्यतत्वानन्द, भक्तिसुधानन्दा, कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान, निदेशक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव श्री अशोक कुमार सिंह एवं विभागीय प्राचार्या डाॅ. जया द्विवेदी ने माँ सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द एवं प्रेरणास्रोत स्व. श्री गणेशी लाल अग्रवाल के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस अवसर पर रामकृश्णपरमहंस मिशन के स्वामी दिव्यतत्वानन्द, भक्तिसुधानन्दा जी ने उपस्थित सभी लोगों को स्वामी विवेकानन्द जी के पदचिन्हों पर चलने के लिए आह्वान करते हुए बताया कि भारत वर्श का पुर्नुउत्थान संभव है, परन्तु वह शारीरिक शक्ति से नहीं बल्कि आत्मशक्ति से होगा।
कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि राश्ट्र का उत्थान विनाश की ध्वजा लेकर नहीं बल्कि शान्ति एवं प्रेम की ध्वजा से ही हो सकता है। उन्होंने प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमें अपनी भावनाओं व सद्गुणों को हमेशा जीवित रखना है और अच्छे महापुरुशो का अनुसरण करना है।
स्वामी जी के विचारों को विद्यार्थियों और बी.एड. प्रशिक्षुओं में प्रसारित करते हुए निदेशक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि मनुश्य तभी मनुश्य कहा जा सकता है कि जब वह अपनी प्रकृति से ऊपर उठने के लिए संघर्श करता है। यह प्रकृति बाह्य और आन्तरिक दोनों है। विवेकानन्द उन महान व्यक्तियों में से एक हैं जो मानव सेवा एवं आध्यात्म का श्रेश्ठ सम्मिश्रण हैं। उन्होंने अपना जीवन गरीब और असहाय लोगों की सेवा को समर्पित कर दिया। आध्यात्म को प्रतिदिन के कर्म मे कैसे प्रयोग करें, इसका श्रेश्ठ उदाहरण स्वामी विवेकानन्द एवं राश्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं।
वहीं विभागीय प्राचार्या डाॅ. जया द्विवेदी ने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानन्द को युवाओं का प्रेरणास्रोत बताया।
क्रार्यक्रम का संचालन विभागीय प्रवक्ता ज्योति शर्मा एवं बी.एड. प्रशिक्षु कार्तिकी अग्रवाल ने किया और समापन डाॅ अमित कौशिक के धन्यवाद ज्ञापन तथा राष्ट्रगान से हुआ। शिक्षा संकाय के प्रवक्ता हेमकुमार सिसौदिया एवं प्रीति वर्मा की उपस्थिति एवं छात्राध्यापको का उत्साह प्रशंसनीय रहा और कुॅ बृजेश द्वारा एकलगान और कुॅ नताशा द्वारा स्वामी जी के विचारों का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया गया।