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दिउरीबासा में धूमधाम से मना मागे पर्व, पहली बार हुआ खेलकूद

झींकपानी के दिउरीबासा में मागे पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। बीते वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बहुत जोश-ओ-खरोश के साथ पर्व का आगाज हुआ। गांव के युवा वर्ग ने मागे उत्सव कार्यक्रम की बागडोर संभाली।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 09:07 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 09:07 PM (IST)
दिउरीबासा में धूमधाम से मना मागे पर्व, पहली बार हुआ खेलकूद
दिउरीबासा में धूमधाम से मना मागे पर्व, पहली बार हुआ खेलकूद

संवाद सूत्र, झींकपानी : झींकपानी के दिउरीबासा में मागे पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। बीते वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बहुत जोश-ओ-खरोश के साथ पर्व का आगाज हुआ। गांव के युवा वर्ग ने मागे उत्सव कार्यक्रम की बागडोर संभाली। सात दिन के इस पर्व को पूरे नियम के साथ चरणबद्ध तरीके से मनाया गया। परंपरा के अनुसार पहला दिन-अनादेर जिसमें गांव के दिउरी मानकी-मुंडा ने देशाउली का आह्वान किया और सहायक दिउरी लांडा मुंडा ने गांव के प्रत्येक घर का पवित्र जल से शुद्धिकरण किया। दूसरे दिवस गौ महरा की परंपरा निभाई गई। तीसरे दिन ओते इली की रस्म पूरी की गई जिसमें पूरे बासाहातु मौजा के ग्रामीणों ने दिउरी के आंगन में यह रस्म अदायगी की। चौथे दिन हे: सकम की परंपरा को निभाया गया। पांचवे दिन लोयो' गुरी की परंपरा निभाई गई। छठे दिन मरड मागे (पर्व) जिसमें दिउरीबासा गांव के दिउरी मानकी- मुंडा एवं सहायक दिउरी लांडा मुन्डा एवं दिउरी एरा (महिला पाहन) नितिमा मुंडा सुमित्रा मुंडा एवं गुंदली मुंडा ने मिलकर गांव के सभी तबके के ग्रामीणों के सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना की। सातवें दिन रोड़े: बासा के दिउरी की अगुवाई में जतरा मागे की पूजा-अर्चना की गई। आठवें दिन गांव के लोगों खासकर बच्चों के द्वारा बड़म बोड़गा को खदेड़ा गया जिसे परंपरागत रूप से हरमगेया कहा जाता है। दिउरीबासा का इतिहास

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करीबन 80 दशक पहले इस गांव को पोदना हो (मुन्डा) नामक व्यक्ति ने बसाया था इसलिए इस गांव का तात्कालिक नाम पोदनाबासा पड़ गया । यही 'पोदना हो' बासाहातु मौजा का पहला दिउरी हुआ इसलिए अब इस गांव का नाम दिउरीबासा पड़ गया ।उस समय पोदना हो दिउरी के अगुवाई में करीबन एक दर्जन गांव /टोली सम्मिलित रूप से मागे पर्व मनाते थे।जिसमे झींकपानी अंतर्गत डुडियाबासा, कुंकलसई (कुम्हारटोली) , मुखियासई, कमरसई ,लुगुनसई ,हाटसई, , डोमसई , बुरूबासा , बादुबासा ,रोड़े:बासा टोटाबासा एवं दिउरीबासा शामिल थे। वर्तमान में (करीबन दो दसक से) अब बासाहातु मौजा के चार गांव रोड़े:बासा, बादुबासा, टोटाबासा और दिउरीबासा ही सम्मिलित रूप से मागे पर्व मनाते हैं । खेलकूद का पहली बार हुआ आयोजन

मागे पर्व का आठवाँ दिन यानि हर मगेया के दिन बासाहातु मौजा के दिउरीबासा में प्रथम रूप से स्पो‌र्ट्स का आयोजन किया गया जिसमें बासाहातु मौजा के ग्रामीणों के साथ-साथ पर्व में आए दूर-दरा•ा के मेहमानों ने भी शिरकत किया। जिसमें 100 मीटर बालक(आयू 5-8वर्ष) में प्रकाश गोप (डोमसई), 100 मीटर बालिका (आयू 5-8वर्ष) में मैना मुन्डा (दिउरीबासा), 200 मीटर दौड़ बालिका 10-15 आयू वर्ग में सुमित्रा मुन्डा (दिउरीबासा) ,चम्मच-कंचा रेस (15 ) मे महक गोप (दिउरीबासा) , मेढक रेस में प्रकाश गोप (डोमसई) , बिस्कुट रेस में गीता मुन्डा (दिउरीबासा) 400 मीटर दौड़ बालक में बिरसा बानरा, जमशेदपुर, सुई-धागा रेस मे सुषमा मुन्डा (दिउरीबासा) ,सकम पूउ प्रतियोगिता मे मंजू पुरती (जमशेदपुर), आटा चॉकलेट रेस बालक वर्ग मे कृष्णा बालमुचु (जमशेदपुर) वहीं बालिका में अनिशा गोप( डोमसई), बोतल में पानी भरना प्रतियोगिता में टेकराहातु निवासी जॉन कलुन्डिया , मटका फोड़ में अनिता बालमुचु (गुड़ा) ,परफेक्ट बिन्दी प्रतियोगिता में सुरसिंह बालमुचु (गुड़ा) और बॉल पास प्रतियोगिता मे बाली मेलगन्डी (राजनगर)विजेता रहे। इस आठ दिवसीय कार्यक्रम को दिउरीबासा संचालक समिति ने क्रियान्वित किया जिसमें विनोद गोप, जामदार मुन्डा, सौरभ गोप, जगदीश मुन्डा, पवन मुन्डा, गोनो मुन्डा, शंकर मुन्डा, सोमा मुन्डा, चम्पाय मुन्डा , मंगल गोप, कानु गोप, चन्द्र शेखर मुन्डा और पोदना मुन्डा थे।


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