जनजातियों के स्तर में ज्यादा सुधार नहीं
जागरण संवाददाता, चाईबासा : आजादी के पहले भी विकास में गैप था वह आज भी बना हुआ है। यह ब
जागरण संवाददाता, चाईबासा : आजादी के पहले भी विकास में गैप था वह आज भी बना हुआ है। यह बात राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने परिसदन में बैठक के बाद प्रेसवार्ता के दौरान कही। उरांव ने कहा कि जनजाति के लोगों की हालत में ज्यादा सुधार नहीं आ रहा है। ट्राइबल कल्चर में खर्च हो रहा है लेकिन फायदा नजर नहीं आ रहा है। ट्राइबल लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसमें पारदर्शिता लाने की जरूरत है।
प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी है, अच्छे शिक्षकों को उच्च विद्यालय में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। जिससे प्राथमिक स्तर के पढ़ाई की गुणवत्ता में कमी साफ दिखाई दे रही है। इस पर डीएसई को निर्देश दिया गया है कि जल्द ही प्रतिनियुक्त शिक्षकों को अपने स्कूल भेजें। उन्होंने कहा कि भ्रमण के दौरान काफी कमी देखी। कॉलेज बना है पर छात्रावास की कमी है। जिससें जनजाति के बच्चे प्राइवेट घर में रह का पढ़ नहीं पाते हैं। वनाधिकार पट्टा व्यक्तिगत व सामुदायिक दिया जाय, लेकिन ज्यादा से ज्यादा सामुदायिक पट्टा देने से पूरा समुदाय उसका लाभ ले सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग बेहतर नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टर व एएनएम नहीं रहते हैं साथ ही दवा का भी अभाव रहता है। मनरेगा योजना में मजदूरों को काफी देरी से पैसा मिलता है, जिसके चलते मजदूर काम करने जाना नहीं चाहते हैं। उरांव ने कहा कि भूमिहीन जनजातीय लोगों को प्रधानमंत्री आवास व इंदिरा आवास योजना के तहत सरकारी जमीन पर मकान बना कर रहने दिया जाए। पेयजल गांव में लोगों में उचित मात्रा में नहीं मिल पाता है। बड़ानंदा गांव में ग्रामीण एक किलो मीटर दूर से पीने का पानी लाने को मजबूर है। कई जगह जलमीनार बना है पर बिजली व पंप नहीं लगने के कारण उसे चालू नहीं किया जा सकता है। विलुप्त जनजाति बिरहोर के मैट्रिक पास युवकों को सीधी नौकरी देने का प्रावधान है। इसलिए उन लोगों को सीधा नौकरी दिया जाये, जिससे वह सामाजिक रुप से अन्य लोगों के साथ मिल सके। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत छूटे हुए लोगों का नाम जल्द से जल्द जोड़ा जाये, जिससे समय रहते लाभुकों को लाभ मिल सके।