फाइलों में दबकर रह गयी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खूंटपानी की जांच
जिला शिक्षा विभाग कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में जांच को लेकर बहुत गंभीर नजर नहीं आता।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : जिला शिक्षा विभाग कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में जांच को लेकर बहुत गंभीर नजर नहीं आता। यही वजह है कि गड़बड़ियां पाये जाने के बाद भी संबंधित लोगों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। चाईबासा निवासी सुनील हेम्ब्रम ने इस पर सवाल उठाये हैं। सुनील ने बताया कि अगले कुछ माह में इन विद्यालयों में टेंडर निकलने वाले हैं। ऐसे में लंबित मामले फिर से
चर्चा का विषय बने हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खूंटपानी इसका एक उदाहरण है। इस विद्यालय में मई 2018 में निविदा संबंधी जांच की गयी थी। जांच में कई तरह की गड़बड़यिां पायी गयीं थी। तत्कालीन जांच समिति ने 12 बिदुओं पर जांच कर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंप दी थी। उसके बाद से फाइल आज तक नहीं खुली।
जांच में यह बात सामने आयी थी कि संवेदक संतोष कुमार डे की निविदा में माप-तौल नहीं पाया गया था परंतु अंडा, प्याज व आलू को छोड़कर सभी प्रकार की सब्जी का निविदा संतोष कुमार डे को ही दे दिया गया था। विद्यालय द्वारा संपादित किये गए निविदा प्रक्रिया के अवलोकन से यह बात सामने आयी थी कि प्रति वर्ष चिह्नित आपूíतकर्ता (संतोष कुमार डे एवं तिरुपति सेल्स चाईबासा) को ही चयनित करने के लिए निविदा प्रक्रिया हेतु निर्धारित मापदंडों को अनदेखा करते हुए संतोष कुमार डे एवं तिरुपति सेल्स चाईबासा को आपूíतकर्ता के रूप में चयनित किया जाता रहा है, जो राज्य एवं जिला द्वारा निर्धारित निविदा प्रक्रिया के प्रतिकूल है। जांच में यह भी बात सामने आयी थी कि विद्यालय में आपूíत किया जाने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। इसके अलावा क्रय समिति द्वारा सरसों तेल का निविदा प्रति लीटर (1 लीटर पैक में) के आधार पर अनुमोदित किया गया है, परंतु आपूíतकर्ता द्वारा 15 लीटर का सरसों तेल उपलब्ध कराया जा रहा है, जो निविदा प्रक्रिया का पूरी तरह से उल्लंघन है। कस्तूरबा विद्यालयों से जुड़े लोगों का कहना है कि इतनी गड़बड़यिां पाये जाने के बाद भी आपूíतकर्ता पर कार्रवाई न होना शंका पैदा करता है। अगले कुछ माह में शिक्षा विभाग की ओर से फिर से निविदा निकालने व डालने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। ऐसे में पुरानी जांच के आधार पर ऐसे आपूíतकर्ताओं को टेंडर में भाग लेने से रोका जाये।