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स्वच्छ वातावरण में जीने को प्रेरित करती है संगति : अनूप कुमार

मनुष्य का जीवन अपने आस-पास के वातावरण से प्रभावित होता है। मूलरूप से मानव के विचारों और कार्यों को उसके संस्कार व वंश-परंपराएं ही दिशा दे सकती हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 08:10 PM (IST)
स्वच्छ वातावरण में जीने को प्रेरित करती है संगति : अनूप कुमार
स्वच्छ वातावरण में जीने को प्रेरित करती है संगति : अनूप कुमार

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : मनुष्य का जीवन अपने आस-पास के वातावरण से प्रभावित होता है। मूलरूप से मानव के विचारों और कार्यों को उसके संस्कार व वंश-परंपराएं ही दिशा दे सकती हैं। यदि उसे स्वच्छ वातावरण मिलता है तो वह कल्याण के मार्ग पर चलता है। यदि वह दूषित वातावरण में रहता है तो उसके कार्य भी उससे प्रभावित हो जाते हैं। यह बातें बड़ाजामदा आदर्श मीडिल स्कूल में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला को संबोधित करते हुए सहायक शिक्षक अनूप कुमार महतो ने कही। उन्होंने बताया कि मनुष्य जिस वातावरण एवं संगति में अपना अधिक समय व्यतीत करता है। उसका प्रभाव उसपर अनिवार्य रूप से पड़ता है। मनुष्य ही नहीं वरन पशुओं एवं वनस्पतियों पर भी इसका असर होता है। उन्होंने उदहरण देते हुए बताया कि मांसाहारी पशु को यदि शाकाहारी प्राणी के साथ रखा जाए तो उसकी आदतों में स्वयं ही परिवर्तन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सत्संगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करती है। सत्संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है। विकास के लिए सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है। बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है। सत्संगति के प्रभाव से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी सदाचारी हो जाते हैं। ऋषियों की संगति के प्रभाव से ही वाल्मीकि जैसे भयानक डाकू महान बन गए। अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आने के बाद हत्या, लूटपाट के कार्य को छोड़कर सदाचार के मार्ग को अपनाया। संतों के प्रभाव से आत्मा के मलिन भाव दूर हो जाते हैं तथा वह निर्मल बन जाती है। सत्संगति एक प्राण वायु है जिसके संसर्ग मात्र से मनुष्य सदाचरण का पालक बन जाता है। सत्संगति ज्ञान की भी सबसे बड़ी साधिका है। इसके बिना तो ज्ञान की कल्पना तक नहीं की जा सकती जो छात्र संस्कार वाले छात्रों की संगति में रहते हैं उनका चरित्र श्रेष्ठ होता है। उनके सभी कार्य उत्तम होते हैं। उनसे समाज एवं राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ती है। सत्संगति के माध्यम से हम अपने लाभ के साथ-साथ अपने देश के लिए भी निष्ठावान नागरिक बन सकेंगे।

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