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ढिबरीयुग में जीवन जीने को विवश हैं सांगाजाटा के ग्रामीण

पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा प्रखंड अंतर्गत आराहासा पंचायत के सांगाजाटा गांव के ग्रामीण विगत 20 वर्षों से सरकारी जन सुविधा से वंचित है। इससे लोगों को मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 08:05 PM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 08:05 PM (IST)
ढिबरीयुग में जीवन जीने को विवश हैं सांगाजाटा के ग्रामीण
ढिबरीयुग में जीवन जीने को विवश हैं सांगाजाटा के ग्रामीण

जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा प्रखंड अंतर्गत आराहासा पंचायत के सांगाजाटा गांव के ग्रामीण विगत 20 वर्षों से सरकारी जन सुविधा से वंचित है। इससे लोगों को मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है। जैसे स्वास्थ्य, एंबुलेंस, सड़क, पेयजल, विद्यालय, बिजली, नदी में पुलिया, पीएम आवास, सरकार की जन सुविधाएं पहुंच से दूर है। इस संबंध में अंबेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष मनहरन हेंब्रम, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रामहरि गोप, जिला सचिव विकास अंगरिया, जिला कोषाध्यक्ष गुनाराम मुंडरी व प्रखंड सचिव प्रेम सिंह अंगरिया तथा माटा कायम ने उपायुक्त अरवा राजकमल को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है। ज्ञापन में बताया कि गांव से 25 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय गोईलकेरा चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए जाते हैं। अत्यधिक दूरी होने के कारण बीमार व्यक्ति एवं गर्भावस्था महिलाएं बीच सड़क में ही दम तोड़ देती हैं और नजदीक उप-स्वास्थ्य केंद्र ना होने के कारण बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं होता है। आधुनिक भारत में आज भी सांगाजाटा ग्रामीण क्षेत्र के लोग ढिबरीयुग में जीवन जीने को विवश हैं। बिजली ना होने से बच्चे पढ़ाई-लिखाई में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सांगाजाटा जैसे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की ओर से संचालित 108 एंबुलेंस तक नहीं पहुंचती है। सांगाजाटा गांव से प्रखंड मुख्यालय सह अंचल कार्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क ना होने से ग्रामीण पगडंडियों का सहारा लेकर प्रखंड मुख्यालय तक आने-जाने को मजबूर हैं। घनी आबादी वाले गांव लगभग 175 परिवार में एक भी पेयजल हेतु चापाकल या कुआं ना होने से गांव के ग्रामीण क्षेत्र के लोग नदी का पानी पीने को मजबूर है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग मलेरिया जैसी बीमारियों से अत्यधिक मात्रा में लोग ग्रसित है। एक से पांच तक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के अभाव में बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं। शिक्षक निर्धारित समय पर स्कूल ना आने के वजह से भी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। इसका खामियाजा यह निकल रहा है कि आज सांगाजाटा के ग्रामीण मुख्य विचारधारा से भटक रहे है।

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