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वन क्षेत्र से बाहर हाथियों की सुरक्षा की निगरानी करेंगे ग्रामीण युवा की टीम

वन क्षेत्र से बाहर हाथियों की हो रही मौत को वन विभाग ने गंभीरता से लिया है। अब वन क्षेत्र से बाहर विचरण करने वाले हाथियों की निगरानी के लिए ग्रामीण युवाओं की टीम को निगरानी करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 08:12 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 08:12 PM (IST)
वन क्षेत्र से बाहर हाथियों की सुरक्षा की निगरानी करेंगे ग्रामीण युवा की टीम
वन क्षेत्र से बाहर हाथियों की सुरक्षा की निगरानी करेंगे ग्रामीण युवा की टीम

मो. तकी, चाईबासा : वन क्षेत्र से बाहर हाथियों की हो रही मौत को वन विभाग ने गंभीरता से लिया है। अब वन क्षेत्र से बाहर विचरण करने वाले हाथियों की निगरानी के लिए ग्रामीण युवाओं की टीम को निगरानी करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे हाथियों के आने-जाने समेत उनके रास्ते में आने वाली सभी कठिनाईयों को दूर करने के साथ विभाग को इसकी जानकारी भी देंगे। जिससे आए दिन हो रहे हाथियों की मौत को रोका जा सके। इस संबंध में जानकारी देते हुए चाईबासा वन प्रमंडल के डीएफओ सत्यम कुमार ने कहा कि वन विभाग के क्षेत्र में निगरानी के लिए फोरेस्ट कर्मी तैनात रहते हैं। हाथियों के आने-जाने समेत हर गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। जिससे हाथियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने पाए। लेकिन जब हाथी जंगल से निकलकर दूसरा रास्ता बना लेते हैं तो उसकी निगरानी जल्द नहीं हो पाती है। इसलिए अब वन विभाग के द्वारा ऐसे एरिया का चयन किया जा रहा है, जिस क्षेत्र से हाथी लगातार आते-जाते हैं। उस गांव में युवाओं की टीम को तैयार किया जाएगा। जिनके द्वारा हाथियों के आने-जाने समेत उनके रास्ते में आने वाले बिजली के तार, गड्ढे, शिकारी समेत अन्य चीजों पर निगरानी करते हुए विभाग को सूचित भी करेंगे। एक वर्ष में पश्चिम सिंहभूम में हुई 10 हाथियों की मौत

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पूरा विश्व हाथियों के संरक्षण को लेकर चितित है। लेकिन पश्चिम सिंहभूम जिला में वन विभाग हाथियों के संरक्षण को लेकर उतना गंभीर नजर नहीं आ रहा है। अगर विभाग गंभीर होता तो एक वर्ष में सिर्फ पश्चिम सिंहभूम जिला में 10 हाथियों की मौत नहीं होती। इसमें चार मौत तो हाथियों के पनाहगाह कहे जाने वाले मंझारी थाना अंतर्गत ही 6 माह के अंदर हुई है। मंझारी थाना के दुधबिला गांव के कालीटीका कोचा पहाड़ के नीचे खेत में बिजली का तार का घेरा बनाकर एक युवा हाथी की हत्या की गई थी। जबकि मंझारी थाना के तांतनगर ओपी के जावबेड़ा जंगल के पास बने तालाब में हाथियों के कुचलने से दो शिशु हाथी की मौत हो गई थी। वहीं मनोहरपुर में ट्रेन के धक्के से एक हाथी की मौत हुई थी। जबकि सारंडा में एक जख्मी हाथी की भी मौत हुई है। इसके अलावा गोईलकेरा व सारंडा क्षेत्र में तीन अन्य हाथियों की मौत हुई थी। बिजली विभाग ग्रामीण क्षेत्र के तारों की नहीं करता निगरानी

- मंझारी के रंकुई में युवा हाथी की मौत मामले में बिजली विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है। विभाग की ओर से कभी ग्रामीण क्षेत्र के तारों की जांच नहीं की जाती है। जबकि जंगल क्षेत्र और उनके आसपास के गांवों में जानवरों के आवाजाही को देखते हुए केबल तार लगाने का निर्देश विभाग को है। सुबह 4 बजे तक हथनी की चिघाड़ सुनते रहे ग्रामीण

रंकुई गांव के पास रात में धान खाने के लिए दो हाथी एक हथनी जा रहे थे। तार काफी नीचे होने के कारण उसकी चपेट में आ गया। इसके बाद साथ में मौजूद हथनी ने हाथी को निकालने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह नहीं उठा। हथनी के चिघाड़ने की आवाज सुबह 4 बजे तक ग्रामीणों ने सुनी। दिन निकलता देख हथनी पंगा जंगल की ओर चली गई। मंझारी, तांतनगर, कुमारडुंगी, मझगांव, जगन्नाथपुर, राजनगर प्रखंड का क्षेत्र ओडिशा राज्य से जुड़ा हुआ है। ओडिशा का शिमली फाल हाथियों का सबसे सुरक्षित जंगल माना जाता है। जिसमें बहुतायत संख्या में हाथी रहते हैं। वहीं से भोजन की तलाश में हाथी इन्हीं रास्तों से भ्रमण करते हुए सारंडा जंगल पहुंचते हैं। इस क्षेत्र में सालभर हाथी मौजूद रहते हैं।


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