जलस्तर का दोहन कर चाईबासा में चल रहा बोतलबंद पानी का कारोबार
बोतल बंद पानी का कारोबार पिछले पांच वर्ष में दो गुणा स्तर से बढ़ा है। सिर्फ चाईबासा शहर में रोजाना 5-6 लाख से अधिक का कारोबार किया जा रहा है। बोतल बंद पानी के कारोबार के बढ़ते व्यापार को देखते हुए चाईबासा शहर में 4-5 स्थानीय कंपनी पानी को बेचने में लगी हुई हैं।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : बोतल बंद पानी का कारोबार पिछले पांच वर्ष में दो गुणा स्तर से बढ़ा है। सिर्फ चाईबासा शहर में रोजाना 5-6 लाख से अधिक का कारोबार किया जा रहा है। बोतल बंद पानी के कारोबार के बढ़ते व्यापार को देखते हुए चाईबासा शहर में 4-5 स्थानीय कंपनी पानी को बेचने में लगी हुई हैं। बोतल बंद पानी की कंपनी चलाने के लिए मनमाने ठंग से 400 से 450 फीट तक गहराई से पानी निकालने का काम करते हैं। इस पर प्रशासन का कोई कंट्रोल नहीं है। बिना नियम के इतनी गहराई से पानी निकालने से शहर के जल स्तर में इसका प्रभाव भीे देखने को मिल रहा है। सामान्य डीप बोरिग 150 से 200 फीट तक होती है। गर्मी के दिनों में कई आम लोगों को घरों में पानी की समस्या होने लगती है। एक पानी का 20 लीटर जार का 30 रुपये लिया जाता है। इसके लिए छोटे गाड़ियों से होम डिलीवरी का काम किया जाता है। लोकल बोतलबंद पानी सप्लायर पहले 200 रुपये लेकर जार बुक करवाती है। इसके बाद घरों तक दो-तीन दिन में गाड़ी से पानी की सप्लाई करते हैं। पांच व्यक्ति का परिवार महीने में 200 लीटर पानी पीने के काम में लाती है, तो उसे 300 रुपये महिना का खर्च सिर्फ पीने के पानी में करना पड़ता है। इसी प्रकार देखें तो शहर और आसपास 70 हजार परिवार रहता है। इसमें से 10 हजार परिवार भी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करता है तो यह कारोबार लाखों रुपये तक पहुंच जाता है। इसके अलावा जिला के अन्य हिस्सों में भी बोतलबंद कारोबार चला रहा है। बोतलबंद पानी का कारोबार करने वाले सरकार के नियम का पालन भी नहीं करते हैं।
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वाटर प्यूरिफाई में तीन गुणा अधिक होती है पानी की बर्बादी
- पानी के कारोबार के लिए सरकारी स्तर से कई शर्तें निर्धारित की गई है। इसके तहत बोतल बंद पानी के लिए बोतल के ऊपर कंपनी का नाम, पता, मोबाईल नंबर होना चाहिए। विभाग से लाईसेंस लेना, पानी किस दिन भरा गया, इसकी तिथि अंकित, कार्यालय में पानी तैयार करने व बेचने से संबंधित रजिस्टर, लोकल बॉडी से एनओसी लेना अनिवार्य है। वेस्ट वाटर के लिए उपाय जरूरी है। इसके अलावा वाटर प्यूरिफाइ के पश्चात पानी की बर्बादी भी तीन गुणा तक होती है। ऐसे में वेस्ट वाटर के सदुपयोग के लिए सोख्ता निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है। चूंकि अधिकांश वाटर प्लांट डीप बोरिग से संचालित है। ऐसे में पानी के दोहन के साथ-साथ ग्राउंड वाटर रिजार्च करने की भी व्यवस्था प्लांट संचालकों के लिए आवश्यक किया गया है।