अपनी जान जोखिम में डालकर पुलिस पदाधिकारी, जवान, चिकित्सक व नर्स कर्तव्यों का कर रहे पालन
कोरोना काल में पिछले लगभग दो वर्षो से पुलिस पदाधिकारी जवान चिकित्सक व नर्स जिस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे है यह ईश्वर की कृपा ही है।
त्रिवेणी अवस्थी, चाईबासा : कोरोना काल में पिछले लगभग दो वर्षो से पुलिस पदाधिकारी, जवान, चिकित्सक व नर्स जिस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे है यह ईश्वर की कृपा ही है। क्योंकि पुलिस पदाधिकारी, जवान, चिकित्सक व नर्स की ड्यूटी मानें तो 24 घंटे की रहती है। कई पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सकों तथा नर्सो ने बताया कि हमारे जीवन में कभी-कभी तो ऐसा समय आता है कि खाना खाने तक का समय नहीं मिल पाता है। क्योंकि पहले तो जिस पेशा से जुड़े हैं, उसको पूरा करना है। वहीं पुलिस पदाधिकारी की एक ऐसी जिम्मेवारी होती है कि सरकार व जिला प्रशासन की ओर से जारी सारे नियमों का पालन जनता को कराने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाता है, ताकि जनता सुरक्षित रहे। इसी जिम्मेदारी के लिए सरकार ने हमको चुना है और जिम्मेदारी दी है। इसी तरह चिकित्सक व नर्स एक सिक्के के दो पहलू हैं। चिकित्सक की राय पर नर्स मरीजों को भली-भांति अपनी सेवा देकर उचित मार्ग प्रशस्त करती है और जीवनदान देती है।
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कोविड-19 के अंतर्गत सरकार व जिले के वरीय पदाधिकारियों के आदेश का अनुपालन करते हुए पूरी निष्ठा के साथ कर्तव्य निर्वहन कर रहा हूं। क्योंकि कोरोना संक्रमण ऐसी बीमारी है कि किसी से पूछ कर नहीं आती हैं। इस संक्रमण से बचने के लिए सभी अधीनस्थ कर्मियों को भी अनुपालन करने के लिए उत्प्रेरित करता हूं। कोरोना काल में एक भी छुट्टी व ऑफ नहीं लेकर लगातार आमजनता की सेवा में तत्पर हूं।
फोटो - 1- निरंजन तिवारी, इंस्पेक्टर सह सदर थाना प्रभारी, चाईबासा।
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पिछले कोरोनाकाल में जब चौक-चौराहों पर ड्यूटी करते थे तो थोड़ा अटपटा लगता था। लेकिन एक वर्ष में कोरोना ने बहुत कुछ सिखा दिया है। अब तो कोरोना संक्रमण से बचकर अच्छे से ड्यूटी हो जा रही है। साथ ही वरीय पदाधिकारियों के साथ रहकर अपने कर्तव्यों का बखूबी पालन कर रहे हैं। जिस कारण पूर्ण रूप से स्वस्थ रहकर आमजनता को सेवा लगातार दे रहे हैं। सरकार व जिला प्रशासन के नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना भी नजदीक नहीं आएगा।
फोटो - 2- मेघराय मुर्मू, आरक्षी जवान, चाईबासा।
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ऐसे भी कहा गया है कि चिकित्सक भगवान का रूप होता है। इसलिए जो दर्जा दिया गया है उसपर खरा उतरना हमारा दायित्व है। सदर अस्पताल में प्रसूता से लेकर विभिन्न बीमारी के मरीज रोजाना पहुंचते है। इनकी देखभाल करना मेरी पहली जिम्मेदारी है। कोरोना संक्रमण को लेकर हमेशा डर बना रहता है, लेकिन जो मरीज आता है उसका इलाज करना मेरी पहली प्राथमिकता है। उम्र अधिक होने के कारण कोरोना संक्रमण से बचकर इलाज करती हूं।
फोटो - 3- डा. चंद्रावती बोयपाई, चिकित्सक सदर अस्पताल, चाईबासा।
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मरीजों के जीवन में नर्सों का काफी महत्व है। यूं भी कह सकते हैं कि मरीजों को जिंदा रखने में नर्सों की बड़ी भूमिका होती है। वह गंभीर से गंभीर मरीज की देखभाल करती हैं। अपने सुख-चैन को त्याग कर दूसरों की भलाई के लिए काम करती हैं। उनके योगदान और बलिदान के जज्बे को सलाम करने के लिए ही 12 मई का दिन नर्स डे के लिए चुना गया है। यह दिन दुनिया भर की नर्सों को समर्पित है। कोरोना काल में अपनी सुरक्षा के साथ-साथ दूसरों की सेवा समर्पित भाव से कर रही हूं।
फोटो - 4- रेखा कुमारी, एएनएम सदर अस्पताल, चाईबासा।
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सदर अस्पताल के दवा स्टोर रूम में मैं लगातार ड्यूटी कर रही हूं। पिछले एक वर्ष से कोरोना काल में यह स्टोर रूम पूरी तरह से चल रहा है। मैं अपनी सुरक्षा के साथ दूसरों की सुरक्षा का पूरा ध्यान देती हूं क्योंकि हम भी किसी परिवार से आते हैं। जब मैं घर से ड्यूटी करने जाती हूं, तो घर वाले मेरे पीछे काफी चितित रहते हैं। राज्य सरकार व स्वास्थ्य प्रशासन की गाइड लाइन को पूरी तरह अपनाते हुए निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हूं। हमारे पास चिकित्सकों की ओर से लिखे सैकड़ों पर्चा दवा देने के लिए आते हैं। ऐसे में घर पर नहीं बैठ सकती।
फोटो - 5- अंजलि सुंडी, फर्मासिस्ट सदर अस्पताल, चाईबासा।
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किसी गांव व सड़क दुर्घटना में जब घायल होकर कोई मरीज सदर अस्पताल पहुंचता है तो उसकी ड्रेसिग करने के पहले दिमाग में सौ सवाल घूमते है, लेकिन हम लोग अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटते। इंसान का जीवन अगर इंसान नहीं बचा पाया तो धरती पर रहना बेकार है। कभी-कभी तो ऐसा समय आता है कि सारे नियमों को ताक में रहकर पहले मरीज का उपचार करना ही मेरी पहली प्राथमिकता बन जाती है। कोरोना संक्रमण के दौरान एक बार मन में डर तो सताता है लेकिन जिम्मेदारी से हम लोग दूर नहीं भाग सकते हैं।
फोटो - 6- मिनी कुमारी, स्टॉफ नर्स सदर अस्पताल, चाईबासा।