उरांव समुदाय ने धूमधाम से मनाया जतरा पर्व
जतरा त्योहार उरांव समुदाय का ऐतिहासिक त्योहार है। इस त्योहार को विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
उरांव समुदाय ने धूमधाम से मनाया जतरा पर्व
जागरण संवाददाता, चाईबासा : जेष्ठ की शुरुआत व कड़ाके की धूप में भीषण गर्मी के बीच उरांव समुदाय का ऐतिहासिक जतरा पर्व पर मंगलवार को विधि पूर्वक पूजा-अर्चना पनभरवा (पुजारी) चमरू लकड़ा व दुर्गा कुजूर की ओर से की गई। चाईबासा के सातों अखाड़ा में क्षेत्रीय कमेटी के दिशा-निर्देश के अनुरूप नाच-गान धूमधाम से किया गया। जतरा त्योहार उरांव समुदाय का ऐतिहासिक त्योहार है। इस त्योहार को विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जब रोहतासगढ़ जो उरांव समुदाय का सुसम्पन्न साम्राज्य था, उस समय के उरांवों के राजा उरूगन ठाकुर हुआ करते थे। राज्य की खुशहाली एवं सुसम्वन्नता को देखकर विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा राज्य को अपने अधीन कब्जा करने की नियति से तीन बार आक्रमण किया, परंतु तीनों ही बार उन आक्रमणकारियों को पराजय का सामना करना पड़ा। इन तीनों युद्ध में दुश्मनों को पराजित करने में महिलाओं का विशेष योगदान रहा। सभी महिलाएं लड़कों के वेष में युद्ध की थी। महिलाओं की ओर से तीन बार विजय प्राप्त करने के बाद विजय का प्रतीक मानकर जीत के उपलक्ष्य में जतरा त्योहार मनाया जाने लगा। त्योहार में जिस ध्वज का उपयोग किया जाता है (जो नीले रंग की होती है) उस ध्वज के बीच में सफेद वृताकार के बीच तीन सफेद लकीर आज भी जीत के प्रतीक का चिह्न मौजूद है। इस अवसर पर मुख्य रूप से समाज के मुखिया लालू कुजूर व समाज के सभी पदाधिकारी राजू तिग्गा, खुदिया कुजूर, शंभू टोप्पो, राजेंद्र कच्छप, विक्रम लकड़ा, सीताराम मुंडा, जगन्नाथ लकड़ा, कृष्णा तिग्गा, उमेश मिंज, संजय तिग्गा, विश्वनाथ कुजूर, पंकज खलखो, जगन्नाथ टोप्पो, पिंटू कच्छप, संजय कुजूर, करमा कुजूर, सुखदेव मिंज, बंधन मिंज, कृष्णा मुंडा, नवीन कच्छप, राजेश कच्छप, बिगु लकड़ा, रामू टोप्पो, सुकरा बरहा, लखन टोप्पो, छिदु लकड़ा आदि उपस्थित थे।