पढ़ाने के नाम पर ले जाई गई बच्चियों से कराया जाता था घर का काम
मानव तस्कर के चंगुल से बरामद बच्चियों ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि काम नहीं करने पर मार पड़ती थी। पढ़ाई के बहाने घर से ले जाकर अपने घर का काम बर्तन कपड़े के अलावा अन्य काम कराए जाते थे। यह कहानी उन तीन बच्चियों की है जिन्हें पढ़ाने के नाम ले जाया गया था।
संसू, मनोहरपुर : मानव तस्कर के चंगुल से बरामद बच्चियों ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि काम नहीं करने पर मार पड़ती थी। पढ़ाई के बहाने घर से ले जाकर अपने घर का काम, बर्तन, कपड़े के अलावा अन्य काम कराए जाते थे। यह कहानी उन तीन बच्चियों की है जिन्हें पढ़ाने के नाम ले जाया गया था।
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा के सुदूरवर्ती गांव टिमरा से पढ़ाने के नाम पर राउरकेला ले जाकर घर का काम कर रही तीन और नाबालिग बच्चियों को बरामद कर ओडिशा पुलिस ने गुरुवार की शाम को घर भेज दिया। बरामद बच्चियों में टिमरा निवासी शंभू पूर्ति की 11 वर्षीय व 7 वर्षीय बच्ची के अलावा कूदा पूर्ति की 6 वर्षीय बच्ची शामिल है। तीनों अंकुआ स्कूल की छात्राएं हैं। 12 सितंबर को मानव तस्कर घर से पढ़ाने के नाम पर राउरकेला ले गए थे। वहीं दो वर्ष पूर्व पढ़ाई के नाम पर काम कराने ले जाई गई टिमरा निवासी डिम्बा पूर्ति की बच्ची को भी आडिशा की झीरपानी थाना पुलिस ने बरामद कर लिया है। वर्तमान में उसे बिसरा के दिशा चाइल्ड लाइन में रखा गया है।
इधर घर लौटी बच्चियों के परिजनों ने बताया कि उन्हें राउरकेला की शाहीन मिज नामक महिला पढ़ाने के नाम पर अपने घर ले गई थी। जहां उन्हें पढ़ाने के बजाय घर का काम कराया जाता था। बच्ची को वापस लाने का दबाव पड़ा कर दी गई गायब
दो वर्ष पूर्व टिमरा निवासी डिम्बा की नाबालिग बच्ची को पढ़ाने के नाम पर ओडिशा के झीरपानी थाना क्षेत्र की शाहीन मिज नामक महिला घर का काम कराती थी। परिजनों ने बच्ची को वापस लाने का दबाव डाला, तो पता चला कि बच्ची पिछले दो दिन से लापता है। इसकी शिकायत मिलने पर झीरपानी थाना पुलिस ने बुधवार की शाम को बरामद कर लिया। जिसे बिसरा स्थित दिशा चाइल्ड लाइन में रखा गया है। वहीं पड़ताल के दौरान पुलिस ने शाहीन मिज के घर से टिमरा की तीन और नाबालिग बच्ची को बरामद कर उन्हें गुरुवार की शाम को घर भेज दिया है। बताया जा रहा है कि सभी बच्चियों को उनके परिजनों के सहमति से ले जाया गया था।