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Jharkhand Assembly Election 2019 : अभी चाईबासा के वोटरों ने ओढ़ रखी है चुप्पी की चादर

चाईबासा विधानसभा क्षेत्र यहां चुनाव में काम करेगा व्यक्तित्व और विकास का भी फैक्टर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी बढ़त की कैसे भरपाई करेगी भाजपा

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 10:25 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  अभी चाईबासा के वोटरों ने ओढ़ रखी है चुप्पी की चादर
Jharkhand Assembly Election 2019 : अभी चाईबासा के वोटरों ने ओढ़ रखी है चुप्पी की चादर

चाईबासा (एम. अखलाक)। चाईबासा शहर पहुंचने के दो रास्ते हैं। सरायकेला मोड़ से लोहापुल पार कर, और कुजु पुल होते हुए रेलवे फाटक पार कर। दोनों रास्तों से आप सीधे शहर में घुस जाएंगे। थोड़ी दूर चलने के बाद सदर एसडीओ कार्यालय भी आ जाएगा। नामांकन के चंद रोज बचे हैं। यहां चहुंओर खादी चमक रही है। हाथों में रंग बिरंगे झंडे हैं।

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हर नेता के पीछे भीड़ है। इन सब के बावजूद शहर हो या गांव कहीं चुनावी शोर नहीं है। शहर आने वाली दो सड़कों की तरह यहां के वोटर भी अभी द्वंद्व में हैं। हालांकि जिन दिग्गजों के बीच मुकाबला होना है, उनके नामों की घोषणा हो चुकी है। बस दूसरे दिग्गज का नामांकन बाकी है। शायद इसके बाद चुनावी फिजां परवान चढ़े। सर्दी बढ़ने के साथ चुनावी गर्मी भी बढ़े।

साढ़े पांच प्रखंडों से मिलकर बने चाईबासा विधानसभा क्षेत्र के टोन्टो प्रखंड में अभी हर कोई अपने काम में मशगूल है। सिंहपोखरिया के ईचागुटू टोला से गुजरते हुए गाड़ी रोककर खेतों में उतर आया। कुछ पूछता इससे पहले सिदियु कालुंडिया, सुमित्रा कालुंडिया और नंदी कालुंडिया कहने लगीं कि इस बार धान की फसल अच्छी नहीं हुई है, फसल को समय पर पानी ही नहीं मिला। फिर भी काट रहे हैं ताकि थोड़ा बहुत भी चावल निकल आए। पूछा- अबकी चुनाव में किसी लहर है? सुमित्रा ही नहीं धान काट रहे सभी किसान खामोश हो गए। थोड़ी देर बाद सिदियु कालुंडिया ने जवाब दिया- अभी गांव में कोई वोट मांगने नहीं आ रहा है। वैसे लड़ाई तो दो ही पार्टी के बीच होगी।

मतदान के समय गांव के लोग तय करेंगे कि किसे वोट देना है। थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर गुमड़ा नदी से मुलाकात हो गई। सीमेंट कंपनी की प्यास बुझाने ने वाली गुमड़ा भले ही दम तोड़ रही है, लेकिन गांव की महिलाओं के लिए सही सहारा है। जब सिरिंगसिया घाटी के पाली बासा गांव पहुंचे तो लक्ष्मी लागुरी बताने लगीं कि इस नदी के पानी से आसपास के लोग प्यास बुझाते हैं। सरकार ने जलमीनार की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन अब भी कई गांव महरूम हैं। सिरिंगसिया गांव में सात टोला है। गुमदीबुरू के कृष्णा लागुरी कहते हैं कि आधे गांव में बिजली पहुंच गई है, लेकिन आधा गांव अभी भी अंधेरे में है।

इसबार जो वोट मांगने आएंगे उनसे गांव वाले सवाल पूछेंगे। काफी कुरेदने के बाद कृष्णा लागुरी चुनावी समीकरण समझाने लगे- देखिए, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो प्रत्याशी गीता कोड़ा को इस विधानसभा क्षेत्र में बंपर वोट आया था, उसकी भरपाई भाजपा इस चुनाव में कैसे करेगी? अगर कर लेगी तो रिजल्ट बदल जाएगा। सरकार पांच साल से गांव के लिए काम तो कर रही है, लेकिन काम पर वोट कौन देता है। वोट के दिन माहौल बदल जाता है। पास में बैठे गुमदीबुरु टोला के बुधु सिंह लागुरी और जमादार लागुरी कहने लगे कि गांव के युवा कमाने के लिए बेंगलुरु और तमिलनाडु गए हैं। गांव में ही रोजगार मिल जाता तो अच्छा रहता। सरकार को इसके लिए काम करना चाहिए। पांच वर्ष में इस पर कोई काम नहीं हुआ। विधायक दीपक बिरुवा भी खामोश ही रहे। विपक्ष के थे सवाल तो उठा ही सकते थे?

देर शाम चाईबासा शहर के जुबिली पार्क कैफेटेरिया पहुंचा। चाय की चुस्कियों के बीच युवाओं की टेबल पर चुनावी प्रश्न छोड़कर चुप्पी साध ली। राजेश सिंह और सरोज हार-जीत का फार्मूला समझाते हुए कहने लगे कि भाजपा प्रत्याशी जेबी तुबिद अच्छे नौकरशाह रहे हैं। जानकार भी हैं। दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन नौकरशाही के फ्रेम से बाहर नहीं निकल पाए हैं। झामुमो प्रत्याशी दीपक बिरुवा दो बार से विधायक हैं। कोई उल्लेखनीय काम उनके खाते में दर्ज नहीं, पर इतने सहज हैं कि हर किसी से आसानी से मिल जाते हैं। व्यक्तित्व का यह फैक्टर भी चुनाव में काम करेगा।

इसी बीच उमेश तिवारी मुखातिब हुए- देखिए, पिछली बार हारने के बाद से जेबी तुबिद इलाके में सक्रिय हैं। गांव-गांव ट्रांसफार्मर लगवाया है। अब पहले जैसी छवि नहीं रही। शहर के लोग उन्हें समझने लगे हैं। अबकी चौंकाने वाला परिणाम आएगा। बहस परवान चढ़ चुकी थी। काफी देर से चुप्पी साधे बैठे दिलीप कुमार फूट पड़े- देखिए, यहां विकास कोई मुद्दा नहीं है। दीपक बिरुवा हर बार सरकारी योजनाओं का विरोध करते हैं और जीत भी जाते हैं। इसबार भी चुनाव आते-आते माहौल बदल जाएगा। अभी 18 नवंबर तक नामांकन तो पूरा हो जाने दीजिए। जब दोनों खिलाड़ी मैदान में उतरेंगे तो सब साइड हो जाएंगे।


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