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लॉकडाउन ने तोड़ी बस संचालकों की कमर

आंशिक लॉकडाउन ने बस संचालकों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। लॉकडाउन में खासकर परिवहन क्षेत्र का बुरा हाल है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 07:35 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 07:35 PM (IST)
लॉकडाउन ने तोड़ी बस संचालकों की कमर
लॉकडाउन ने तोड़ी बस संचालकों की कमर

जागरण संवाददाता, चाईबासा : आंशिक लॉकडाउन ने बस संचालकों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। लॉकडाउन में खासकर परिवहन क्षेत्र का बुरा हाल है। चाईबासा बस स्टैंड से चलने वाली सभी रूटों की बसों का डीजल तक का खर्च नहीं निकल रहा है। चाईबासा बस स्टैंड से सामान्य दिनों में लगभग 200 बसों का परिचालन विभिन्न रूटों के लिए किया जा रहा था। अभी वर्तमान समय में सिर्फ 25 से 30 बसों का परिचालन विभिन्न रूटों पर हो रहा है। चाईबासा बस स्टैंड से रांची, टाटानगर, पटना, मझगांव, बेनीसागर, जोड़ा, बड़बिल, किरीबुरू, गोईलकेरा, मनोहरपुर, सरायकेला व घाटशिला के लिए रोजाना बसें संचालित होती थी। चाईबासा बस स्टैंड से रांची जाने-आने में एक बस का साढ़े छह हजार रुपये का डीजल लगता है। जबकि वर्तमान समय में सवारी नहीं निकलने के कारण 3 से 4 हजार रुपये ही आ पा रहे हैं। इसमें बस संचालक को लगभग 2 से ढाई हजार रुपये पाकेट से लगाना पड़ रहा है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि रांची के लिए चाईबासा बस स्टैंड से 5 सवारी मिली और सवारी चक्रधरपुर व बंदगांव की मिली। चक्रधरपुर व बंदगांव की सवारी तो स्टॉप आने पर उतर गई, लेकिन वहां से रांची के लिए एक भी सवारी नहीं मिलने से 5 सवारी लेकर रांची बस को जाना पड़ता है। कमोवेश यही स्थित टाटानगर, किरीबुरू, मझगांव सहित अन्य रूटों पर चलने वाली बसों का भी है। जबकि डीजल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही, लेकिन बस संचालक अभी अपना पुराना भाड़ा लेकर ही सवारी को आना-जाना कर रहे है। जबकि बस संचालकों को सरकार का टैक्स, इंश्योरेंस, फिटनेस आदि का पैसा ऑनलाइन चुकाना पड़ रहा है, इसमें कोई रियायत सरकार ने नहीं दी है। साथ ही बस संचालकों को समय पर बैंक लोन भी चुकाना पड़ रहा है जिससे बस संचालक पूरी तरह से सक्षम नहीं है। बस नहीं चलने से एजेंट, कंडेक्टर, चालक, खलासी के सामने भयंकर बेरोजगारी की समस्या सता रही है। चाईबासा बस स्टैंड में लगभग 3 हजार ऐसे लोगों की संख्या है, जो आज के समय में पूरी तरह से बेरोजगारी का दंश झेल रही है। इसी तरह बस नहीं चलने से टायर, बैट्री, मोटर पा‌र्ट्स, गैरेज मिस्त्री भी पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। बस संचालकों ने कहा कि इस संबंध में केंद्र व राज्य सरकार को सोचना चाहिए और अभी के समय में डीजल के मूल्यवृद्धि नहीं होनी चाहिए। सरकार बस संचालकों पर समय पर ध्यान नहीं देती है तो परिणाम इससे और बुरा होंगे और आत्महत्या की भी नौबत आ सकती है।

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------------------------ आंशिक लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव बस संचालकों को पड़ रहा है। क्योंकि बस में सवारी ही नहीं जुट पा रही है। खाली बसों को रांची-टाटानगर दौड़ाना पड़ रहा है। जितनी सवारी मिलनी चाहिए, उतनी मिल ही नहीं पा रही है। यहां तक कि आने-जाने का डीजल खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। इसके अलावा चाईबासा बस स्टैंड में लगभग तीन हजार एजेंट, कंडेक्टर, चालक व खलासी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। साथ ही लगातार डीजल की मूल्यवृद्धि से भी बस संचालक परेशान है। क्योंकि सवारियों से भाड़ा पुराना ही लिया जा रहा है।

फोटो -10 - मो. बारीक, उपाध्यक्ष सिंहभूम बस ऑनर एसोसिएशन चाईबासा।


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