एनएच 75 में घाटी क्षेत्र की सड़कें छोटे-बड़े गड्ढों में हुई तब्दील
पिछले वर्ष 18 अगस्त को चक्रधरपुर में आई बाढ़ ने बंदगांव घाटी की
दिनेश शर्मा, चक्रधरपुर : पिछले वर्ष 18 अगस्त को चक्रधरपुर में आई बाढ़ ने बंदगांव घाटी की पहले से जर्जर एनएच 75 की सड़क को बुरी तरह तबाह कर डाला। इसके बावजूद क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया, उनके एप्रोच रोड, सड़क आदि की मरम्मत कहीं नहीं दिखती। आलम यह है कि वर्ष भर बाद भी लोग जान हथेली पर लेकर रांची की यात्रा कर रहे हैं। बंदगांव घाटी क्षेत्र में सड़क पूर्व से ही जर्जर हालत में थी। पिछले वर्ष 18 अगस्त को आई बाढ़ व भारी बारिश ने इसे अति जर्जर ही नहीं जानलेवा भी बना दिया। पूरे घाटी क्षेत्र में सड़क पर अनगिनत गड्ढे हो गए हैं। कई गड्ढे तो इतने बड़े हैं कि वाहनों के निचले हिस्से जमीन से टकरा जाते हैं। यह स्थिति नकटी से लेकर बंदगांव तक करीब चालीस किमी की है। इस सड़क का उपयोग जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर सांसद व विधायक तक करते हैं। लेकिन अबतक सड़क की मरम्मत को लेकर किसी ने आवाज तक नहीं उठाई। हालांकि बसों का परिचालन बंद होने के बाद सक्षम लोग किराए की अथवा निजी कार लेकर ही रांची आना-जाना कर रहे हैं। सफर दुश्कर और खतरनाक हो चला है। वाहन भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने चंद दिनों पूर्व इसके टेंडर की प्रक्रिया पूरी की है। इससे पूर्व वर्ष 2009 में महाराष्ट्र की पाटिल कंसट्रक्शन ने इस सड़क का टेंडर लिया था। लेकिन काम आधा-अधूरा छोड़कर कंपनी चली गई थी। अब वर्षो बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसकी सुध तो ली, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस बार सड़क का निर्माण पूरा हो पाएगा। अगर पूरा भी होगा, तो कबतक। कार चालकों के अनुसार पूरे घाटी क्षेत्र में हर मोड़ पर विशाल आकार के गड्ढे बन गए हैं। कार का निचला हिस्सा लगातार भूमि से टकराता है। इसके अलावा घाटी क्षेत्र में भरंडिया से टेबो के बीच चार, टेबो से हिरनी फॉल के बीच 8, हिरनी फॉल से प. सिंहभूम सीमा तक 8 पुल-पुलिया कहीं जर्जर है, तो कहीं अद्िर्ध्नर्मित। इनमें से अधिकतर पुल-पुलिया ब्रिटिश काल में निर्मित हैं।