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सारंडा जंगल में ग्रीन चेकडैम करेंगे भूगर्भ जल को रिचार्ज

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में अवस्थित एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल में बहते पानी को रोकने के लिए वन विभाग ने प्राकृति का ही सहारा लेना शुरू किया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 06:26 AM (IST)
सारंडा जंगल में ग्रीन चेकडैम करेंगे भूगर्भ जल को रिचार्ज
सारंडा जंगल में ग्रीन चेकडैम करेंगे भूगर्भ जल को रिचार्ज

सुधीर पांडेय, चाईबासा : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में अवस्थित एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल में बहते पानी को रोकने के लिए वन विभाग ने प्राकृति का ही सहारा लेना शुरू किया है। 700 पहाड़ियों वाले इस जंगल में अपनी तरह के अनोखे चेकडैम तैयार किए जा रहे हैं। ये चेकडैम पत्थर, बालू, सीमेंट से नहीं बल्कि जंगल में अपने आप गिरने वाले पेड़ों से तैयार किए जा रहे हैं। इनके ऊपर मिट्टी और फिर घास उगाकर उन्हें हरा किया जा रहा है। इनको ग्रीन चेकडैम का नाम दिया गया है। ये चेकडैम भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने में कारगर होंगे। सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रजनीश कुमार बताते हैं कि हम लोगों ने वन सुरक्षा समिति की मदद से घोर नक्सल प्रभावित रहे थोलकोबाद से लेकर करमपदा के बीच दो माह के भीतर 20 से ज्यादा ग्रीन चेकडैम का निर्माण कराया है। इन चेकडैम की खासियत यह है कि ये पूरी तरह प्राकृतिक हैं। इस तरह के चेकडैम की आयु 3 से 5 साल रहती है। बोल्डर चेकडैम की तुलना में इसकी आयु मामूली कम है मगर पेड़ से तैयार चेकडैम में बहुत ही मामूली खर्च आता है। बोल्डर पत्थर, सीमेंट, बालू की जरूरत नहीं पड़ती है। आने वाले समय में सारंडा में आपको जगह-जगह इस तरह के हरित चेकडैम देखने को मिलेंगे।

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डीएफओ के आइडिया पर वन समिति कर रही काम

थोलकोबाद वन समिति के अध्यक्ष विजय होनहागा के अनुसार पिछले साल दिसंबर माह में सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार और नीति आयोग, भारत सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे विक्रम सिंह गौर थोलकोबाद में भ्रमण करने आए थे। जंगल के भीतर कई जगह अपने-आप धराशायी हुए पेड़ गिरे हुए थे। जमीन पर बेकार पड़े पेड़ों को देखकर दोनों पदाधिकारियों ने सवाल किए तो उन्हें बताया गया कि चूंकि यह क्षेत्र काफी अंदर पड़ता है इसलिए ऐसे पेड़ों को उठाकर गांव ले जाना या काटकर बेचना संभव नहीं है। इसमें फायदा कम आर्थिक नुकसान ज्यादा होगा। यह सुनकर पदाधिकारियों ने सुझाव दिया कि क्यों न इन्हें चेकडैम बनाने में इस्तेमाल किया जाए। सुझाव को अमल में लाते हुए वन समिति के सदस्य अब छोटे बोल्डर के चेकडैम की जगह इन पेड़ों से हरित चेकडैम बना रहे हैं। वैसे भी जंगल में बोल्डर, सीमेंट व बालू का जुगाड़ करना मुश्किल होता है।

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कैसे बनते हैं हरित चेकडैम

जिस नाले पर चेकडैम बनाना है, उसके अनुसार पेड़ को काट लिया जाता है। इसके बाद उसे चार खूंटों के सहारे नाले पर बांध दिया जाता है ताकि पानी के तेज बहाव में वह बहे नहीं। पेड़ को अच्छे से मिट्टी से पाटकर उसके ऊपर घास लगा दी जाती है। यह देखने में हरित भी लगते हैं और पानी को रोकने में भी सक्षम रहते हैं। इसके निर्माण में कुल खर्च 1000-1200 रुपये आता है। इसके अलावा छोटे बोल्डर चेकडैम को मजबूती देने व बोल्डर व लकड़ी को मिलाकर भी चेकडैम बनाने में जंगल में गिरे पेड़ इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

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हम लोगों को अपनी ट्रेनिग के दौरान ब्रश वुड्स चेकडैम के बारे में पढ़ाया व बताया गया था। पिछले साल जब सारंडा जंगल में निरीक्षण करने गए थे तो काफी पुराने हो चुके पेड़ गिरे हुए नजर आए। वन समिति से बात करने के बाद उन्हें इन पेड़ों से चेकडैम तैयार करने का आइडिया दिया था। अभी करीब 20 जगह ऐसे हरित चेकडैम बनाए हैं। आपको आने वाले समय में पूरे सारंडा में पानी को रोकने के लिए इस तरह के चैकडैम नजर आएंगे।

फोटो-7--रजनीश कुमार, डीएफओ, सारंडा प्रमंडल।

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सारंडा में भू-गर्भ जल बचाने को ये किए उपाय

2019-20 में सारंडा वन प्रमंडल में लगभग 900 लूज बोल्डर चेक डैम, 450 हैक्टेयर में ट्रेंच कम बंड, 30 तालाब का निर्माण किया गया है। इससे भू-क्षरण में कमी व भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होती है। कुल 750 हैक्टेयर में सिलवीकल्चर ऑपरेशन किया गया है, जिसमें खाली जगह में कुल 50,000 पौधे लगाए जाएंगे। कुल 18 किलोमीटर नाला में चेक डैम का निर्माण किया गया है। इससे भूमिगत जलस्तर में काफी वृद्धि हुई है।


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