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कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा !

कोरोना काल में पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय चाईबासा स्थित सदर अस्पताल में सामग्री की गड़बड़ तरीके से खरीद-फरोख्त के कारण सुर्खियों में रहा है। नया मामला पीपीई किट के टेंडर और इसकी खरीद से जुड़ा है। अस्पताल प्रबंधन ने 10 लाख से अधिक की कुल मूल्य से 1000 पीपीई किट खरीदी है..

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 11:58 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 11:58 PM (IST)
कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा !
कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा !

सुधीर पांडेय, चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम)

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कोरोना काल में पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय चाईबासा स्थित सदर अस्पताल में सामग्री की गड़बड़ तरीके से खरीद-फरोख्त के कारण सुर्खियों में रहा है। नया मामला पीपीई किट के टेंडर और इसकी खरीद से जुड़ा है। अस्पताल प्रबंधन ने 10 लाख से अधिक की कुल मूल्य से 1000 पीपीई किट खरीदी है। इसमें गड़बड़झाला हुआ है। बताया जा रहा है कि पीपीई किट के लिए निकाली गई निविदा में जमशेदपुर की कंपनी इमेज इंडिया एल-1 थी। इसे टेंडर भी दिया गया मगर बाद में अजीबोगरीब तरीके से पीपीई किट की आपूर्ति रांची की कंपनी आरुषि इंटरप्राइजेज ने की। इस मद में बिल भी आरुषि इंटरप्राइजेज के नाम से आया और अस्पताल प्रबंधन ने बिल का भुगतान भी आरुषि इंटरप्राइजेज को कर दिया है। बिल के एवज में किए गए भुगतान के लिए डीपीएम यूनिट के लेखा प्रबंधक से अनुमति नहीं ली गई। अब लेखा प्रबंधक ने इस पूरे प्रकरण में अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक से शिकायत की है। जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी ने इसके लिए जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज कुमार यादव को दोषी बताया है। यह भी आरोप लगाया है कि जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने जिला लेखा प्रबंधक कार्यालय के विपत्र गायब कर फाड़ दिए हैं।

डीपीएम पर लगाया दस्तावेज गायब करने का गंभीर आरोप : जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी ने शिकायत पत्र में कहा है कि पीपीई किट का आपूर्ति आदेश-696 आरसीएच चाईबासा द्वारा 6 अगस्त 2020 को इमेज इंडिया आदित्यपुर को कोविड-19 के संबंध में डीपीएम और सिविल सर्जन के हस्ताक्षर से 5 सितंबर 2020 को दी गई थी। मगर आपूर्ति इमेज इंडिया द्वारा नहीं करके अन्य द्वारा की गई और विपत्र का भुगतान रांची की कंपनी आरुषि इंटरप्राइजेज को करने के लिए डीपीएम द्वारा धमकी दी गई। इसी बीच मुझे कोविड हो गया तथा मैं क्वारंटाइन सेंटर में चला गया। इसी बीच में आउटसोर्सिग में कार्यरत मेरे सहायक द्वारा विपत्र की मांग कर सभी विपत्र को लेकर बोले कि हम भुगतान कर देंगे और इस विपत्र को गायब कर दिया गया। मेरे पूछने पर डीपीएम बोले कि सिविल सर्जन बोले हैं। धमकी दी गई कि नौकरी से हटवा देंगे। जिला लेखा प्रबंधन ने अभियान निदेशक से सभी विपत्रों की जांच कर संबंधित कर्मी पर उक्त विभागीय कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।

पीपीई किट खरीद में किसी तरह का नियम विरुद्ध काम नहीं हुआ है। इमेज इंडिया ने सामग्री की आपूर्ति के लिए रांची की कंपनी आरुषि इंटरप्राइजेज को अथॉरिटी दी थी। अथॉरिटी लेटर उनके पास है। कुछ लोग उनके पीछे पड़े हैं और जानबूझकर उन्हें बदनाम कर रहे हैं। जिला लेखा प्रबंधक झूठ बोल रहे हैं। इसके लिए सिविल सर्जन उन्हें शो कॉज कर चुके हैं। जिस कंपनी से एग्रीमेंट होता है, वो अपनी जगह दूसरी कंपनी को आपूर्ति के लिए अनुमति दे सकती है।

-नीरज कुमार यादव, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, एनएचएम, चाईबासा।

पीपीई किट की खरीदारी और विपत्र का भुगतान डीपीएम यूनिट के जि़म्मे है। इसमें हुई गड़बड़ी की अपने स्तर से जाच कराएंगे। मुझे ये जानकारी मिली है कि लेखा प्रबंधक ने अभियान निदेशक के पास कुछ शिकायत डीपीएम नीरज कुमार के बारे में की है। देखते हैं पूरा मामला क्या है।

-डा. ओपी गुप्ता, सिविल सर्जन, पश्चिमी सिंहभूम


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