गुरुजी ने 9 किलो पर हस्ताक्षर कराकर दिया 3.5 किलो चावल
कोरोना काल को लेकर सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। स्कूली छात्रों के बीच पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के बीच अवकाश को छोड़कर प्रत्येक छात्र को 100 ग्राम और छठी कक्षा से अठवीं कक्षा तक के छात्रों के बीच 150 ग्राम करके प्रतिदिन के हिसाब से चावल उपलब्ध कराना है।
परमानंद गोप, नोवामुंडी : कोरोना काल को लेकर सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। स्कूली छात्रों के बीच पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के बीच अवकाश को छोड़कर प्रत्येक छात्र को 100 ग्राम और छठी कक्षा से अठवीं कक्षा तक के छात्रों के बीच 150 ग्राम करके प्रतिदिन के हिसाब से चावल उपलब्ध कराना है। कुकिंग कास्ट के लिए पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को 124 रुपये और छठी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को 186 रुपये देना है। परंतु कोरोना काल के चावल और पैसे की किस तरह से लूट मची है सारंडा के बीहड़ क्षेत्र में संचालित कुमडीह स्कूल को उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है। इन्हें देखने वाला कोई नहीं है। दरअसल यह स्कूल सारंडा के बीहड़ जंगल क्षेत्र के मनोहरपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थापित होने और दुर्गम रास्ते होने के कारण निरीक्षण के लिए सरकारी पदाधिकारी जाना ही नहीं चाहते हैं। इसी को लेकर शिक्षक बच्चों के पेट काटकर अपना पेट भरने में लगे हैं। जिला कार्यालय के निर्देश पर बुधवार को कुमडीह उत्क्रमित मिडिल स्कूल परिसर में स्वास्थ्य शिविर लगा था। प्रधान शिक्षक रमाकांत महतो स्कूली छात्रों को बुलाकर कोरोना काल का चावल वितरण करने में व्यस्त थे। छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा तक के छात्र हिदी बोल और समझ नहीं पाते हैं। चावल वितरण को लेकर स्थानीय भाषा में पूछताछ की गई तो सारी हकीकत सामने आई। स्कूलों में किस तरह से पढ़ाई होती होगी इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
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तराजू की जगह मापने के लिए रखा डिब्बा
कुमडीह मिडिल स्कूल के प्रधान शिक्षक रमाकांत महतो ने कोरोना काल के चावल बांटने के दौरान बुधवार को छात्रों से साढ़े तीन किलो चावल देकर नौ किलो चावल प्राप्ति रजिस्टर पर दस्तख्त कराया। तराजू की जगह डिब्बे से मापकर चावल दिया। छात्रों को कुकिंग कॉस्ट के पैसे भी नहीं मिले। शिक्षक के पास पिछली बार चावल और कुकिंग कॉस्ट के कितने पैसे बच्चों को दिया गया अपने पास कोई लेखा-जोखा नहीं है। इन्हें वितरण की गई तिथि भी याद नहीं है।
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कोरोना काल में पिछली बार कब छात्रों को चावल और कुकिग कॉस्ट के कितने पैसे दिए गए याद नहीं है। पुरानी बातों को कौन याद रखता है। पिछली बार रजिस्टर में विवरण अंकित करना भूल गए थे। इस बार कुकिंग कॉस्ट के पैसे देने का आदेश नहीं मिला है। पिछली बार रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं कराने के कारण इस बार तीन-तीन डिब्बे चावल देकर नौ किलो चावल उपलब्ध कराए गए विवरण पर हस्ताक्षर कराया गया है।
-- रामाकांत महतो, प्रधान शिक्षक-कुमडीह उत्क्रमित मिडिल स्कूल।
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कोरोना काल में मध्याह्न भोजन मद का सूखा अनाज शिक्षकों को छात्रों के घर जाकर बांटना है। उमवि कुमडीह में चावल देने के लिए छात्रों को विद्यालय बुलाया गया। बच्चों को कितना चावल और पैसा मिलता है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं देता।
- लुकु जारिका, अभिभावक, कुमडीह।
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स्कूल में चावल वितरण की खबर नहीं थी। विद्यालय परिसर में प्रशासन की ओर से लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में जांच कराने आए थे। यहां पहुंचने पर पता चला कि विद्यालय में शिक्षक छात्रों को बुलाकर चावल का वितरण कर रहा है।
-कुदराय जारिका, अभिभावक।
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कोरोना काल का चावल बताकर प्रत्येक बार तीन महीने के बाद तराजू की जगह डिब्बे से तीन डिब्बे करके चावल दिया जाता है। इस बार छात्रों को तीन डिब्बे देकर साढ़े नौ किलो चावल प्राप्त रजिस्टर पर दस्तखत कराया गया।
- --कर्मसिंह टूडवार, कुमडीह।
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-मनोहरपुर प्रखंड कार्यालय से कुमडीह गांव काफी दूर है। सारंडा के बीहड़ जंगल में स्कूल होने के कारण सरकारी पदाधिकारी आते नहीं हैं। शिक्षक इसी का लाभ उठा रहे हैं।
- सोमा बोबोंगा, कुमडीह।
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कोरोना काल में जितने बार भी चावल और कुकिग कॉस्ट के पैसे वितरण हुआ है। इसकी सूचना हमें नहीं दी जाती है। आज भी इसकी सूचना नहीं दी गई थी। स्कूल में शिक्षक की मनमानी चलती है।
--घनश्याम जारिका, अध्यक्ष-कुमडीह उत्क्रमित मिडिल स्कूल।