पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा करने वाला डीपीएम नीरज यादव जाएगा जेल
जागरण संवाददाता चाईबासा कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा कर सदर अस्पताल (चाईबासा) के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज कुमार यादव कानून के शिकंजे में फंस गए हैं।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : कोरोना काल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा कर सदर अस्पताल (चाईबासा) के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज कुमार यादव कानून के शिकंजे में फंस गए हैं। पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन डा. ओमप्रकाश गुप्ता के बयान पर सदर थाना में नीरज यादव के खिलाफ पीपीई किट के आपूर्ति आदेश के साथ जान बूझकर जालसाजी कर, कागजात को छेड़छाड़ कर बदलने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर चाईबासा पुलिस ने शुक्रवार से ही अनुसंधान शुरू कर दिया है। शुक्रवार को सदर थाना की पुलिस ने अस्पताल में जाकर डीपीएम यूनिट को खंगाला। खरीदारी से जुड़े दस्तावेज के बारे में भी जानकारी ली। टीम को बताया गया कि डीपीएम यूनिट के सभी दस्तावेज उपायुक्त के आदेश पर गठित चार सदस्यीय टीम पहले ही अपने साथ ले गई है। अनुसंधान के साथ-साथ पुलिस अब आरोपित डीपीएम की गिरफ्तारी की तैयारी भी कर रही है। यहां बता दें कि पहली बार दैनिक जागरण ने ही 17 अक्टूबर को सदर अस्पताल में पीपीई किट खरीद में फर्जीवाड़ा होने का खुलासा किया था। जागरण की खबर पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने हेल्थ नोडल एजाज अनवर के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम का गठन कर जांच के आदेश दिए थे। कानून के शिकंजे में जालसाज, बेल मिलना मुश्किल
बताया जा रहा है कि डीपीएम नीरज पर नॉन बेलअबल धाराएं लगी हैं। निचली अदालत से बेल नहीं मिलेगी। सिविल सर्जन डाक्टर ओपी गुप्ता ने नीरज कुमार यादव पर प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान 16 अप्रैल 2020 को क्रय समिति ने पीपीई किट खरीदने के लिए निविदा निकाली थी। इसमें न्यूनतम दर 1050 रुपये प्रति किट आदित्यपुर की इमेज इंडिया को एल-1 किया गया। इसके चार माह बाद यानि छह अगस्त 2020 को सिविल सर्जन कार्यालय से इमेज इंडिया को पीपीई किट की आपूर्ति का आदेश दिया गया। इस आपूर्ति आदेश को नीरज यादव ने साजिश के तहत इमेज इंडिया को हस्तगत नहीं किया। इमेज इंडिया के प्रोपराइटर दिनेश शर्मा ने भी इस बात की पुष्टि की है। आइडीएसपी सेल के कंप्यूटर में तैयार हुए जाली दस्तावेज
डीपीएम ने सिविल सर्जन कार्यालय के डेटा सेंटर (आइडीएसपी सेल) के कंप्यूटर में इमेज इंडिया के फर्जी लेटर पैड पर रांची के कडरू की कंपनी आरुषि इंटरप्राइजेज के पक्ष में प्राधिकृत पत्र तैयार किया है। आइडीएसपी सेल की डाटा आपरेटर रश्मि ने जांच टीम को यह बताया था कि नीरज यादव ने ही यह फर्जी कागजात तैयार किए हैं। अब पुलिस डाटा सेल के उक्त कंप्यूटर को सीज करेगी। रश्मि का भी बयान पुलिस लेगी। आरुषि इंटरप्राइजेज से नीरज यादव का सीधा संबंध
सिविल सर्जन की ओर से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि आरुषि इंटरप्राइजेज का डीपीएम नीरज यादव से सीधा नाता है। मेसर्स आरुषि इंटरप्राइजेज ने जीएसटीआइएन के निबंधन के क्रम में संस्थान का जो पता दिया है वो डीपीएम के आवासीय पता से मेल खाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आरुषि इंटरप्राइजेज का डीपीएम से सीधा नाता है। यही वजह है कि डीपीएम ने इस कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी प्राधिकार पत्र तैयार करने का षड्यंत्र रचा। पीपीई किट की सरकारी दर को दरकिनार कर खरीदी महंगी दर पर किट
कोरोना काल के समय 16 अप्रैल 2020 को निष्पादित निविदा के तीन सप्ताह के बाद यानि 8 मई 2020 को राज्य सरकार की ओर से पीपीई किट का दर 735 रुपये जीएसटी प्रति किट निर्धारित की थी। इसकी सारी जानकारी नीरज यादव को थी। न्यूनतम दर प्राप्त होने के बाद चाईबासा सदर अस्पताल की क्रय समिति की निविदा में निर्धारित दर स्वत: रद या समाप्त हो गई थी। इसके बावजूद नीरज यादव ने तीन माह पश्चात यानि 6 अगस्त 2020 को आरुषि इंटरप्राइजेज से 1000 पीपीइ किट 1050 रुपये की दर से क्रय किया। इस प्रकार यादव ने गबन की नियत से 315 रुपये का प्रति किट के हिसाब से कुल 3 लाख 15 हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान अपनी मनपसंद आरुषि इंटरप्राइजेज को किया। सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप
डीपीएम को यह जानकारी थी कि आरुषि इंटरप्राइजेज ने सितंबर 2020 तक शून्य आयकर रिटर्न फाइल किया है। इसके बावजूद कंपनी से पीपीई किट की आपूर्ति प्राप्त की गई एवं भुगतान किया गया। ऐसा कर नीरज ने सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का भी षडयंत्र किया है। नीरज ने आपदा का डर-भय दिखाकर मुझसे फर्जी कागजात के आधार पर मुझसे संचिका में प्राप्त किया आदेश : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि डीपीएम नीरज यादव ने उन्हें अंधेरे में रखकर आपदा का डर-भय दिखाकर, दबाव बनाकर जानबूझकर गबन करने की मंशा से फर्जी कागजात को आधार बनाकर संचिका में आदेश प्राप्त किया। नीरज के खिलाफ सरकारी कागजात से छेड़छाड़, फर्जी कागजात तैयार करने, अपने मनपसंद एजेंसी को लाभ पहुंचाने, जान बूझकर गबन की नीयत तथा राजकोष को क्षति पहुंचाने की मंशा, सरकारी आदेश का उल्लंघन तथा मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को बरगलाने एवं उनके खिलाफ अपराध कारित करने के निमित सुसंगत धाराओं अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।