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रामतीर्थ वैतरणी नदी में श्रद्धालुओं ने किया पूर्णिमा स्नान

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को जैंतगढ़ चंपुआ तथा रामतीर्थ के वैतरणी नदी में श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा स्नान कर डुबकी लगाई। वैतरणी नदी में प्रात चार बजे से ही लोग पहुंचने लगे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:48 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 06:48 PM (IST)
रामतीर्थ वैतरणी नदी में श्रद्धालुओं ने किया पूर्णिमा स्नान
रामतीर्थ वैतरणी नदी में श्रद्धालुओं ने किया पूर्णिमा स्नान

संवाद सूत्र, जैंतगढ़ : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को जैंतगढ़, चंपुआ तथा रामतीर्थ के वैतरणी नदी में श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा स्नान कर डुबकी लगाई। वैतरणी नदी में प्रात: चार बजे से ही लोग पहुंचने लगे थे। पूरे धार्मिक रीति-रिवाज के साथ श्रद्धालुओं ने नदी घाट पर पूर्णिमा स्नान किया। मान्यता है की पूर्णिमा के दिन डुबकी एवं दीप दान करने से घर में सुख, शांति व समृद्धि आती है। इस वर्ष वैतरणी नदी रामतीर्थ में कोरोना महामारी को देखते हुए नदी तट में भीड़ कुछ कम देखने को मिली। इस दौरान लोगों ने कागज व थर्माकोल की नाव बनाकर भी नदी में छोड़ी। नदी में तैरती कागज की नावों का दृश्य काफी मनमोहक था।

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नोवामुंडी में हर्षोल्लाष मनाई गई कार्तिक पूर्णिमा

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : नोवामुंडी में बड़े ही धूमधाम एवं उत्साह के साथ सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा एवं बोइत बंदाण उत्सव मनाया गया। टाटा स्टील के टाप कैंप स्थित जलाशय में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भाग लेकर दीप जलाकर नाव बहाया। बताते हैं कि इसी दिन ओडिशा के साधव व्यापारी बाली सुमित्रा आदि द्वीपों की यात्रा आरंभ करते थे जिनकों विदाई के तौर पर पान पत्ता, सुपारी आदि कागज से तैयार किए गए जहाज में रखकर जहाज को पानी में उतारा जाता था। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सदियों से कार्तिक पूर्णिमा के दिन नाव बहाई जाती है जिसे बोइथ बंदाण त्योहर कहा जाता है। कहा जाता है कि पूर्णिमा तिथि पर ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रोदय के समय शिवजी और कृतिकाओं की पूजा करने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीप दान का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा भी की जाती है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है।


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