रैयतों ने कहा, धोखेबाज कंपनी है एसीसी, नहीं देती उनका हक
एसीसी कंपनी और टोंटो प्रखंड के दोकट्टा राजंका व कोंदवा के रैयतों की जमीन सीमांकन विवाद को लेकर विधायक दीपक बिरुवा की पहल पर गुरुवार को दोकट्टा के बाईगुटू में बैठक हुई।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : एसीसी कंपनी और टोंटो प्रखंड के दोकट्टा, राजंका व कोंदवा के रैयतों की जमीन सीमांकन विवाद को लेकर विधायक दीपक बिरुवा की पहल पर गुरुवार को दोकट्टा के बाईगुटू में बैठक हुई। इसमें दोकट्टा, कोंदवा, चालगी, हेस्सा सुरनियां, डाउडांगुवा व राजंका गांव के रैयतों के साथ सभी मौजा के मुंडा और टोंटो अंचलाधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में रैयतों ने विधायक और अंचलाधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखा। रैयतों ने एकमत में कहा कि एसीसी कंपनी ने रैयतों को धोखा दिया है। पहले भी अधिग्रहीत जमीन के एवज में आज तक 84 लोगों को नौकरी तक नहीं मिला। रैयतों ने कंपनी को जमीन नहीं देने का आह्वान किया। इस मामले पर विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि रैयतों की इस लड़ाई में उनके साथ हैं। एफ-1 और एफ-2 के रैयत जो अभी भी लगान देते हैं। कंपनी ने गलत ढंग से उन रैयतों के साथ लीज किया था। एसीसी कंपनी पहले अपने एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को तीन पीढ़ी (टर्म) नौकरी देगी, तब ही एफ-3 का लीज एक्सटेंशन पर बात होगी। दीपक बिरुवा ने इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए अंचलाधिकारी को तीनों गांव के मुंडा तथा रैयतों के साथ बैठक कर पूरे साक्ष्य के साथ रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। बिरुवा ने रैयतों का कानूनी पक्ष और अधिकार पर गौर करते हुए रैयतों तथा मुंडाओं का जिला स्तरीय बैठक करने की जानकारी दी। बैठक में मानकी हेस्सा, मुंडा सहयोगी शशिभूषण हेस्सा, हेस्सासुरनिया मुंडा जारगी हेस्सा, बीरबल हेस्सा, कृष्ण कालिदी, कदमा गोडसोरा, बिरसा हेस्सा, सिद्धार्थ हेस्सा, मुखिया लक्ष्मी हेस्सा, मेरेल हेस्सा, संजू गोडसोरा आदि रैयत उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विद्या गोडसोरा व धन्यवाद ज्ञापन तुराम बिरुली ने किया।
-- कंपनी ने नौकरी के नाम पर ठगा---
रैयतों ने कहा कि एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को नौकरी देना था। लेकिन कंपनी ने 29 रैयत को 10 हजार रुपये के एवज में काम पर रखा। इसके बाद जब कंपनी काम निकल गया तो सभी को काम से हटा दिया गया।
--- नियम का अनुपालन नहीं कर रही कंपनी----
कोंदवा के मुंडा मुकेश हेस्सा ने कहा कि एमएमडीआर -1957 के अनुसार खनन के बाद गहरा गड्ढा को भरकर समतल करना होता है। लेकिन कंपनी खनन बाद वैसे ही गड्ढे को छोड़ दे रही है। इससे जलस्तर भी काफी कम हो गया है।
---तो लीज स्वत: होगी रद्द----
नीमडीह के मुंडा मानकीन्द्र बालमुचू ने कहा कि लीज शर्त पर 30 अक्टूबर 2019 का राज्यादेश पारित है कि अगर जिस उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है और 12 माह में काम नहीं होता है, तो लीज स्वत: रद्द होगी और रैयतों को उनका जमीन वापस करना होगा। लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया। वहीं जब कंपनी को सीमांकन करने से पूर्व रैयतों व मुंडा को कोई सूचना नहीं दिया गया।