बड़े कमाल की है ये सोलर साइकिल
जागरण विशेष --------- फोटो : 06, 07 ---------- कैचवर्ड : आविष्कार फ्लैग- बस ड्राइवर के
जागरण विशेष
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फोटो : 06, 07
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कैचवर्ड : आविष्कार
फ्लैग- बस ड्राइवर के बेटे ने बनाई सौर ऊर्जा चलने वाली साइकिल
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क्रासर --
- इंद्रजीत ¨सह ने जापान में फहराया पश्चिमी ¨सहभूम का परचम
- घर पहुंचने पर बड़ाजामदा गांव के लाल का सबने किया स्वागत
- प्रतिभा दिखाने अब फरवरी में अमेरिका जाएगा गुदड़ी का लाल
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परमानंद गोप, नोवामुंडी (प.सिंहभूम) : प्रतिभा संसाधनों का रोना नहीं रोती। उसे बस एक मौका चाहिए। वह खुद उभर कर सामने आ ही जाती है। बस ड्राइवर के एक बेटे ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। नाम है- इंद्रजीत सिंह।
जिले के बड़ाजामदा प्लस टू हाई स्कूल से प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास इस छात्र ने सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल का आविष्कार कर सबको चौंका दिया है। जापान एनिया युवा एक्सचेंज प्रोग्राम इन साईंस एंड टेक्नोलॉजी संस्था ने 28 मई से 3 जून तक ऐसे अनूठे आविष्कार करने वाले यूथ के लिए जापान में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें गुदड़ी के लाल इंद्रजीत सिंह के आविष्कार को खूब सराहा गया। संस्था के अध्यक्ष हामागुची मीचिनारी ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया है। इंद्रजीत जापान से गुरुवार को बड़ाजामदा गांव लौटा तो उसके साथियों ने रेलवे स्टेशन पर उसका भव्य स्वागत किया।
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गत वर्ष दिल्ली में दिखा
चुका है अपना जलवा
पिछले साल दिसंबर 2016 में दिल्ली में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन हुआ था। उसमें भी इंद्रजीत सिंह ने हिस्सा लिया था। उस प्रदर्शनी में उसे प्रथम स्थान मिला था। वहां भी उसने सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल का कमाल दिखाया था।
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अगले साल अमेरिका में
दिखाएगा अपना कमाल
इंद्रजीत सिंह का सफर जारी है। वह अगले साल यानी 2018 के फरवरी में अमेरिका जानेवाला है। वहां आयोजित होने वाले आइएसआइएफ कार्यक्रम के लिए भी उसका चयन हो चुका है। इस कार्यक्रम में वह अपने आविष्कार को और बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने की कवायद में जुट गया है।
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खेती व ऊंचाई चढ़ने में
मददगार है यह साइकिल
युवा आविष्कारक इंद्रजीत सिंह के अनुसार, साइकिल की विशेषता यह है कि सोलर सिस्टम से ऊर्जा तैयार कर यह ऊंचे से ऊंचे स्थानों पर आसानी से जा सकती है। इतना ही नहीं इसके जरिए किसान अपने खेतों में आसानी से बुआई भी कर सकते हैं। भविष्य में यह साइकिल किसानों व युवाओं के लिए बेहद कारगर साबित होगी।
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साथियों की परेशानी देख
जगी कुछ करने की आस
इंद्रजीत ¨सह कहते हैं, 'अक्सर मैं अपने साथियों को साइकिल से स्कूल आते-जाते देखता था। समतल सड़कों पर वे आसानी से साइकिल चलाते थे, लेकिन ऊंचाई पर साइकिल चढ़ाने में परेशानी होती थी। एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं साइकिल की सफर को और आसान बना दिया जाए। बस इसी बात ने सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल के आविष्कार का तानाबाना बुन दिया।'
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सात हजार खर्च किए और
तैयार हो गई नई साइकिल
इंद्रजीत ¨सह के अनुसार, सात हजार रुपये का जुगाड़ किया और साइकिल मोडिफाइ कर सौर ऊर्जा के लायक बना दिया। कई नए उपकरण इसमें लगाए गए। जब पहली बार चलाकर देखा तो मन खुशी से झूम उठा। उनकी मानें तो अमेरिका जाने से पहले इस सोलर साइकिल को और बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने की तमन्ना है।
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बेटे के आविष्कार से
गदगद हैं माता-पिता
इंद्रजीत सिंह के पिता भ¨वद्र ¨सह पेशे से बस चालक हैं। जबकि माता कमलजीत ¨सह कौर गृहणी हैं। दोनों अपने लाल के कमाल से बेहद खुश हैं। उनके चेहरे पर इसकी चमक साफ दिखाई देती है। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनका बेटा दुनिया में गांव और देश का नाम रोशन करेगा। बड़े भाई मंजीत ¨सह बड़बिल सेंट मेरिज स्कूल से प्लस टू की परीक्षा दे चुके हैं। छोटी बहन बल¨बद्र कौर बड़ाजामदा प्लस टू हाई स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं।
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कोट --
स्कूल के शिक्षक अमोद मिश्रा जी का सराहनीय योगदान रहा है। उन्होंने हर क्षण मेरा हौसला बढ़ाया है। माता और पिता को भी श्रेय दूंगा, जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया।
- इंद्रजीत सिंह
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