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चिड़िया माइंस के 491 मजदूरों के समक्ष फिर लटकी छंटनी की तलवार

आरएमडी सेल की मनोहरपुर ओर माइंस चिड़िया में वर्तमान में ठेका कर्मी के रूप में कार्यरत 491 मजदूरों के समक्ष फिर से एक बार छंटनी की तलवार लटक रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 07:48 PM (IST)
चिड़िया माइंस के 491 मजदूरों के समक्ष फिर लटकी छंटनी की तलवार
चिड़िया माइंस के 491 मजदूरों के समक्ष फिर लटकी छंटनी की तलवार

संवाद सूत्र, मनोहरपुर : आरएमडी सेल की मनोहरपुर ओर माइंस चिड़िया में वर्तमान में ठेका कर्मी के रूप में कार्यरत 491 मजदूरों के समक्ष फिर से एक बार छंटनी की तलवार लटक रही है। मजदूरों की छंटनी करने को लेकर ठेका कंपनी नारायणी संस प्राईवेट लिमिटेड की पहल पर श्रम मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए 28 मई की तिथि बैठक के लिए निर्धारित की गई थी। तय तिथि 28 मई दिन गुरुवार को निर्धारित वीडियो कांफ्रेंसिग बैठक में किसी कारण से बैठक किसी निर्णय के बिना आधे में ही स्थगित कर दी गई। उक्त बैठक में मजदूर हित में ठोस निर्णय नहीं हो पाने से विभिन्न संगठन के मजदूर नेता नाखुश नजर आए। मजदूरों के भविष्य का फैसला लेने को लेकर श्रम मंत्रालय ने बैठक में चिड़िया माइंस के एजीएम जीआर मोहंती, सहायक श्रम आयुक्त चाईबासा के प्रवीण कुमार, ठेका प्रबंधन नारायणी संस प्राइवेट लिमिटेड के अलावे चार मजदूर यूनियन के महासचिवों को बुलाया था। जिसमें यूनाइटेड मिनरल्स वर्कर्स यूनियन की लारू जोंकों, बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के नवल किशोर सिंह, भारतीय मजदूर श्रमिक संघ के राजेश विश्वकर्मा और झारखंड मजदूर श्रमिक संघ के रामा पांडेय को वीडियो मोड बैठक में बुलाया गया था, पर मीटिग में किसी फैसले पर पहुंचने के पहले आधे में ही स्थगित कर दी गई। बैठक में मजदूर हित में कोई अहम फैसला नहीं होने से मजदूर यूनियन वाले निराश हुए। इधर भरतीय मजदूर संघ मजदूर यूनियन के राजेश विश्वकर्मा ने बताया कि बैठक में उन्हें शामिल होने का पत्र प्राप्त होने के बावजूद बैठक के दिन चिड़िया सेल के एक पदाधिकारी उन्हें बैठक में शामिल होने से कुछ बातें बोलने से रोकने का प्रयास किया था। पर वे जब बैठक में शामिल हुए, तो बैठक आधे में स्थगित कर दी गई। वे कहते हैं कि ठेका प्रबंधन व सेल प्रबंधन नहीं चाहते कि छंटनी को लेकर बैठक में मजदूर हित में कोई फैसला हो। इसलिए उन्हें बैठक में शामिल होने से रोका जा रहा था। अब अगली बैठक का उन्हें इंतजार है। जिसमें वे मजदूरों का पक्ष जोरदार ढंग से रखेंगे।

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