उपरुम जुमुर के मंच से लिया गया सामाजिक कुरीतियों को मिटाने का संकल्प
समाज में व्याप्त कुरितियां जैसे डायन प्रथा नशापान और अशिक्षा समाप्त करने के लिए हम सभी को मिलकर सोच व मंथन करने की आवश्यकता है।
संवाद सहयोगी, चाईबासा : समाज में व्याप्त कुरितियां जैसे डायन प्रथा, नशापान और अशिक्षा समाप्त करने के लिए हम सभी को मिलकर सोच व मंथन करने की आवश्यकता है। यह बातें आदिवासी हो समाज महासभा का वार्षिक उपरुम-जुमुर कार्यक्रम में आदिवासी हो समाज युवा महासभा के महासचिव गब्बर सिंह हेम्ब्रम ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील देश में हर बीमारी का इलाज संभव हो रहा है। इसलिए बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाएं। कभी भी हम ओझा गुनी के पास नहीं जाएं। चूंकि हम अंधविश्वास की जंजीर में जकड़कर बेवजह अपने भाई-बहनों व रिश्तेदारों की डायन के नाम पर हत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशा हमें विनाश की ओर ले जाता है। लिहाजा हमें विकास की राह पकड़ने के लिए नशा से दूर रहने की आवश्यकता है। शिक्षा समाज की दशा और दिशा बदलने में अहम भूमिका निभाती है। इसलिए शिक्षा हर घर का जरुरत के रुप में देखना आवश्यक है। कार्यक्रम में बतौर अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा, खरसावां विधायक दशरथ गागराई, जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिकू, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष लालमुनि पुरती, जिला परिषद उपाध्यक्ष चांदमुनी बलमुचु, पूर्व विधायक शशिभूषण सामड, पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष गीता बलमुचू, पूर्व बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ चांपिया, डा. बलभद्र बिरुवा, महिला नेत्री मोनिका बोयपाई, विजय मेलगांडी, आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पूर्व अध्यक्ष भूषण पाठ पिगुवा, बीडीओ साधुचरण देवगम, बीडीओ जयंती देवगम, प्रो. संजीव कुमार बिरुली ने अपने-अपने विचार रखें। कार्यक्रम में विभिन्न नृत्य दलों द्वारा रंगारंग नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मौके पर आदिवासी हो समाज महासभा के अध्यक्ष अर्जुन मुंदुईया, महासचिव यदुनाथ तियू, संयुक्त सचिव बामिया, युवा महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बबलू सुंडी, बोयो गागराई, सतीश सामड समेत कार्यक्रम संचालन समिति युवा व काफी संख्या में हो समाज के महिला-पुरुष व युवक-युवतियां उपस्थित थे। कोरोना काल में शिक्षा जागरुकता अभियान चलाने वाले हुए सम्मानित
कार्यक्रम में अतिथियों के वर्तमान कोरोना काल में शिक्षा जागरूकता अभियान चला रहे आल कोल्हान आदिवासी शिक्षक समिति, कोल्हान बिति हुंडि पेए आखड़ा तुरतुंग मसकल ट्रस्ट असुरा, सेयां मसकल उलगुलान, शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों विमल किशोर बोयपाई, संजय कुमार जारिका, विद्यासागर लागुरी, दामू सुंडी, प्रदीप देवगम, कृष्णा देवगम, सरिता पुरती, जवाहरलाल बांकिरा, सोनी बांकिरा, हरिश्चंद्र लागुरी, सिकंदर बुड़ीउली, दिलदार पुरती, जगन्नाथ हेस्सा, मंगल सिंह मुंडा, हरिचरण और तिलकधारी को अतिथियों के हाथों पौधे और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।