हाथियों से बचाव के लिए आम लोगों को करें प्रशिक्षित : उपायुक्त
उपायुक्त सुशांत गौरव की अध्यक्षता में हाथी मेरे साथी विषय से संबंधित समीक्षा बै
जासं,सिमडेगा : उपायुक्त सुशांत गौरव की अध्यक्षता में हाथी मेरे साथी विषय से संबंधित समीक्षा बैठक का आयोजन हुआ। विधायक कोलेबिरा नमन बिक्सल कोंगाड़ी एवं विधायक सिमडेगा भूषण बाड़ा एवं उपस्थित पदाधिकारियों संग उपायुक्त ने हाथी मेरे साथी विषय पर विस्तृत चर्चा की। विधायक कोलेबरा ने समीक्षा के दौरान कहा कि मानव एवं हाथी के बीच का संघर्ष भोजन एवं पानी से है। जंगलों में वन प्राणियों से जुड़ा पेड़, पौधे लगाए जाएं जिससे की हाथियों को गांव में आने से रोका जा सके। सिमडेगा विधायक ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में कंटीले पौधों की उपज करने से हाथियों के झुंड को ग्रामीण क्षेत्र में आने से रोका जा सकता है।वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि प्रखडों में ग्राम वन समिति की स्थापना की गई है। समिति के खाते में हाथियों के आपदा से बचाव के लिए राशि भी दी जाती है। उक्त राशि से हाथियों को गांव में आने से रोकने, भगाने एवं अन्य बचाव का कार्य कर सकते हैं। साथ ही बचाव के किट, आवश्यक सामग्री एवं बचाव की दिशा में ग्रामीणों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उपायुक्त सुशांत गौरव ने समीक्षा के दौरान कहा कि हाथी एक शिष्टाचारी जानवर है। जो कि एक श्रेणी में एक ही रास्ते से आवाजाही करते हैं। आम -जन को हाथियों के प्रकोप से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में प्राप्त सुझाव के मद्देनजर वन प्रणियों से जुड़ा हुआ पेड़ एवं पौधों का जंगल एवं गांव से दूर हाथियों के आने-वाले जंगलों में प्लांटेशन करने से ग्रामीणों की सुरक्षा में मददगार साबित होगा। वन प्रमंडल पदाधिकारी को सूचीनुसार प्रभावित क्षेत्र में वन कर्मियों से स्थल चयन पूर्ण कराते हुए प्राप्त सुझाव के तहत वन प्राणियों से जुड़ा हुआ पेड़, कंटीले पौधों का प्लांटेशन कराने का निर्देश दिया। माइक्रो प्लानिग कर लें। स्थल पर भौतिक निरीक्षण भी किया जाएगा। डीसी ने कहा कि आकस्मिक आपदा से निपटने की दिशा में स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षित करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त कार्यशैली का आकलन मॉक पॉल कर कराना आवश्यक है। वन पदाधिकारी ग्रामीणों को हाथियों के आने से बचाव के लिए जरूरी शस्त्र एवं आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराते हुए ग्रामीणों को प्रशिक्षण देते हुए जागरूक करने का निर्देश दिया। प्राप्त प्रशिक्षण का मॉक-पॉल भी कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि हाथियों के प्रकोप से बचाव के लिए किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्य में आम-जनों की सहभागिता एवं जागरूकता जरूरी है। स्वयं से हाथियों से बचाव की दिशा में लगाए गए पेड़, पौधों की समय-समय पर देखभाल करें। जो भी ग्रामीण प्रशिक्षण लें, वे हाथियों के आने के उपरांत दिये गए प्रशिक्षण के मुताबिक ससमय बचाव की दिशा में कार्य करें। एक टीम भावना एवं अनुशासन की भावना होनी चाहिए। वन समिति के खाते में उपलब्ध राशि का हाथियों से बचाव की दिशा में राशि का व्यय करें। स्टॉक पंजी मेंटेन करें। समिति के अध्यक्ष का नाम एवं मोबाइल नंबर पंचायत भवन में दीवार लेखन करा दें, जिससे कि ग्रामीण आवश्यकता पड़ने पर संपर्क स्थापित कर सकें। स्थानीय जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को जागरूक करें।