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स्वतंत्रता व समानता हर व्यक्ति का अधिकार : सीजेएम

सिमडेगा मानव अधिकार दिवस के मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में केंद्रीय वि

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 10:14 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 10:14 PM (IST)
स्वतंत्रता व समानता हर व्यक्ति का अधिकार : सीजेएम
स्वतंत्रता व समानता हर व्यक्ति का अधिकार : सीजेएम

सिमडेगा : मानव अधिकार दिवस के मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में केंद्रीय विद्यालय सिमडेगा में मंगलवार को विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-सह-सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, सिमडेगा, आनंद मणि त्रिपाठी ने कहा कि इंसानी अधिकारों को पहचान देने और उसके हक की लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्?ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने और उसके खिलाफ आवाज उठाने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। हर इंसान को जिदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है।भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है।उन्होंने कहा कि भारत में 28 सितंबर,1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया।12 अक्?टूबर, 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया।वहीं 10 दिसंबर 1948 को'संयुक्त राष्ट्र असेंबली'ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर पहली बार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की घोषणा की थी।हम कह सकते हैं कि मानव अधिकार वह मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के मानकों को स्पष्ट करते हैं।एक इंसान होने के नाते ये वो मौलिक अधिकार हैं,जिनका प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हकदार है, ये अधिकार कानून द्वारा संरक्षित हैं। प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना स्वतन्त्र जीवन जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति को निष्पक्ष न्यायालय द्वारा निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है। इसमें उचित समय के भीतर सुनवाई, जन सुनवाई और वकील के प्रबंध आदि के अधिकार शामिल हैं।प्रत्येक व्यक्ति को विचार और विवेक की स्वतंत्रता है। उसे अपने धर्म को चुनने की भी स्वतंत्रता है और अगर वह इसे किसी भी समय बदलना चाहे तो उसके लिए भी स्वतंत्र है।गुलामी और दास प्रथा पर कानूनी रोक है। हालांकि यह अब भी दुनिया के कुछ हिस्सों में इसका अवैध रूप से पालन किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अत्याचार देने पर प्रतिबंध है।हर व्यक्ति अत्याचार न सहने के लिए स्वतंत्र है। मानव अधिकार विभिन्न कानूनों द्वारा संरक्षित हैं, लेकिन अभी भी लोगों, समूहों और कभी-कभी सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है।मानव अधिकारों के दुरुपयोग की निगरानी के लिए कई संस्थान बनाए गए हैं।जहां सरकारें और कुछ गैर-सरकारी संगठन भी इनकी जांच करते हैं।कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल अधिवक्ता तेजबल ने कहा कि बालकों के भी अधिकार हैं।बालकों को यदि लगता है कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है तो चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर त्वरित कार्रवाई हेतु सूचना दे सकते हैं।कार्यक्रम का प्रारंभ केंद्रीय विद्यालय की प्रधानाचार्य बिना तिर्की ने आगंतुक अतिथियों का परिचय करा कर किया । कार्यक्रम को शेरा सैमसंग तिर्की तथा मनजीत कुमार साहु, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी एवं अधिवक्ता विजय कुमार मिश्रा तथा प्रदूमन सिंह ने भी संबोधित किया।

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