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अमेरिका में हाकी व संस्कृति में दम दिखाएगी पूर्णिमा

अमेरिका में हाकी व संस्कृति में दम दिखाएगी पूर्णिमा

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2022 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2022 10:23 PM (IST)
अमेरिका में हाकी व संस्कृति में दम दिखाएगी पूर्णिमा
अमेरिका में हाकी व संस्कृति में दम दिखाएगी पूर्णिमा

अमेरिका में हाकी व संस्कृति में दम दिखाएगी पूर्णिमा

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जासं,सिमडेग:झारखंड के अलग-अलग जिलों के सुदूरवर्ती गांव में रहने वाली 5 हाकी खिलाडी सोमवार को 21 दिन के लिए अमेरिका रवाना हुईं हैं।इस टीम में सिमडेगा जिले की पूर्णिमा नेटी भी शामिल हैं जो मूल रूप से सिमडेगा प्रखंड अंतर्गत कुल्लुकेरा के लसिया गांव की रहने वाली है।अमेरिका में वह खेल और सांस्कृतिक आदान- प्रदान कार्यक्रम में भारत देश का प्रतिनिधित्व करेगी।पूर्णिमा का चयन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में अपना हुनर को दिखाने के लिए चयन होने पर गोंडवाना लाज, सलडेगा, सिमडेगा में हर्ष का माहौल। गोंडवाना लाज के संस्थापक सह संचालक कमलेश्वर मांझी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सिमडेगा जैसे छोटे जिले से अपनी प्रतिभा को विश्व स्तर पर दिखाने का अवसर मिलना वाकई में सम्मानजनक है। पूर्णिमा नेटी हाकी खेल की शुरुआत गोंडवाना लाज में ही रहकर की थी। लाज की लड़कियों के लिए गोंडवाना क्लब नाम से टीम बनाई गई है।उसी टीम का सदस्य पूर्णिमा नेटी भी थी।उसकी खेल की कोचिंग कमलेश्वर मांझी के निगरानी में राष्ट्रीय खिलाड़ी शकुंतला कुमारी व हाकी कोच तारिणी कुमारी से मिली थी।हाकी सिमडेगा द्वारा आयोजित मेजर ध्यानचंद हाकी प्रतियोगिता में भी पूर्णिमा को अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए गोंडवाना क्लब टीम में शामिल किया गया था। जिले के सबसे पुरानी हाकी खेल प्रतियोगिता लठ्ठाखमन में होती रही है।वहां भी गोंडवाना क्लब टीम में पूर्णिमा नेटी शामिल थी।गोंडवाना आदिवासी कल्याण एवं विकास मंच सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित बुजुर्ग दिवस हाकी प्रतियोगिता, वीर नारायण सिंह स्मारक हाकी प्रतियोगिताओं में बार- बार शामिल होने से उसके खेल में और निखार आता गया। हाकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी भी पूर्णिमा का मार्गदर्शन करते रहे थे।

लड़कियों के लिए गोंडवाना लाज वरदान

सिमडेगा:गोंडवाना लाज की स्थापना उस वक्त की गई थी जब सुरक्षा कारणों और सामाजिक कुप्रथाओं के कारण लड़कियों को बाहर पढ़ने और खेलने के लिए समाज द्वारा रोक लगाया जाता था।उस वक्त शिक्षक कमलेश्वर मांझी अपने कुछ साथियों से गहन विचार कर अपने घर को ही लाज के रूप में परिवर्तित कर सुदूरवर्ती गांव की लड़कियों को निशुल्क आश्रय देने लगे। आज वर्तमान में करीब 50 लड़कियां रहकर अपनी सपनों साकार करने में जुटी हैं।यहां के बच्चों का घर में ही कमलेश्वर मांझी के द्वारा निःशुल्क ट्यूशन लिया जाता है। खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बच्चों को अवसर किया जाता है।


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