50 बेड का अस्पताल, 12 वर्षों में भी अधूरा
अस्पताल भवन है अधूरास्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
50 बेड का अस्पताल, 12 वर्षों में भी अधूरा
प्रशांत कुमार
बानो(सिमडेगा):जिला मुख्यालय से करीब 100 किमी दूर प्रखंड के पीएचसी हुरदा में बन रहे 50 शैय्या वाला अस्पताल 12 वर्षों के बाद भी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो पाया है। भवन निर्माण अपूर्ण रहने से अभी भी इसका हैंड-ओवर नहीं हो पाया है।
इसके कारण क्षेत्र के लोगों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पा रही है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान में कोई डाक्टर नही है। सफाई कर्मी रीता देवी के भरोसे अस्पताल चल रहा है। अस्पताल में आजतक कोई डाक्टर की स्थायी रूप से नियुक्ति नहीं हुई है।समाज सेवी राजेश बड़ाइक ने बताया कि इस अस्पताल में डाक्टर क्या, मरीजो को मरहम-पट्टी की व्यवस्था नही है।जो भी मरीज इलाज के लिए आते हैं,वे बगैर समुचित इलाज के ही वापस चले जाते है।हुरदा अस्पताल में जाने से सफाई कर्मी रीता देवी ही मिलती है। ग्राम सभा अध्यक्ष घनश्याम सिंह से कई ग्रामीणों ने शिकायत की है कि अस्पताल के सामने संवेदक द्वारा सड़क के किनारे नाली बनाने के लिए लगभग 8 फीट गढ्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है। जिससे लोगो को काफी परेशानी हो रही है।
पूर्व डीसी की पहल पर पुन:शुरू हुआ था कार्य :
सिमडेगा:पूर्व उपायुक्त सुशांत गौरव ने अस्पताल के पुनर्निर्माण कर अविलंब चालू करने की बात कही थी। उनकी पहल पर अस्पताल निर्माण का कार्य शुरू हुआ लेकिन आज भी कुछ कार्य अधूरे ही पड़े है।इस अस्पताल पूर्ण रूप से शुरू हो जाने से जामताई,रायकेरा, डुमरिया ,गेनमेर एवं सहुबेड़ा पंचायत के लगभग 50 से 60 गांव के लोगों का समुचित इलाज मिलता।
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हुरदा पीएचसी के लिए बने भवन में अब भी कुछ खामियां हैं। जिसके कारण हैंडवओवर नहीं लिया जा सका
है। भवन हैंडओवर होने के बाद सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।
डा.पीके सिन्हा, सिविल सर्जन,सिमडेगा