कर्म को साधन नहीं, साध्य बनाएं: डॉ.पद्मराज जी
सिमडेगा: शहर के जैन भवन में आयोजित सत्संग समारोह में झारखण्ड में बड़े त्यौहार के रूप म
सिमडेगा: शहर के जैन भवन में आयोजित सत्संग समारोह में झारखण्ड में बड़े त्यौहार के रूप में मनाए जाने वाले करमा पर्व के सम्बंध में सभा को सम्बोधित करते हुए कथावाचक डॉ. पद्मराज जी महाराज ने कहा कि पर्व, त्यौहार हमारी खुशियों को बढ़ाने के साथ-साथ हमें विभिन्न प्रकार की प्रेरणा भी देते हैं। करम पर्व भी उत्कृष्ट परिश्रम द्वारा स्वावलम्बी बनकर धर्ममार्ग में बढ़ने की प्रेरणा देता है। करम देव या राजा वस्तुत: हमारा नि:स्वार्थ परिश्रम ही है। इसी को श्रीकृष्ण वासुदेव गीता में अनासक्त कर्मयोग कहते हैं।
स्वामी जी ने बताया कि जब हम कर्म को ही पूजा स्वीकार करके कर्म करते हैं तब वे कर्म करना ही हमारा लक्ष्य हो जाता है।ऐसे में व्यक्ति गलत कर्म कर ही नहीं सकता। किन्तु जब तक कर्म को हम साधन के रूप में करते हैं तब तक हम उनके प्रति अनासक्त नहीं हो पाते। हम ें अनासक्त कर्म करने के लिए कर्म को साधन नहीं, साध्य बनाना होगा। स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को करमा त्यौहार की बधाई देते हुए कहा कि बहनों के द्वारा भाइयों को मंगलकामना देने का यह पर्व धर्म की भी आवश्यकता को बयां करता है। हमारे देश में भाई-बहिनों के नाम पर दो अन्य पर्व भी प्रचलित हैं, रक्षाबन्धन और भाईदूज। इन सभी पर्वों का अपना-अपना इतिहास है। करमा पर्व की विशेषता है कि यहाँ करमा और धरमा नामके दो भाइयों की कथा के माध्यम से समझाया गया है कि कर्म और धर्म जब संयुक्त होकर कार्य करते हैं तभी करम देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद दें। इस मौके पर महावीर अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, सोनू अग्रवाल, रामोतार बंसल, गो¨वदराम बंसल, विमला बंसल, प्रधान अशोक जैन, मनोज जैन, रामनारायण रोहिल्ला, सुशील जैन, गुलाब जैन, राजेन्द्र अग्रवाल आदि उपस्थित थे।