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आजीविका कार्यक्रम से जुड़े 81 हजार परिवार, दूर होगी गरीबी

सिमडेगा झारखंड के सीमावर्ती जिले में शामिल सिमडेगा जिला में आजीविका को लेकर अब तस्वीर ब

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 11:17 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 06:39 AM (IST)
आजीविका कार्यक्रम से जुड़े 81 हजार परिवार, दूर होगी गरीबी
आजीविका कार्यक्रम से जुड़े 81 हजार परिवार, दूर होगी गरीबी

सिमडेगा : झारखंड के सीमावर्ती जिले में शामिल सिमडेगा जिला में आजीविका को लेकर अब तस्वीर बदलने व संवरने लगी है। इसकी एक बानकी झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसायटी अर्थात जेएसएलपीएस के कार्य व कार्यक्रम हैं, जिनसे करीब 6387 सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से 81077 घरों को विभिन्न योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित किया जा रहा है। जेएसएलपीएस द्वारा चलाए जा रहे कई कार्यक्रमों के माध्यम से सिमडेगा जिले के ग्रामीण लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। खास तौर पर उन आदिवासी बहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए जेएसएलपीएस द्वारा 6387 समूह बनाकर विभिन्न योजनाओं से जोड़ने की पहल की गयी है। समूह की दीदियों ने बकरी पालन, सूकर पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, लैमन ग्रास की खेती, तुलसी की खेती, जैविक खाद्य उत्पादन, इमली प्रोसेसिग एवं चिरौंजी प्रोसेसिग जैसी योजनाओं से ग्रामीणों को जोड़कर उनके आर्थिक स्तर में सुधार की पहल कर रही हैं। साथ ही इन योजनाओं के माध्यम से जिले के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की कवायद भी की जा रही है। अब तक जेएसएलपीएस द्वारा गठित समूह की दीदियों द्वारा सिमडेगा के 81077 घरों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा चुका है तथा इन घरों के लोगों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा चुकी है। 4500 बकरियों का हुआ वितरण

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: जेएसएलपीएस द्वारा वर्तमान में 4500 बकरियों का वितरण किया जा रहा है। विगत एक सप्ताह में एक हजार बकरियों का वितरण किया जा चुका है। बकरी वितरण सिमडेगा के सभी प्रखंडों में चलाया जा हैं, वैसे लाभुक जो गरीबी रेखा के नीचे हैं उन्हें चिन्हित कर योजना का लाभ प्रदान किया जा रहा है। हर लाभुक परिवार को एक यूनिट पशुधन प्रदान किया जा रहा है। प्रति यूनिट में पांच बकरी एवं एक बकरा लाभुकों को प्रदान किया जा रहा है। वहीं इसी क्रम में ग्रामीणों को सूकर पालन,मछली पालन, मुर्गीपालन एवं मधुमखी पालन योजना से ग्रामीणों को जेएसएलपीएस द्वारा जोड़ने की पहल की जा रही है।

केस स्टडी 1

सिमडेगा से 18 किलोमीटर दूर पाकरटांड के भंडारटोली की निवासी गोरती डुंगडुग कहना है कि खेती कर जो उत्पादन होता था उसे बेचने के बाद भी घर का खर्च चलाना काफी कठिन था। लेकिन जेएसएलपीएस द्वारा प्रदान किये गये लोन के माध्यम से अब स्वयं की खेती एवं व्यापार बेहतर तरीके से कर रही हूं। पूंजी मिलने के बाद से उत्पादन को बेचने के बाद प्रति महीने 15 से 20 हजार रुपये आय हो जाती है, इस वजह से हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। केस स्टीज 2

कोलेबिरा प्रखंड के नवाटोली निवासी उर्मिला देवी का कहना है कि विगत साल 3 नवंबर 2018 को पति स्वर्गीय लल्लू साहू की मौत हार्टअटैक से हो गयी। परिवार का भरण पोषण के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी लेकिन जेएसएलपीएस के महिला समूह से ऋण लेकर मनिहारी का दुकान खोली हूं जिसके माध्यम से परिवार को भरण पोषण संभव हो सका है। यहीं नहीं जेएसएलपीएस की दीदियों के सहयोग से पीएमजेजेवाई बीमा कराया गया था, इसके कारण मुझे दो लाभ रूपये मिले। विधवा पेंशन भी समूह की दीदियों के माध्यम से मिलने लगा है।

स्वरोजगार से रूकेगा पलायन

: जेएसएलपीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीएम) निशिकांत नीरज ने कहा कि सिमडेगा जिला के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही उनको स्वरोजगार से जोड़ने की पहल जेएसएलपीएस के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से की जा रही है, ताकि यहां के लोगों को गरीबी के कारण मजबूरी में कहीं अन्य स्थानों पर पलायन न करना पड़े। संस्थान द्वारा जिले में से जोड़कर उनके आर्थिक स्तर में सुधार की पहल की जा रही है। लोगों के सुधर रहे आर्थिक हालत : डीसी

: उपायुक्त विप्रा भाल ने कहा कि सिमडेगा जिले में रोजगार एक बड़ी चुनौती है। रोजगार के अभाव में यहां के लोगों को पलायन होने को विवश होना पड़ता है। जेएसएलपीएस द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल की गई है। साथ लोगों के आर्थिक स्तर में सुधार के लिए जिला प्रशासन द्वारा कार्यक्रमों का निगरानी समय-समय पर की जा रही है।


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