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हाथियों के आतंक से बचाव के लिए ग्रामीण बना रहे मचान

सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल दलमा सेंचुरी की तराई में बसे मकुलाकोचा तुलिन कदमझोर काठझोड़ समेत दर्जनों आदिवासी बहुल गांव के लोग हाथियों के उत्पात से दहशत में हैं। फुसरी और दलमा में गजराज के आतंक को देख ग्रामीण निजी स्तर से 120 फीट की उंचाई पर कुसुम के पेड़ पर मचान बना रहे हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:56 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:57 PM (IST)
हाथियों के आतंक से बचाव के लिए ग्रामीण बना रहे मचान
हाथियों के आतंक से बचाव के लिए ग्रामीण बना रहे मचान

जागरण संवाददाता, सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल दलमा सेंचुरी की तराई में बसे मकुलाकोचा, तुलिन, कदमझोर, काठझोड़ समेत दर्जनों आदिवासी बहुल गांव के लोग हाथियों के उत्पात से दहशत में हैं। फुसरी और दलमा में गजराज के आतंक को देख ग्रामीण निजी स्तर से 120 फीट की उंचाई पर कुसुम के पेड़ पर मचान बना रहे हैं। शाम होते ही खेत मालिक व परिवार के दो-तीन लोग टार्च व पटाखे आदि लेकर पहरेदारी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जंगल से आठ से 15 की संख्या में हाथी आते हैं और खेत में लगी फसल को चट कर जाते हैं। घरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जान-माल की क्षति व वन विभाग की उदासीनता को देखते हुए ग्रामीणों ने अपनी रक्षा खुद करने का निर्णय लिया है। अब ग्रामीण ऊंचे पेड़ों पर मचान बांधकर हाथियों को गांव में घुसने से रोकने की कोशिश में लगे हैं।

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