बतरबेड़ा गांव में पेंशन की आस में बीत गए तीस वर्ष, राशन कार्ड भी नही बना Saraikela News
गांव में कई ऐसे भी गरीब असहाय महिला और पुरूष हैंं जो सरकार की कल्याणकारी योजना से पूरी तरह वंचित है।
हेंसल (रविकांत गोप)। राजनगर प्रखंड के केण्डमूड़ी पंचायत अंतर्गत बतरबेड़ा गांव में विकास के नाम पर सरकार ने सड़क, पानी,बिजली की व्यवस्था तो कर दी है। सार्वजनिक स्तर पर सरकार का कार्य नजर आता है। परन्तु गांव में कई ऐसे भी गरीब, असहाय महिला और पुरूष हैंं जो सरकार की कल्याणकारी योजना से पूरी तरह वंचित है।
इस गांव में लगभग 20 से 30 ऐसे वृद्ध और असहाय महिला, पुरुष है। जो कि पेंशन योग्य है। अब तक उनको पेंशन नही मिल रही। कई बार पेंशन का आवेदन फार्म भर कर पंचायत में तो कभी अंचल कार्यालय में तो कभी जनता दरबार मे जमा कराया गया।लेकिन अब तक पेंशन की स्वीकृति नही हुई। परन्तु वे आस लागए बैठे है कि कब्र में जाने से पहले सरकार द्वारा पेंशन राशि मिल जाय तो बचे कूचे दिन गुजर जाएंगे।लेकिन कम से कम सरकार की नजर हम पर पड़े और पेंशन की स्वीकृति मिले।
क्या कहते हैं बुजुर्ग
मेरी उर्म 65 वर्ष है और मेरे पति का देहांत 30 वर्ष पहले हो चुका है लेकिन ना मुझे विधवा पेंशन मिला, ना ही वृद्धा पेंशन, मेरा एक बेटा है और उसका भी मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। रोजी रोजगार का कोई साधन भी नहीं है।
हीरा देवी हांसदा
मेरी उम्र 70 वर्ष हो चुका है और मैंने कई बार वृद्धा पेंशन का फार्म पंचायत में,तथा जनता दरबार में भी जमा किया लेकिन अब तक मुझे पेंशन नहीं मिला पूछने पर केवल आश्वासन मिलता है की पेंशन मिल जाएगा अब तो बस पेंशन की आस है।
भोकेश्वर पात्रो
मेरी उम्र 75 वर्ष है और मैं ठीक से देख भी नहीं पाता हूं मेरा नाम तो राशन कार्ड बना है और ना ही मुझे पेंशन मिलती है अपनी टूटी फूटी झोपड़ी में केवल मैं और मेरी पत्नी डूबने टू डू रहते हैं मेरी पत्नी पैरों से लाचार हैं हमारा ना बेटा है ना बेटी और ऐसे में कोई सरकारी सुविधा भी हमें उपलब्ध नहीं है।
भूताड़ मांझी
मैं 60 वर्ष की वृद्धा हूं। मेरे पति के देहांत कई वर्ष पहले हो चुका है। मेरी कोई संतान भी नहीं जिसके पास रह सकू। मैं बिल्कुल अकेली हूं मुझे ना तो पेंशन मिलती है। ना ही मेरा कोई राशन कार्ड है मैं अपने भाई के यहां अपनी जीवन गुजर कर रही हूं।
सोइलेक पात्रो
मेरी उम्र 65 वर्ष की हो चुकी है और मैं कई वर्ष पहले विधवा हो चुकी हूँ। इसके बावजूद भी मुझे अब तक पेंशन नहीं मिला और मैं अत्यंत ही गरीब हूं।
सोरी मुर्मू