कोरोना काल में भी नहीं खुला उप स्वास्थ्य केंद्र का ताला
कोरोना काल में एक ओर पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हाई अलर्ट जारी रहा। वहीं दूसरी ओर कांड्रा हाट परिसर स्थित स्वास्थ्य उप केंद्र में कोरोना काल में भी ताला लटका रहा। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य उप केंद्र में न चिकित्सक आते हैं और न ही उनके अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारी या नर्स..
जागरण संवाददाता, सरायकेला : कोरोना काल में एक ओर पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हाई अलर्ट जारी रहा। वहीं दूसरी ओर कांड्रा हाट परिसर स्थित स्वास्थ्य उप केंद्र में कोरोना काल में भी ताला लटका रहा। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य उप केंद्र में न चिकित्सक आते हैं और न ही उनके अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारी या नर्स। कांड्रा के शहरी इलाकों समेत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिए दूर-दूर तक एमबीबीएस चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पूर्व में कांड्रा क्षेत्र में सरायकेला ग्लास वर्क्स कंपनी के कार्यकाल में कंपनी का अपना निजी अस्पताल था। परंतु वर्ष 1993 में कंपनी बंद हो गई और कंपनी का निजी अस्पताल भी बंद हो गया। सरकारी स्वास्थ्य सेवा की बदहाली का लाभ मेडिकल रूरल प्रैक्टिशनर व झोलाछाप डाक्टरों तक पहुंच गया। स्थानीय लोगों की मानें तो कांड्रा समेत आसपास के क्षेत्रों में लगभग एक दर्जन झोलाछाप डाक्टरों के निजी क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। जब इस संबंध में गम्हरिया प्रखंड के स्वास्थ्य प्रभारी डा जागेश्वर प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रतिदिन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संबंधित उप स्वास्थ्य केंद्र में दो एएनएम नर्सों की प्रतिनियुक्ति की गई है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से उनकी अनुपस्थिति की जानकारी ली जाएगी। यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। जांच के बाद मामला सही पाए जाने पर प्रतिनियुक्त एएनएम नर्सो को शो-कॉज कर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा।
- डा. हिमांशु भूषण बरवार, सिविल सर्जन, सरायकेला-खरसावां।