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नगाड़े की चोट पर नाचे बैल व भैंसा

गम्हरिया प्रखंड के हाथीटांड़ में प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी गोरू-खूंटा उत्सव मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 05:38 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 05:38 PM (IST)
नगाड़े की चोट पर नाचे बैल व भैंसा
नगाड़े की चोट पर नाचे बैल व भैंसा

जागरण संवाददाता, सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड के हाथीटांड़ में प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी शनिवार को गोरु-खूंटा उत्सव का आयोजन किया गया। इसमें नगाड़े की चोट पर बैल और भैंस जमकर नाचे। शनिवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ उत्सव का आयोजन किया गया। इसमें गांव के लगभग पचासों अड़ियल बैल व भैंसा को खूंटा में बांधकर भड़काते हुए खूंटाया गया।

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बांदना पर्व झारखंड का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें गोधन की पूजा की जाती है। इस मौके पर तीन दिनों तक बैल एवं भैंसा को प्यार से खिलाया-पिलाया जाता है। मवेशियों को नहला धुला कर उसके शरीर को विभिन्न रंगों से सजाया जाता है तथा सीगों पर महुआ तेल लगाया जाता है। बांदना के अंतिम दिन अड़ियल बैल एवं भैंसे को एक मजबूत खूंटा से बांधा जाता है और उसे गाजे-बाजे के साथ क्रोधित किया जाता है। बैल व भैंसा खूंटा के चारों ओर क्रोधित होकर उछलने लगता है। इसे गोरु खूंटा या काड़ा खूंटा कहा जाता है। हाथीटांड में इस उत्सव को देखने दूर दराज से काफी संख्या लोग पहुंचते हैं। शनिवार को यह कार्यक्रम कई घंटों चला। बारी-बारी से बैल व भैंसा को खूंटाया गया। इस मौके पर स्थानीय एवं दूरदराज के विभिन्न गांवों से दर्शक पहुंचे थे। रात को यहां झूमर संगीत का आयोजन किया गया। इसमें काफी संख्या में स्थानीय एवं आसपास के ग्रामीणों ने झूमर का लुत्फ उठाया।


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