खरना आज, सूर्य को पहला अर्घ्य कल
लोक आस्था का महापर्व छठ रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।
जागरण संवाददाता, सरायकेला : लोक आस्था का महापर्व छठ रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर सरायकेला की गलियां गुलजार हो गई। स्वच्छता के माहौल में पूरा सरायकेला छठमय हो गया है। गली-कूचों में छठी मइया के गीतों से भक्ति बयार बह रही है। कई स्थानों पर स्वागत द्वार भी लगाए गए हैं। भगवान भास्कर को अर्घ्य दिए जाने वाले घाटों पर भी उत्सवी माहौल है। एक तरफ जहां युद्धस्तर पर छठ घाटों की सफाई हो रही है, वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी यहां व्रतियों की सुविधा के लिए व्यवस्था की जा रही है।
जिले में लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ रविवार से शुरू हो गया। सोमवार को खरना होगा। इसे छठ पूजा का दूसरा व कठिन चरण माना जाता है। इस दिन व्रती निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। उसके अगले दिन बुधवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ समाप्त हो जाएगा।
छठ को लेकर बाजार में भीड़
छठ पूजा को लेकर प्रसाद सामग्रियों की खरीददारी जोरों पर चल रही है। विदित हो कि सरायकेला में प्रतिवर्ष काफी हर्षोल्लास के साथ आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। काफी संख्या में व्रती खरकाई नदी में जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। खरकाई नदी पर जगन्नाथ घाट, कुदरसाही घाट व श्मशान काली मंदिर घाट समेत तीन छठ घाट हैं। इसमें से सबसे अधिक व्रती एवं श्रद्धालुओं की भीड़ जगन्नाथ छठ घाट पर होती है। यहां प्रशासनिक एवं न्यायिक पदाधिकारियों के परिवार समेत सरायकेला के गणमान्य व्यक्ति के परिवार जाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। इधर सीनी में रेलवे के पंपू तालाब, राजा तालाब व मोहितपुर में छठ घाट हैं। इसमें सबसे अधिक भीड़ पंपू तालाब में व्रती एवं श्रद्धालुओं की भीड़ होती है।