अक्षय नवमी पर महिलाओं ने की आंवला वृक्ष की परिक्रमा
संतान प्राप्ति व सुख सौभाग्य की प्राप्ति के लिए खरसावां के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने सोमवार को अक्षय नवमी का व्रत किया। महिलाओं ने आंवला पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना की। इसके बाद पेड़ पर कच्चा दूध हल्दी रोली लगाया। पेड़ की परिक्रमा कर व्रती महिलाओं ने मौली भी बांधा..
संवाद सूत्र, खरसावां : संतान प्राप्ति व सुख सौभाग्य की प्राप्ति के लिए खरसावां के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने सोमवार को अक्षय नवमी का व्रत किया। महिलाओं ने आंवला पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना की। इसके बाद पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी, रोली लगाया। पेड़ की परिक्रमा कर व्रती महिलाओं ने मौली भी बांधा। आंवला के पेड़ पर दूध चढ़ाया और सिंदूर, चंदन से तिलक कर श्रृंगार का सामान चढ़ाया। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान विष्णु आंवला के पेड़ पर निवास करते हैं। इसलिए इस दिन महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा कर पुत्र रत्न प्राप्ति के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
पाप नाशक अक्षय नवमी पर हुई आंवला वृक्ष की पूजा : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। सरायकेला-खरसावां जिला में भी सोमवार को महिलाओं ने विधि-विधान के साथ आंवला नवमी की पूजा की। परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं आंवला नवमी पर आंवला वृक्ष की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना करती हैं। आंवला वृक्ष के नीचे पकवानों का भोग लगाया जाता है। उसके बाद उन्हीं पकवानों से व्रती महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा सामूहिक पूजन, वृक्ष परिक्रमा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धापूर्वक संपन्न किए जाते हैं। महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक पर भगवान विष्णु व शिव की पूजा आंवले के रूप में की थी। इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था। यह भी कहा जाता है कि आंवले के पेड़ के नीचे श्रीहरि विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। यह भी मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है। आंवला नवमी की पूजा करने से श्रीहरि विष्णु का सानिध्य प्राप्त होता है।