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दशकों से उलझा है असर्वेक्षित जमीन का मामला

गंगा के आंचल में जीने मरने वालों के लिए जमीन के मालिकाना हक का का मामला राजमहल विधानसभा क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है। साहिबगंज राजमहल व उधवा प्रखंड के दियारा क्षेत्र के किसान अपने की जमीन पर भूमिहीन बने हुए हैं क्योंकि असर्वेक्षित जमीन के कारण उसके जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। संयुक्त बिहार में भूमि का सर्वे सेटलमेंट किया गया। इस दौरान जो जमीन जिसके नाम से थी उसके नाम बंदोबस्त कर दी गई। दशकों से पश्चिम बंगाल से सीमा विवाद के चलते राजमहल विधानसभा क्षेत्र के दियारा इलाके का सर्वे सेटलमेंट नहीं हुआ। यह जमीन अब भी सरकार के नाम से है। इस वजह से इस इलाके में रहनेवाले लोगों को निवास प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किया जाता है। इससे लोगों को परेशानी होती है। बिहार की सीमा पर जमीन पर कब्जा का मामला कोर्ट तक में चला गया परंतु इसके बाद भी लोग भटक रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 05:10 PM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 05:10 PM (IST)
दशकों से उलझा है असर्वेक्षित जमीन का मामला
दशकों से उलझा है असर्वेक्षित जमीन का मामला

महासमर: बड़ा मुद़्दा: - संयुक्त बिहार में ही किया गया है भूमि का सर्वे सेटलमेंट

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- साहिबगंज, राजमहल व उधवा प्रखंड के दियारा क्षेत्र की सीमा पर जमीन को लेकर कायम है विवाद

- दबंग उठा रहे हैं असर्वेक्षित जमीन का फायदा

धनंजय मिश्र, साहिबगंज: गंगा के आंचल में जीने मरने वालों के लिए जमीन के मालिकाना हक का मामला राजमहल विधानसभा क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है। साहिबगंज, राजमहल व उधवा प्रखंड के दियारा क्षेत्र के किसान अपने की जमीन पर भूमिहीन बने हुए हैं असर्वेक्षित जमीन के कारण जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। संयुक्त बिहार में भूमि का सर्वे सेटलमेंट किया गया। इस दौरान जो जमीन जिसके नाम से थी उसके नाम बंदोबस्त कर दी गई। दशकों से पश्चिम बंगाल से सीमा विवाद के चलते राजमहल विधानसभा क्षेत्र के दियारा इलाके का सर्वे सेटलमेंट नहीं हुआ। यह जमीन अब भी सरकार के नाम से है। इस वजह से इलाके में रहनेवाले लोगों को निवास प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किया जाता है। इससे लोग परेशान है। बिहार की सीमा पर जमीन पर कब्जा का मामला कोर्ट तक में चला गया परंतु इसके बाद भी लोग भटक रहे हैं।

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कहां तक लगी है बिहार व पश्चिम बंगाल की सीमा

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बिहार एवं पश्चीम बंगाल की सीमा साहिबगंज के दियारा इलाके से सीधे जुड़ी है। जो बिहार के कटिहार एवं भागलपुर व पश्चीम बंगाल के मालदा जिले से सटी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गंगा नदी के दियारा की भौगोलिक स्थिति का फायदा असर्वेक्षित जमीन के कारण दबंग उठाते हैं। फिलहाल दियारा का पूरा इलाका साहिबगंज मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अधीन आता है जिसका मुख्यालय महादेवगंज में है। पुलिस के पहुंचने के पहले ही दबंग नाव से गंगा पार कर जाते हैं। गंगा उस पार मनिहारी, अमदाबाद एवं पीरपैंती के अलावा मानिकचक जाने के बाद राहत मिल जाती है।

गंगा के बीच क्षेत्र के गदाई दियारा में बिहार के अमदाबाद की सीमा है। हरप्रसाद, रामपुर, हादीनगर, रामनगर, मुरैला, रुपनगर, रामपुर स्थित सकरीगली, रिवर ब्लाक, गोपालपुर, रामबाड़ी, मकईटोला, पीलरटोला, समदा, गदाई दियारा, घिसु टोला, समदानाला, समदासीज तक मनिहारी बिहार की सीमा है। घाट जमनी, महेशपुर चक, सरदिग्धी, पूर्वी नारायणपुर और दाहूटोला टोला सहित दियारा क्षेत्र की सीमा बंगाल के मानिकचक से लगी है।

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क्या कहते हैं विधायक अनंत कुमार ओझा

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साहिबगंज में खासमहाल की समस्या हो या उधवा प्रखंड के दियारा क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के साथ सीमा विवाद- समाधान के लिए प्रयास किया है।

क्या कहते हैं पिछले चुनाव में हारे प्रत्याशी मोहम्मद ताजुद्दीन

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कुछ राजस्व गांव में लोगों का खतियान नहीं है। निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने के समय राजस्व कर्मचारी द्वारा अनुशंसा नहीं की जाती है। कुछ जगहों पर पश्चिम बंगाल तथा बिहार के साथ सीमा विवाद है।

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कोट

सीमा की जमीन के कुछ मौजा का सर्वे हो गया है। पत्थलगढ़ी भी हो चुकी है। जहां विवाद है उसे सुझलाने की कोशिश हो रही है।

अनुज कुमार प्रसाद, अपर समाहर्ता, साहिबगंज


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